17 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
पुतिन की दिसंबर यात्रा के लिए तैयारियाँ तेज
बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति पुतिन दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन दोनों देशों के बीच ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को अगले स्तर पर ले जाने की एक मजबूत कड़ी माना जा रहा है।
जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस कई अहम द्विपक्षीय समझौतों, नई पहलों और दीर्घकालिक परियोजनाओं पर एक साथ काम कर रहे हैं, और अधिकांश प्रस्ताव अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुके हैं। उन्होंने कहा कि,
“हम आने वाले दिनों में इन समझौतों को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद करते हैं। इससे हमारी साझेदारी और भी मज़बूत, व्यापक और बहुआयामी बनेगी।”
किन क्षेत्रों में हो सकती है बड़ी प्रगति?
हालाँकि आधिकारिक रूप से विवरण साझा नहीं किए गए हैं, लेकिन कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार भारत-रूस के बीच निम्न क्षेत्रों में प्रगति की संभावना है—
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ऊर्जा सहयोग: तेल, गैस और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नई परियोजनाएँ
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रक्षा और सामरिक उत्पादन: रक्षा उपकरणों के संयुक्त निर्माण, रखरखाव और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर
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व्यापार और निवेश: दोनों देशों के बीच व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने की नई रणनीति
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शिक्षा और विज्ञान तकनीक: उच्च शिक्षा, स्पेस साइंस और साइबर सुरक्षा पर नए MoU
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आर्कटिक सहयोग: रूस के आर्कटिक मिशन में भारत की संभावित भागीदारी
इन सबकी घोषणा पुतिन की यात्रा के दौरान हो सकती है, जिससे इस शिखर सम्मेलन का महत्त्व और बढ़ जाता है।
लावरोव-जयशंकर वार्ता का विशेष महत्व
विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि लावरोव के साथ यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आगामी शिखर सम्मेलन की दिशा तय करने का सबसे बड़ा मौका इसी वार्ता से मिलता है। दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों की 'समझ और विश्वास' इस वार्ता में विशेष रूप से दिखाई दी।
भारत-रूस संबंधों की ऐतिहासिक गहराई
भारत और रूस दशकों से रणनीतिक सहयोगी रहे हैं। रूस भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार रहा है और आज भी दोनों देशों के बीच ऊर्जा, अंतरिक्ष, विज्ञान, शिक्षा, खनन और फार्मा सहित कई क्षेत्रों में मजबूत सहयोग चलता आ रहा है। बदलते वैश्विक राजनीतिक संतुलन के बीच भारत-रूस की यह साझेदारी अधिक स्थिर, विश्वसनीय और परस्पर हितकारी मानी जाती है।
निष्कर्ष:-
पुतिन की आगामी भारत यात्रा को दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी में ‘गेम-चेंजर’ माना जा रहा है। समझौतों का यह नया पैकेज न केवल द्विपक्षीय संबंधों को गहराई देगा बल्कि एशिया-यूरोप भू-राजनीतिक परिदृश्य पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
