17 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
गाज़ा की भविष्य की राजनीतिक और मानवीय संरचना को लेकर वॉशिंगटन ने एक ऐसा खाका तैयार किया है, जो फिलहाल गाज़ा को दो हिस्सों में बाँटकर दीर्घकालिक व्यवस्था की ओर बढ़ता दिखता है—एक सुरक्षित और पुनर्निर्माण योग्य ‘ग्रीन ज़ोन’, और एक जर्जर, बिना पुनर्निर्माण वाली ‘रेड ज़ोन’।
ग़ैर-प्रकाशित सैन्य दस्तावेज़ों तथा अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से सामने आया है कि अमेरिका, इज़रायल और अंतरराष्ट्रीय सैनिक मिलकर पूर्वी गाज़ा के एक बड़े हिस्से को “ग्रीन ज़ोन” घोषित करेंगे। यहाँ प्राथमिक स्तर पर पुनर्निर्माण शुरू होगा, जबकि समुद्री तट के समीप स्थित क्षेत्र—जहाँ लगभग पूरी आबादी भीड़भाड़ वाली स्थिति में फँसी है—“रेड ज़ोन” बना रहेगा।
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने स्वीकार किया
“पूरे गाज़ा को एक बार में सामान्य बनाना हमारी आकांक्षा है, लेकिन यह लक्ष्य अभी दूर है। प्रक्रिया कठिन और लंबी है।”
zzz
गाज़ा की नई सुरक्षा संरचना: इज़रायली नियंत्रण रेखा के दोनों ओर दो अलग-अलग यथार्थ
गाज़ा को विभाजित करने वाली मौजूदा “येलो लाइन”—जो इस समय इज़रायल के नियंत्रण में है—भविष्य की सैन्य और राजनीतिक संरचना की रीढ़ मानी जा रही है।
अमेरिकी योजना के अनुसार:
-
ग्रीन ज़ोन → अंतरराष्ट्रीय और इज़रायली सैन्य नियंत्रण, सीमित पुनर्निर्माण
-
रेड ज़ोन → फिलहाल कोई पुनर्निर्माण नहीं, वर्तमान में 2 मिलियन से अधिक लोगों का आवास
-
येलो लाइन → विभाजन की स्थायी नियंत्रण-रेखा, जिसे विदेशी सैनिक भी संभालेंगे
मध्यस्थ देशों ने चेतावनी दी है कि इस व्यवस्था से गाज़ा एक “ना पूर्ण युद्ध, ना शांति” जैसी स्थिति में फँस सकता है—जहाँ न तो वास्तविक शासन होगा, न ही लोकतांत्रिक ढांचा, और न ही वह पुनर्निर्माण जिसकी गाज़ा को अत्यंत आवश्यकता है।
zzz
ट्रंप प्रशासन का 20-पॉइंट प्लान और अंतरराष्ट्रीय स्टेबिलाइज़ेशन फ़ोर्स (ISF)
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से एक नए अंतरराष्ट्रीय ‘स्टेबिलाइज़ेशन फ़ोर्स’ (ISF) के लिए औपचारिक मंज़ूरी माँगी है। यह फ़ोर्स:
-
केवल ग्रीन ज़ोन में काम करेगी
-
इज़रायल के साथ सीमाओं पर तैनात होगी
-
प्रारंभिक चरण में कुछ सौ सैनिकों से शुरू होकर 20,000 सैनिकों तक बढ़ाई जाएगी
ट्रंप सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि:
-
अमेरिकी सैनिक गाज़ा में तैनात नहीं किए जाएंगे
-
अमेरिका पुनर्निर्माण का वित्तीय बोझ नहीं उठाएगा
-
अमेरिका केवल “रणनीतिक दृष्टि” प्रदान करेगा
एक कूटनीतिक सूत्र ने टिप्पणी की—
“अमेरिका योजना बनाएगा, लेकिन उसे लागू करने और फंड करने की जिम्मेदारी दूसरों पर डाल रहा है।”
zzz
यूरोपीय देशों की अनिच्छा और अव्यवहारिक सैन्य प्रस्ताव
सेंटकॉम द्वारा तैयार प्रारंभिक योजनाओं में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को ISF का मुख्य सैन्य ढांचा बताया गया था:
-
ब्रिटेन → 1,500 सैनिक (इन्फैंट्री, बम-निष्क्रियकरण विशेषज्ञ, सैन्य डॉक्टर्स)
-
फ्रांस → 1,000 सैनिक (रोड क्लीयरेंस और सुरक्षा)
-
जर्मनी, नीदरलैंड, नॉर्डिक देश → मेडिकल कैंप, लॉजिस्टिक्स और इंटेलिजेंस
लेकिन यूरोपीय नेतृत्व इस प्रस्ताव को “अव्यावहारिक और राजनीतिक रूप से असंभव” मान रहा है।
इराक और अफ़ग़ानिस्तान के अनुभवों के चलते किसी भी यूरोपीय देश के लिए गाज़ा में सैनिक भेजना भारी जोखिम वाला कदम है।
एक अमेरिकी अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि शुरुआती दस्तावेज़ों में “कई अशुद्धियाँ” थीं और योजना बहुत तेज़ी से बदल रही है।
zzz
जॉर्डन पर दबाव, लेकिन राजनीतिक हकीकत में असंभव
अमेरिकी दस्तावेज़ों में जॉर्डन से भी—
-
सैकड़ों हल्के हथियारों वाले सैनिक
-
3,000 तक पुलिस अधिकारी
—तैनात करने की संभावना जताई गई है।
लेकिन जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला पहले ही साफ कह चुके हैं:
“जॉर्डन गाज़ा में सैनिक नहीं भेजेगा। यह राजनीतिक रूप से असंभव है।”
जॉर्डन की आधी आबादी फिलिस्तीनी मूल की है, इसलिए इज़रायल-नियंत्रित क्षेत्र की पुलिसिंग करना जॉर्डन की आंतरिक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।
नई फिलिस्तीनी पुलिस: सीमित भूमिका, सीमित क्षमता
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि अंततः “नई फिलिस्तीनी पुलिस” गाज़ा की आंतरिक सुरक्षा का समाधान बनेगी।
लेकिन वास्तविक योजना में:
-
प्रारंभिक भर्ती → सिर्फ 200 पुलिसकर्मी
-
एक वर्ष में वृद्धि → 3,000–4,000
-
जबकि कुल सुरक्षा तैनाती → 20,000 सैनिक
यानी फिलिस्तीनी पुलिस की भूमिका सिर्फ प्रतीकात्मक और सीमित रखी गई है।
ग्रीन ज़ोन में पुनर्निर्माण और ‘जनसंख्या स्थानांतरण’ की नई रणनीति
अमेरिकी योजना के अनुसार:
-
पहले ग्रीन ज़ोन में पुनर्निर्माण
-
वहाँ राहत, आवास, सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ
-
धीरे-धीरे फिलिस्तीनी नागरिकों को आकर्षित करके उनकी संख्या बढ़ाना
एक अधिकारी के शब्दों में:
“जब लोग देखेंगे कि ग्रीन ज़ोन में जीवन सुधर रहा है, वे स्वेच्छा से वहाँ जाना चाहेंगे। किसी सैन्य बल से मजबूर नहीं किया जाएगा।”
विशेषज्ञ इस नीति को इराक और अफ़ग़ानिस्तान में असफल अमेरिकी ‘ग्रीन ज़ोन मॉडल’ का दोहराव मानते हैं—जहाँ सुरक्षित दायरों के बाहर वास्तविक समुदाय निरंतर हिंसा और अव्यवस्था से जूझते रहे।
zzz
गाज़ा में विनाश की स्थिति: 80% ढाँचे जमींदोज़, लाखों बेघर
UN के आंकड़े बेहद भयावह हैं:
-
80% से अधिक इमारतें पूरी तरह नष्ट या क्षतिग्रस्त
-
लगभग सभी स्कूल और अस्पताल ढह चुके
-
15 लाख लोग आपातकालीन आश्रय की प्रतीक्षा में
-
2 मिलियन से अधिक लोग सघन रेड ज़ोन में फँसे हुए
इज़रायल अभी भी “दोहरे उपयोग” वाले सामान—जैसे टेंट पोल—भी गाज़ा में प्रवेश करने से रोक रहा है, जिससे राहत संकट और बढ़ रहा है।
निष्कर्ष: एक बँटा हुआ गाज़ा या एक स्थायी समाधान?
अमेरिकी योजना गाज़ा में स्थायी शांति—or एक लंबे संकट—दोनों की दिशा तय कर सकती है।
यदि:
-
इज़रायली फ़ौज की चरणबद्ध वापसी
-
अंतरराष्ट्रीय ISF की व्यवहारिक तैनाती
-
वास्तविक पुनर्निर्माण
-
और एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी शासन
जैसे तत्व आगे नहीं बढ़ते, तो गाज़ा एक दीर्घकालिक विभाजन, मानवीय संकट, और अस्थिर राजनीतिक संरचना की तरफ़ धकेला जा सकता है।
वॉशिंगटन की रणनीति अभी भी “बहुत गतिशील और लगातार बदलती हुई” है।
लेकिन एक बात स्पष्ट है—गाज़ा का भविष्य अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति, मानवीय संकट और क्षेत्रीय राजनीति के चौराहे पर खड़ा है, जहाँ हर निर्णय लाखों ज़िंदगियों को प्रभावित करेगा।
