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सही वोट, सही लोकतंत्र: क्यों पढ़े-लिखे नागरिकों को आगे आकर हर वोटर का डेटा सही करवाना चाहिए

नई दिल्ली | 11 नवंबर 2025  |✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार    

प्रस्तावना — लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा

भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत उसके नागरिकों के सही और निष्पक्ष मतदान में निहित है। लेकिन यदि वोटर लिस्ट ही अधूरी या गलत हो, तो यह ताकत कमजोर पड़ जाती है। कई बार देखा गया है कि गरीब, पिछड़े या अशिक्षित तबकों के नाम या तो मतदाता सूची में गलत दर्ज होते हैं या फिर गायब हो जाते हैं।

ऐसे में, SIR के मुताबिक, पढ़े-लिखे और जागरूक नागरिकों की यह सामाजिक जिम्मेदारी है कि वे आगे आएँ और अपने क्षेत्र के हर ऐसे व्यक्ति की मदद करें, जो स्वयं यह काम नहीं कर सकता। जब हर नागरिक का डेटा सही होगा, तब न केवल वोट चोरी जैसी अफवाहें और अनियमितताएँ खत्म होंगी, बल्कि चुनाव आयोग की पारदर्शिता और लोकतंत्र में जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।


1. क्यों होता है मतदाता डेटा गलत — समस्या की जड़ तक जाएँ

भारत जैसे विशाल देश में करोड़ों नामों की डेटा-एंट्री होती है। ऐसे में कुछ सामान्य कारणों से गलतियाँ हो जाती हैं:

  • नाम या वर्तनी में त्रुटि: स्थानीय भाषाओं के अलग-अलग उच्चारण या ट्रांसलिटरेशन के कारण।

  • पते में गड़बड़ी: लोग रोज़गार या पढ़ाई के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, लेकिन रजिस्ट्रेशन अपडेट नहीं होता।

  • पुराने रिकॉर्ड की गड़बड़ी: पुराने चुनावी रजिस्टर डिजिटाइज करते समय कई नाम दोहराए या छूट जाते हैं।

  • मोबाइल या आधार लिंक न होना: इससे नागरिक को कोई सूचना नहीं मिलती और डेटा गलत होने पर पता ही नहीं चलता।

इन छोटी-छोटी गलतियों का परिणाम बहुत बड़ा होता है — लाखों लोग मतदान से वंचित हो जाते हैं, लोकतंत्र की प्रतिनिधिक सच्चाई प्रभावित होती है और जनता का विश्वास टूटता है।


2. क्या कर सकते हैं पढ़े-लिखे नागरिक — SIR की सोच के अनुसार सामुदायिक सहयोग मॉडल

SIR का मानना है कि बदलाव केवल सरकार से नहीं आता, जनता से आता है।
इसलिए पढ़े-लिखे लोगों को चाहिए कि वे अनपढ़, गरीब और पिछड़े वर्गों को तकनीकी सहयोग दें ताकि वे भी अपना मतदाता डेटा सही करा सकें।

(a) “Voter-Help Day” की शुरुआत करें

हर स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संस्था या रिहायशी सोसायटी महीने में एक दिन “Voter-Help Day” मना सकती है — जहाँ लोग अपने साथियों को वोटर डेटा चेक करने में मदद करें।

(b) BLO (Booth Level Officer) से तालमेल

हर इलाके में BLO नियुक्त होता है। अगर नागरिक BLO के साथ मिलकर सामूहिक फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू करें, तो सैकड़ों गलतियाँ एक ही दिन में सुधर सकती हैं।

(c) NGO और Resident Groups की भूमिका

स्थानीय NGO, महिला मंडल या युवा समूह गैर-पक्षपातपूर्ण तरीके से फ़ॉर्म-6 (नया नामांकन) और फ़ॉर्म-8 (सुधार) भरवाने में सहायता कर सकते हैं।
इससे समाज में “सहभागी लोकतंत्र” की भावना बढ़ती है।


3. प्रक्रिया — कैसे करें वोटर डेटा का सुधार

Step 1: खुद जाँच करें

राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) पर जाकर अपना नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि और पता देखकर जाँच करें कि आपकी जानकारी सही है या नहीं।

Step 2: अगर गलती है, तो Form-8 भरें

Form-8 का उपयोग नाम, पता, जन्मतिथि, लिंग या फोटो सुधारने के लिए किया जाता है। यह ऑनलाइन भी भरा जा सकता है या स्थानीय BLO को जमा किया जा सकता है।

Step 3: नए मतदाताओं को Form-6 भरवाएँ

जो लोग 18 वर्ष पूरे कर चुके हैं, वे Form-6 भरकर अपने नाम को पहली बार जोड़ सकते हैं।

Step 4: acknowledgment नंबर संभालें

फॉर्म जमा करने के बाद acknowledgment नंबर अवश्य लें ताकि आवेदन की स्थिति ट्रैक की जा सके।


4. सामुदायिक मॉडल — समाज के हर तबके को जोड़ने का तरीका

SIR के अनुसार, सच्चा लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब हर तबका उसमें शामिल हो।
इसलिए यह जरूरी है कि सुधार प्रक्रिया में हर वर्ग को समान प्रतिनिधित्व मिले:

  • गाँवों और झुग्गी बस्तियों में वोटर सहायता शिविर:
    स्थानीय शिक्षकों और युवाओं को मिलाकर ऐसे कैंप लगाए जाएँ जहाँ लोग अपने दस्तावेज़ दिखाकर डेटा सुधार सकें।

  • डिजिटल साक्षरता अभियान:
    मोबाइल या इंटरनेट के ज़रिए लोगों को सिखाया जाए कि NVSP पर खुद अपना डेटा कैसे देखें।

  • सहमति और गोपनीयता:
    किसी का व्यक्तिगत डेटा उसकी अनुमति के बिना न लें — यह संवैधानिक रूप से गलत है।


5. यदि हर नागरिक यह करे तो क्या बदलेगा

  • वोट चोरी की संभावनाएँ घटेंगी: जब हर व्यक्ति का डेटा सही होगा, तो फर्जी वोट या दोहरी प्रविष्टि की संभावना स्वतः खत्म हो जाएगी।

  • चुनाव आयोग की जवाबदेही बढ़ेगी: डेटा की पारदर्शिता से प्रशासनिक सुधार तेज़ होंगे।

  • सामाजिक एकता मजबूत होगी: जब शिक्षित लोग अपने समाज के कमजोर वर्गों के साथ खड़े होंगे, तो लोकतंत्र का अर्थ अधिक मानवीय और समावेशी बनेगा।

  • जन विश्वास बहाल होगा: लोग चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा महसूस करेंगे और मतदान दर में वृद्धि होगी।


6. क्या न करें — कुछ महत्वपूर्ण चेतावनियाँ

  1. किसी को भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के नाम पर डेटा सुधारने के लिए प्रेरित न करें।

  2. किसी के आधार या व्यक्तिगत जानकारी की प्रतिलिपि बिना उसकी सहमति के न रखें।

  3. BLO या चुनाव आयोग के निर्देशों से अलग कोई फॉर्म या प्रक्रिया न अपनाएँ।


निष्कर्ष:-

 यही है असली राष्ट्रसेवा

SIR के शब्दों में —

“जो पढ़े-लिखे लोग अपने ज्ञान से समाज के कमजोर तबके को सशक्त करते हैं, वही सच्चे अर्थों में देश के लोकतंत्र के प्रहरी हैं।”

जब हर नागरिक अपने समाज के हर व्यक्ति का वोटिंग डेटा सही कराने में मदद करेगा, तब न केवल वोट चोरी की चर्चाएँ खत्म होंगी, बल्कि लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होंगी।
यह केवल चुनावी सुधार नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम होगा।

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