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US President Donald Trump claims:“भारत ने पूरी तरह बंद की रूस से तेल खरीद”; चीन से ‘पूर्ण समझौते’ की उम्मीद जताई अमेरिका-चीन तनाव के बीच नई पाबंदियाँ

 नई दिल्ली | अक्टूबर 26, 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को एक चौंकाने वाला बयान देते हुए दावा किया कि भारत ने रूस से तेल खरीदना “पूरी तरह बंद” कर दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर नई आर्थिक पाबंदियाँ लगाई हैं, ताकि मॉस्को की सैन्य गतिविधियों को वित्तीय रूप से सीमित किया जा सके।


ट्रम्प ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा,

“चीन ने रूसी तेल की खरीद में भारी कटौती की है और भारत ने तो इसे पूरी तरह रोक दिया है। हमने रूस की ऊर्जा कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, और मैं इन मुद्दों पर शी जिनपिंग से चर्चा करूंगा।”

भारत ने ट्रम्प के दावे को किया खारिज

भारत सरकार के सूत्रों ने इन दावों को सिरे से नकारते हुए कहा कि नई दिल्ली अपनी ऊर्जा नीति को राष्ट्रीय हितों और सस्ती आपूर्ति की आवश्यकता के अनुरूप तय करती है। भारत पहले भी यह स्पष्ट कर चुका है कि वह किसी भी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा और तेल आयात का फैसला आर्थिक व्यवहार्यता पर निर्भर करेगा।
भारत का यह रुख संकेत देता है कि अमेरिकी पाबंदियों के बावजूद नई दिल्ली रूस से रियायती तेल खरीद जारी रख सकती है, जो उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद अहम है।

🇷🇺 अमेरिका की नई पाबंदियाँ: रूस पर आर्थिक घेरा और तंग

ट्रम्प प्रशासन ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों—Rosneft और Lukoil—पर ताज़ा प्रतिबंधों की घोषणा की है। इन पाबंदियों का उद्देश्य मॉस्को की राजस्व आमदनी को सीमित करना है, ताकि वह यूक्रेन युद्ध जैसी सैन्य गतिविधियों को जारी न रख सके।
यह कदम ऐसे समय में आया है जब पश्चिमी देश रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए तेल निर्यात को निशाना बना रहे हैं

🇨🇳 शी जिनपिंग से मुलाकात की तैयारी: कृषि और फेंटेनाइल मुख्य एजेंडा पर

ट्रम्प ने बताया कि वे अगले सप्ताह दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में वे तीन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करेंगे —

  1. रूसी तेल की खरीद पर चीन का रुख

  2. कृषि व्यापार और अमेरिकी किसानों के हित

  3. फेंटेनाइल (एक घातक ड्रग) की वैश्विक तस्करी

ट्रम्प ने कहा,

“मैं चाहता हूँ कि हमारे किसान सुरक्षित रहें। फेंटेनाइल अमेरिका में हजारों लोगों की जान ले रहा है, और इसका स्रोत चीन है। यह बातचीत दोनों देशों के लिए अहम होगी।”

अमेरिका-चीन रिश्तों में 'रीसेट' की उम्मीद

हालांकि अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी प्रतिबंधों, व्यापार युद्ध और कच्चे माल की आपूर्ति जैसे मुद्दों पर तनाव बना हुआ है, फिर भी ट्रम्प ने उम्मीद जताई कि यह बैठक दोनों देशों के बीच रिश्तों में एक नई शुरुआत साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा,

“हम कई मुद्दों पर बात करेंगे। यह मुलाकात एक ‘पूर्ण समझौते’ की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।”

पृष्ठभूमि: भारत-रूस तेल व्यापार और अमेरिकी दबाव

2022 के बाद से भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा लागत घटाने में सफल रहा है। रूस अब भारत का शीर्ष तीन तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन चुका है।
अमेरिका कई बार यह संकेत दे चुका है कि वह चाहता है कि भारत रूसी ऊर्जा पर निर्भरता घटाए, लेकिन भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह किसी भी तीसरे देश की शर्तों पर नहीं चलेगा।

विश्लेषण:-

 ट्रम्प का बयान—राजनीतिक रणनीति या वास्तविकता?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प के इस बयान का राजनीतिक पहलू भी है। अमेरिकी चुनावी साल के मद्देनज़र, ट्रम्प खुद को एक ‘कठोर वैश्विक नेता’ के रूप में पेश करना चाहते हैं, जो रूस और चीन दोनों पर दबाव बना सके।
हालाँकि, भारत द्वारा किसी भी आधिकारिक घोषणा के अभाव में उनके दावे पर संदेह बना हुआ है।

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