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ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिकी रिपोर्ट को लेकर सियासी बवाल: कांग्रेस का मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार “क्या प्रधानमंत्री और MEA विरोध दर्ज कराएंगे?”

 22 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार 

अमेरिका की U.S.-China Economic and Security Review Commission की वार्षिक रिपोर्ट में किए गए एक बेहद विवादित दावे—कि “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत पर सैन्य बढ़त हासिल की”—ने भारतीय राजनीति में तीखी बहस छेड़ दी है।

कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को “कूटनीति की एक और गंभीर विफलता” बताते हुए मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।

कांग्रेस का तीखा सवाल: क्या PM मोदी और MEA आपत्ति दर्ज कराएंगे?

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लगातार पोस्ट करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट न केवल तथ्यों के विपरीत है बल्कि भारत की संप्रभुता और प्रतिष्ठा पर प्रत्यक्ष आघात है।
उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय इस रिपोर्ट पर औपचारिक आपत्ति दर्ज कराएंगे या फिर हमेशा की तरह चुप्पी साधे रहेंगे।

रमेश ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पुराने दावे को एक बार फिर दोहरा रहे हैं कि उन्होंने “भारत पर 350% शुल्क लगाने की धमकी देकर” भारत-पाकिस्तान संघर्ष को रोका था।
कांग्रेस नेता के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप अब तक 61 बार यह दावा कर चुके हैं।

अमेरिकी रिपोर्ट: 800 पन्नों में भारत-पाक संघर्ष का संदिग्ध विश्लेषण

यह वार्षिक रिपोर्ट लगभग 800 पन्नों की है और इसके पृष्ठ 108–109 में अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले और 7–10 मई के दौरान हुए भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव का उल्लेख किया गया है।

रिपोर्ट के कुछ विवादित बिंदु:

  • पहलगाम के आतंकवादी हमले को “insurgent attack” बताया गया।

  • पाकिस्तान और भारत के बीच हुए चार दिवसीय संघर्ष को “Pakistan’s military success over India” कहा गया।

  • रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने इस संघर्ष में चीनी हथियारों और खुफिया जानकारी का भारी उपयोग किया।

  • रिपोर्ट का दावा है कि इस संघर्ष ने चीन को अपनी हथियार प्रणाली की “क्षमता दिखाने” का अवसर दिया।

कांग्रेस का कहना है कि यह विश्लेषण भारत के आधिकारिक दृष्टिकोण, तथ्यों और सैन्य मूल्यांकन के बिल्कुल विपरीत है।

जयराम रमेश ने कहा: यह रिपोर्ट भारत के लिए अस्वीकार्य

कांग्रेस नेता ने लिखा:

“यह रिपोर्ट न केवल गलत है बल्कि भारत के हितों के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित लगती है। यह अमेरिका में मौजूद कुछ थिंक-टैंक समूहों की वही पुरानी सोच है जो दक्षिण एशिया को देखने के लिए पुरानी और त्रुटिपूर्ण लेंस का उपयोग करते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि यदि अमेरिका की किसी स्वतंत्र आयोग द्वारा भारत को इस प्रकार चित्रित किया जाता है और मोदी सरकार प्रतिक्रिया नहीं देती, तो यह भारतीय कूटनीति के लिए “चिंताजनक संकेत” है।

ट्रंप का दावा और राजनीति

कांग्रेस ने उस वीडियो को भी साझा किया जिसमें ट्रंप ने एक U.S.-Saudi Arabia Conclave के दौरान फिर से दावा किया कि उन्होंने भारत-पाक संघर्ष को रोकने में प्रमुख भूमिका निभाई।
कांग्रेस के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर एक भी टिप्पणी नहीं की, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संदेश जा रहा है।

कांग्रेस का आरोप: भारत की कूटनीति कमजोर हुई

कांग्रेस ने कहा:

“जब दुनिया भर में भारत की भूमिका मजबूत होनी चाहिए थी, तब उल्टा हमारी कूटनीति लगातार झटके झेल रही है। प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति कमजोर कर रही है।”

कांग्रेस की मांग है कि:

  1. भारत सरकार इस रिपोर्ट पर आधिकारिक विरोध दर्ज करे।

  2. अमेरिकी प्रशासन से स्पष्टिकरण मांगें।

  3. संसद में इस मुद्दे पर चर्चा हो।

  4. विदेश मंत्रालय स्थिति पर व्यापक बयान दे।

निष्कर्ष

अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट ने भारत की विदेश नीति, सुरक्षा ढांचे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।
अब यह देखना होगा कि—
क्या मोदी सरकार रिपोर्ट पर कड़ा रुख अपनाती है या फिर कांग्रेस के आरोपों के अनुसार मौन रहती है?

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