नई दिल्ली | 13 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार
निर्यात प्रोत्साहन मिशन: आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
यह मिशन वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक चलेगा। इसका उद्देश्य भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs), प्रथम बार निर्यात करने वाले उद्यमों और श्रम-प्रधान क्षेत्रों को एकीकृत डिजिटल ढांचे के माध्यम से सहयोग देना है।
पहली बार केंद्र सरकार ने बिखरी हुई विभिन्न योजनाओं को जोड़कर एक लचीला, परिणाम-आधारित (Outcome-based) तंत्र तैयार किया है, जो बदलते वैश्विक व्यापारिक परिवेश और चुनौतियों का त्वरित जवाब देने में सक्षम होगा।
यह मिशन ‘इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम (IES)’ और ‘मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (MAI)’ जैसी मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करेगा, ताकि भारत की निर्यात नीति और भी अधिक सुसंगत और आधुनिक बन सके।
दो उप-योजनाएँ — ‘निर्यात प्रोत्साहन’ और ‘निर्यात दिशा’
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस मिशन के तहत दो प्रमुख उप-योजनाएँ चलाई जाएँगी —
1. निर्यात प्रोत्साहन (Niryat Protsahan)
इस योजना का फोकस MSME सेक्टर को सस्ती व्यापारिक वित्त सुविधा उपलब्ध कराने पर रहेगा। इसमें ब्याज सबवेंशन, एक्सपोर्ट फैक्टरिंग, कोलेटरल-फ्री गारंटी, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए विशेष क्रेडिट कार्ड, और नए बाजारों में प्रवेश हेतु वित्तीय सहायता जैसे कदम शामिल हैं।
2. निर्यात दिशा (Niryat Disha)
यह योजना गैर-वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, ताकि भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग, गुणवत्ता प्रमाणन, और निर्यात लॉजिस्टिक्स को सुदृढ़ किया जा सके। इसके तहत निर्यात गोदाम, परिवहन सब्सिडी, व्यापार मेले में भागीदारी और निर्यात प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ दी जाएँगी।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य
यह मिशन विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा लागू किया जाएगा। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं —
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एमएसएमई को सस्ती दरों पर व्यापारिक ऋण उपलब्ध कराना।
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उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और अनुपालन क्षमता बढ़ाना।
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नए बाजारों और देशों में भारतीय ब्रांड की पहुँच बढ़ाना।
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गैर-पारंपरिक जिलों से निर्यात को प्रोत्साहित कर रोजगार सृजन बढ़ाना।
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विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और allied सेवाओं में नए रोजगार अवसर पैदा करना।
क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE)
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSE) को भी मंजूरी दी है।
इसके अंतर्गत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) बैंक और वित्तीय संस्थानों को 100% क्रेडिट गारंटी कवरेज प्रदान करेगी।
इस योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त ऋण की सुविधा MSMEs सहित योग्य निर्यातकों को दी जाएगी।
सरकार का मानना है कि यह स्कीम भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगी, उन्हें बिना जमानत ऋण उपलब्ध कराएगी और USD 1 ट्रिलियन निर्यात लक्ष्य की दिशा में भारत को आगे ले जाएगी।
निर्यात क्यों हैं भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में निर्यात का हिस्सा भारत के GDP का लगभग 21% रहा है।
देश के 45 मिलियन से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात आधारित उद्योगों में कार्यरत हैं।
वहीं, MSMEs भारत के कुल निर्यात का 45% हिस्सा योगदान करते हैं।
इससे न केवल विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है बल्कि भारत के चालू खाते (Current Account Balance) को भी स्थिरता मिलती है।
इस पृष्ठभूमि में, सरकार ने यह समझा कि निर्यातकों को पर्याप्त वित्तीय सहायता और समय देकर उन्हें नए बाजारों में प्रवेश और उत्पाद विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
संरचनात्मक चुनौतियों से निपटने की रणनीति
भारत के निर्यात क्षेत्र को लंबे समय से कुछ मूलभूत समस्याओं का सामना करना पड़ा है —
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महंगी और सीमित व्यापारिक वित्तीय पहुँच।
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अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करने में ऊँचा खर्च।
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अपर्याप्त ब्रांडिंग और प्रमोशन।
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आंतरिक और दूरस्थ क्षेत्रों में लॉजिस्टिक कमजोरियाँ।
Export Promotion Mission इन सभी समस्याओं को एकीकृत और डिजिटल समाधान के माध्यम से दूर करने का प्रयास करेगा।
मेक इन इंडिया” और “वोकल फॉर लोकल” को वैश्विक मंच तक ले जाने की योजना
यह मिशन भारत के "आत्मनिर्भर भारत" और "मेक इन इंडिया" अभियानों को नई गति देगा।
इससे न केवल भारतीय उत्पादों की वैश्विक दृश्यता (Global Visibility) बढ़ेगी बल्कि देश के गैर-पारंपरिक जिलों और राज्यों को भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मुख्यधारा में लाया जा सकेगा।
निष्कर्ष:-
भारत के लिए नया निर्यात युग
यह मिशन न केवल व्यापारिक दृष्टि से बल्कि रोज़गार, तकनीकी नवाचार और क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज़ से भी भारत की अर्थव्यवस्था को नया आयाम देगा।
