14 दिसम्बर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार
शहर संभल की नामवर शायरा, वरिष्ठ लेखिका और जानी मानी शिक्षाविद किश्वर जहाँ ज़ैदी साहिबा के आवास पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आम जनता के लिए लंगर का अज़ीम-उश्शान आयोजन किया गया। यह आयोजन केवल भोजन वितरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इंसानियत, बराबरी, मोहब्बत और आपसी सौहार्द का एक खूबसूरत पैग़ाम बनकर सामने आया। इस मौके पर शहर के कोने-कोने से लेखक, शायर, शिक्षाविद, पत्रकार, गणमान्य व्यक्ति और आम नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद रहे। पूरा वातावरण अदबी रूहानियत, सामाजिक चेतना और आपसी भाईचारे से सराबोर नज़र आया।
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| किश्वर जहाँ ज़ैदी साहिबा के आवास पर आयोजित महफ़िल का चित्र |
लंगर के आयोजन के साथ-साथ यह महफ़िल अदब और समाजी फ़िक्र का भी एक अहम मरकज़ बन गई। लखनऊ से तशरीफ़ लाए वरिष्ठ शायर जनाब तारिक़ क़मर साहब ने कार्यक्रम की शान बढ़ाई। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन समाज में आपसी भाईचारे को मज़बूत करने के साथ-साथ इंसानों के बीच दूरी को कम करते हैं। उनका कहना था कि जब अदब, इंसानियत और सेवा एक साथ जुड़ते हैं, तो समाज में सकारात्मक सोच और अमन-ओ-चैन की फ़ज़ा क़ायम होती है।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार, शायर और लेखक मीर शाह हुसैन आरिफ़ साहब ने कहा कि समाज में एक स्वस्थ, सकारात्मक और रचनात्मक अदबी व साहित्यिक माहौल तैयार करने के लिए इस प्रकार की महफ़िलों और सामूहिक आयोजनों का होना निहायत ज़रूरी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों को एक मंच पर लाते हैं, बल्कि आम जनता को भी अदब और संस्कृति से जोड़ने का काम करते हैं, जो किसी भी समाज के लिए बेहद अहम है।
कार्यक्रम के दौरान पत्रकार अज़ीज़ उल्लाह, ताहिर सलामी साहब, कौसर संभली साहब तथा इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार ज़िआउस सहर रज़्ज़ाक़ी के विचारों ने कार्यक्रम को एक नई वैचारिक ऊँचाई दी। उन्होंने कहा कि आज के दौर में अदब और शायरी को केवल महफ़िलों तक सीमित रखने के बजाय उसे आम लोगों तक पहुँचाना वक्त की ज़रूरत है। इसी सिलसिले में उन्होंने शायरी और अदीबों के समर्पित डिजिटल मंच Anthought.com का उल्लेख करते हुए कहा कि यह प्लेटफ़ॉर्म अदब के सच्चे शौक़ीनों के लिए एक मज़बूत आवाज़ बनकर उभरा है, जहाँ शायरी, साहित्य और लेखन को न केवल सम्मान मिलता है, बल्कि नई प्रतिभाओं को भी पहचान और मंच हासिल होता है। उन्होंने कहा कि Anthought.com जैसे प्लेटफ़ॉर्म आज के समय में अदबी विरासत को सहेजने और उसे आने वाली नस्लों तक पहुँचाने में अहम किरदार अदा कर रहे हैं।
कार्यक्रम के समापन पर किश्वर जहाँ ज़ैदी साहिबा ने तमाम मेहमानों, शायरों, लेखकों, पत्रकारों और आम जनता का दिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि लंगर का यह आयोजन किसी व्यक्तिगत प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि इंसानियत की ख़िदमत, आपसी मोहब्बत और सामाजिक एकता को मज़बूत करने की एक विनम्र कोशिश है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में भी यह सिलसिला यूँ ही जारी रहेगा और समाज को जोड़ने का काम करता रहेगा।
कुल मिलाकर, संभल में आयोजित यह लंगर और अदबी जमावड़ा न सिर्फ़ एक सामाजिक आयोजन रहा, बल्कि इंसानियत, अदब और भाईचारे का ऐसा रौशन पैग़ाम बनकर उभरा, जो लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
