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ट्रम्प का सख़्त चेतावनी भरा बयान: “देशद्रोह… और इसकी सज़ा मौत!” — अमेरिकी राजनीति में उबाल

 21 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार 

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा डेमोक्रेटिक सांसदों पर “देशद्रोह (Sedition)” का आरोप लगाते हुए मौत की सज़ा तक की धमकी देने के बाद राजनीतिक माहौल एक बार फिर उग्र हो गया है। ट्रम्प ने यह बयान उस वीडियो के जवाब में दिया, जिसमें डेमोक्रेटिक सांसदों—जो स्वयं सैन्य या ख़ुफ़िया सेवाओं में कार्य कर चुके हैं—ने अमेरिकी सेना और इंटेलिजेंस अधिकारियों को यह याद दिलाया था कि “ग़ैर-क़ानूनी आदेशों का पालन करना उनका कर्तव्य नहीं है।”

ट्रम्प ने इस कदम को “देश के लिए ख़तरनाक” बताते हुए Truth Social पर तीखी भाषा में पोस्ट कीं, जिनमें एक पोस्ट में उन्होंने सीधे लिखा:

“SEDITIOUS BEHAVIOR, punishable by DEATH!”


यह बयान अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में एक गंभीर और बेहद विवादास्पद मोड़ माना जा रहा है।


डेमोक्रेटिक दल का पलटवार: “यह बयान शर्मनाक और अलोकतांत्रिक”

डेमोक्रेट्स ने ट्रम्प की धमकी को “ghrinaaspad, vile और तानाशाही सोच का परिचायक” बताया।
उनके अनुसार, सैन्य अधिकारियों को संविधान की रक्षा के लिए अवैध आदेशों का पालन न करने की याद दिलाना पूरी तरह क़ानूनी और लोकतांत्रिक कर्तव्य है।


वीडियो जिसने तूफ़ान खड़ा किया: सेना को याद दिलाया गया ‘लाल रेखा’

18 नवंबर को जारी वीडियो में छह प्रमुख डेमोक्रेटिक सांसद—जो सब पूर्व सैन्य अधिकारी या ख़ुफ़िया विशेषज्ञ हैं—ने कहा:

“आपको अवैध आदेशों को मानने की कोई बाध्यता नहीं है। संविधान के विरुद्ध आदेशों को नकारना आपकी ड्यूटी है।”

इस वीडियो में शामिल थे:

  • सिनेटर मार्क केली (Arizona)

  • सिनेटर एलिसा स्लॉटकिन (Michigan)

  • रेप्रेज़ेंटेटिव जैसन क्रो (Colorado)

  • क्रिस डेलुज़िय़ो (Pennsylvania)

  • मैगी गुडलैंडर (New Hampshire)

  • क्रिस्सी हूलाहन (Pennsylvania)

वीडियो के अंत में सैन्य जगत में लोकप्रिय नारा दिया गया:
“Don’t give up the ship” — यानी किसी भी कीमत पर नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य न छोड़ें।


क्या है अमेरिकी क़ानून? अवैध आदेश मानना भी अपराध

अमेरिकी सैन्य आचार-संहिता (Uniform Code of Military Justice) पूरी स्पष्टता से बताती है:

  • केवल वही आदेश मान्य हैं जो संविधान और फ़ेडरल क़ानूनों के अनुरूप हों

  • “साफ़ तौर पर अवैध” (patently illegal) आदेश का पालन करना भी अपराध माना जाता है

  • 1969 के ऐतिहासिक केस US v. Keenan में अदालत ने कहा था:

“अवैध आदेश का पालन कोई सुरक्षा नहीं देता; सैनिक का कर्तव्य है कि वह ऐसे आदेश को ठुकराए।”

यानी डेमोक्रेट्स की अपील कानून के अनुरूप है, इसके बावजूद रिपब्लिकन इसे एक राजनीतिक विद्रोह की शुरुआत बता रहे हैं।


रिपब्लिकन की प्रतिक्रिया: “यह खुली बग़ावत है”

ट्रम्प के टॉप सलाहकार स्टीफन मिलर ने वीडियो को “insurrection” जैसा बताया।
रिपब्लिकन इस संदेश को यह संकेत मान रहे हैं कि डेमोक्रेट्स सेना को ट्रम्प शासन के ख़िलाफ खड़ा करना चाहते हैं।

सिनेटर स्लॉटकिन ने मिलर को जवाब देते हुए लिखा:

“यह आपके देश के संस्थापकों द्वारा बनाया हुआ कानून है। अवैध आदेश मानना अपराध है, न कि उन्हें अस्वीकार करना।”


सैन्य कार्रवाई पर भी विवाद: क्या ट्रम्प ने कानून तोड़ा है?

कई डेमोक्रेटिक नेताओं ने हाल में ट्रम्प के कुछ निर्णयों की कानूनीता पर सवाल उठाए हैं—विशेषकर:

1. नागरिकों के विरुद्ध सेना के उपयोग की धमकियाँ

Posse Comitatus Act (1878) सेना को घरेलू कानून लागू करने के लिए उपयोग करने पर रोक लगाता है।

2. समुद्री क्षेत्रों में नौकाओं पर बमबारी अभियान

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है, जिसमें:

  • कम से कम 83 लोग मारे गए

  • UN Human Rights Chief वोल्कर टर्क ने कहा:
    “यह extrajudicial killings हैं, जिनकी कोई कानूनी वैधता नहीं।”

इसके बावजूद, व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट का दावा है:

“राष्ट्रपति द्वारा दिया गया हर आदेश 100% क़ानूनी और संविधान-सम्मत है।”

उन्होंने डेमोक्रेट्स को “खतरनाक बयानबाज़ी” के लिए ज़िम्मेदार ठहराया।


ट्रम्प की इतिहासिक धमकियाँ: राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को जेल में डालने के संकेत

ट्रम्प अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही विरोधियों को जेल या मौत की सज़ा से जोड़कर बयान देते आए हैं।

2016: हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ ‘Lock Her Up’

यह नारा उनके चुनाव अभियान का सबसे लोकप्रिय नारा बन गया था।

2020 के बाद:

उन्होंने रूस चुनाव हस्तक्षेप जांच करने वालों के लिए भी जेल की अपील की।

2024 चुनाव के दौरान:

उन्होंने अध्यक्ष जो बाइडेन और VP कमला हैरिस को “प्रोसिक्यूट करने” की मांग की।

रिपब्लिकन लिज़ चेनी तक निशाने पर

उन्होंने तो चेनी के लिए firing squad जैसी उपमाएँ दीं, जिस पर बाद में कहा गया कि यह “सिर्फ एक रूपक” था।


दूसरी टर्म में कार्रवाई: विरोधियों पर केस और अभियोजन

जनवरी में दूसरी टर्म शुरू होने के बाद ट्रम्प ने अपने आलोचकों पर कार्रवाई तेज़ कर दी:

  • एडम शिफ़

  • अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स

  • जेम्स कोमी

  • जॉन बोल्टन

इन पर हाल में आपराधिक केस दर्ज किए गए हैं।
आरोपी नेताओं का दावा है कि यह “राजनीतिक बदला” है।


ट्रम्प की सबसे खतरनाक लाइन: “The enemy from within”

क्वांटिको, वर्जीनिया में शीर्ष सैन्य अधिकारियों की बैठक में ट्रम्प ने कहा:

“सबसे बड़ा ख़तरा भीतर का दुश्मन है… हमें इससे पहले निपटना होगा कि हालात काबू से बाहर हो जाएँ।”

राजनीतिक विश्लेषकों के लिए यह संकेत बेहद चिंताजनक है, क्योंकि “enemy from within” शब्द—अमेरिकी राजनीति में—अक्सर विपक्ष को “राज्य का दुश्मन” घोषित करने के समान माना जाता है।


निष्कर्ष:-

 अमेरिका में लोकतंत्र बनाम शक्ति संघर्ष की नई लड़ाई
ट्रम्प का “देशद्रोह” और “फांसी की सज़ा” जैसे शब्दों का सार्वजनिक उपयोग अमेरिका के लोकतांत्रिक ढाँचे पर एक अभूतपूर्व बोझ डाल रहा है।

सेना पर राजनीतिक दबाव
विपक्ष पर कठोर आरोप
असहमति को देशद्रोह बताने की प्रवृत्ति
संविधान के क़ानूनी सिद्धांतों की अलग-अलग व्याख्या
और शीर्ष नेतृत्व की आक्रामक बयानबाज़ी
ये सब अमेरिका को एक गंभीर संवैधानिक और लोकतांत्रिक मोड़ पर लाकर खड़ा कर रहे हैं।

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