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दिल्ली और इस्लामाबाद धमाके: दोनों देशों ने शुरू की संयुक्त जांच, सीमा पार तनाव बढ़ा

 12 नवंबर 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार      

भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में सोमवार को हुए भीषण धमाकों के बाद सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मचा हुआ है।

दिल्ली के ऐतिहासिक लाल क़िले के पास हुए कार धमाके में कम से कम 13 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल हुए हैं, वहीं पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुए विस्फोट में 12 नागरिकों की जान गई है।

इन घटनाओं के बाद दोनों देशों ने आतंकी हमले के संदेह के तहत जांच शुरू कर दी है और एक-दूसरे पर अप्रत्यक्ष आरोप भी लगाए हैं।


दिल्ली धमाका: NIA ने संभाली जांच, UAPA के तहत मामला दर्ज

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को पुष्टि की कि लाल क़िले के पास हुए धमाके की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है।
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, धमाके में इस्तेमाल कार में भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भरी गई थी।

एनआईए ने मामला UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत दर्ज किया है और कई संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।
फरीदाबाद पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर फैल रही यह अफ़वाह — कि यह कार “अल-फलाह यूनिवर्सिटी” में 10 दिनों तक पार्क थी — पूरी तरह झूठी है।

एनआईए के सूत्रों के अनुसार, घटनास्थल से बरामद कैमरों में एक व्यक्ति को कार के पास घूमते देखा गया है। ड्रोन और 3डी स्कैनिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए जांच आगे बढ़ रही है।


विपक्ष ने उठाए सवाल: "सुरक्षा एजेंसियाँ कहाँ थीं?"

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने सरकार से कड़े सवाल पूछते हुए कहा —

“जब राष्ट्रीय राजधानी में लाल क़िले जैसी हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में धमाका हो सकता है, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित रहेंगे? सरकार को जवाब देना होगा कि निगरानी और इंटेलिजेंस में यह चूक कैसे हुई।”

उन्होंने एनआईए से यह भी आग्रह किया कि वह सिर्फ़ अपराधियों की पहचान ही न करे बल्कि यह भी जांचे कि ऐसे हमले बढ़ क्यों रहे हैं और क्या सुरक्षा ढांचे में कोई गहरी खामी है।

वहीं दिल्ली और एनसीआर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस ने इंटरस्टेट सीमाओं पर सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है, जबकि मेट्रो स्टेशनों और बाजारों में भी अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।


पाकिस्तान में धमाके के बाद बढ़ा तनाव, भारत पर लगे आरोप

इस्लामाबाद में हुए विस्फोट के बाद पाकिस्तान ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि इस हमले के पीछे “भारतीय प्रॉक्सीज़” का हाथ हो सकता है।
इस धमाके में 12 लोगों की मौत और कई घायल हुए हैं।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि इस तरह के हमले देश में अस्थिरता फैलाने के लिए रचे जाते हैं।

वहीं भारत ने इन आरोपों को “बिना आधार और गैर-जिम्मेदाराना” बताया है और कहा कि पाकिस्तान पहले अपने आतंकी नेटवर्क पर कार्रवाई करे, फिर आरोप लगाए।


पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव: शांति की संभावनाएँ धूमिल

इस्लामाबाद स्थित सुरक्षा विशेषज्ञ इम्तियाज़ गुल ने अल जज़ीरा से बातचीत में कहा कि जब तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान स्थित तालिबान सरकार पर पाकिस्तान में हो रहे हमलों के लिए आरोप लगाता रहेगा, तब तक दोनों देशों के बीच तनाव कम होने की संभावना बहुत कम है।

उन्होंने कहा —

“अगर तालिबान ने पाकिस्तान की मांग के अनुसार TTP (पाकिस्तान तालिबान) के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की, तो पाकिस्तान सैन्य दबाव बनाए रखेगा।”

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने भी बयान दिया कि इस्लामाबाद और दक्षिण वज़ीरिस्तान में हालिया हमलों के बाद, पाकिस्तान अफगानिस्तान के भीतर सैन्य कार्रवाई करने पर विचार कर सकता है।


तुर्किये की पहल: कूटनीतिक वार्ता की कोशिश

तुर्की राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने घोषणा की है कि उनके विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और खुफ़िया प्रमुख जल्द ही पाकिस्तान की यात्रा करेंगे ताकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच स्थायी युद्धविराम (ceasefire) पर चर्चा की जा सके।

पिछले कुछ सप्ताहों में दोनो देशों के बीच कतर और तुर्की में कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है।


अफ़गान उप-प्रधानमंत्री ने दिया सख़्त बयान

अफ़गानिस्तान के आर्थिक मामलों के उप-प्रधानमंत्री अब्दुल ग़नी बरादर ने अपने देश के व्यापारियों से कहा है कि उन्हें अब पाकिस्तान पर व्यापारिक निर्भरता कम करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान सीमाएँ बंद रखता है या व्यापारिक बाधाएँ खड़ी करता है, तो अफ़गान सरकार अब ऐसे व्यापारियों की मदद नहीं करेगी।

बरादर ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान स्थायी रूप से सीमा खुली रखने की गारंटी नहीं देता, तो अफ़गानिस्तान को नए व्यापारिक मार्ग तलाशने होंगे।


भारत में बढ़ी सुरक्षा चौकसी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

दिल्ली धमाके के बाद न सिर्फ़ भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी सतर्कता बढ़ा दी है।
अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने नागरिकों को भारत की यात्रा के दौरान सतर्क रहने की सलाह दी है।
भारतीय खुफ़िया एजेंसियाँ इस धमाके को अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले से जोड़कर भी देख रही हैं, जिसमें कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।

पत्रकार इशान गर्ग ने घटनास्थल से रिपोर्ट करते हुए कहा —

“इस धमाके ने दिल्लीवासियों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। यह राजधानी के सुरक्षा ढांचे पर सीधा सवाल है।”


मोदी काल में हुए प्रमुख बम धमाके और आतंकी हमले (2014–2025)

  1. उधमपुर हमला (2015) – जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में आतंकियों ने BSF के काफिले पर हमला किया, जिसमें कई जवान शहीद हुए।

  2. गुरदासपुर हमला (2015) – पंजाब के गुरदासपुर जिले में आतंकियों ने पुलिस थाने और बसों पर हमला किया; लंबी मुठभेड़ में कई लोगों की मौत हुई।

  3. पठानकोट एयरबेस हमला (जनवरी 2016) – पाकिस्तान से आए आतंकियों ने भारतीय वायुसेना स्टेशन पर हमला किया, छह जवान शहीद हुए।

  4. उरी हमला (सितंबर 2016) – जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकियों ने सेना के कैंप पर हमला किया; 19 जवान शहीद हुए।

  5. पुलवामा हमला (फरवरी 2019) – सबसे भयावह आतंकी हमला; फिदायीन हमले में 40 से अधिक CRPF जवान शहीद हुए।

  6. अमृतसर धमाका (2018) – निरंकारी भवन में हुए बम धमाके में कई लोगों की जान गई, पंजाब पुलिस ने इसे आतंकी साजिश बताया।

  7. श्रीनगर ग्रेनेड हमला (2019) – जम्मू-कश्मीर के लाल चौक इलाके में आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका, कई नागरिक घायल हुए।

  8. जम्मू एयरफोर्स स्टेशन ड्रोन हमला (2021) – पहली बार भारत में सैन्य ठिकाने पर ड्रोन से बम गिराए गए।

  9. राजौरी–पुंछ हमले (2022–2023) – आतंकियों ने सेना के काफिले पर कई बार हमले किए, जिसमें अनेक जवान शहीद हुए।

  10. अमरोहा और दिल्ली धमाके (2023) – दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई संदिग्ध ब्लास्ट, एनआईए जांच में आतंकी लिंक मिले।

  11. सिरसा कैंट धमाका (2024) – हरियाणा के सिरसा मिलिट्री क्षेत्र के पास हुए ब्लास्ट ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क किया।

  12. दिल्ली रेड फोर्ट कार ब्लास्ट (नवंबर 2025) – ऐतिहासिक लाल किले के पास कार विस्फोट में 13 लोगों की मौत, एनआईए ने जांच संभाली।

  13. इस्लामाबाद कार ब्लास्ट (2025) – पाकिस्तान में हुआ धमाका, पर आरोप भारतीय प्रॉक्सी नेटवर्क पर लगाया गया, जिससे तनाव और बढ़ा।


विश्लेषणात्मक टिप्पणी

इन सभी हमलों से स्पष्ट होता है कि मोदी शासन के दौरान आतंकवाद ने अपने तरीकों और तकनीकों में भारी बदलाव किया — पारंपरिक बम धमाकों से लेकर ड्रोन हमले, फिदायीन अटैक और कार ब्लास्ट जैसे नए रूप सामने आए। सरकार ने “जीरो टॉलरेंस” की नीति का दावा किया, परंतु बार-बार हुए इन धमाकों ने यह साबित किया कि सुरक्षा एजेंसियों की समन्वय कमी, खुफिया सूचना की देरी, और राजनीतिक बयानबाज़ी अक्सर वास्तविक सुरक्षा सुधारों पर भारी पड़ी।

भारत में अब तक के कुछ बड़े आतंकी हमले

वर्षस्थानमृतक संख्याविशेष विवरण
2008 (मुंबई)सीरियल ब्लास्ट्स170+आतंकियों ने कई जगहों पर हमला किया, 300 से अधिक घायल।
2008 (अहमदाबाद)17 विस्फोट56शहर के अलग-अलग हिस्सों में सिलसिलेवार धमाके।
2008 (जयपुर)9 विस्फोट70+पर्यटन क्षेत्र को निशाना बनाया गया।
2007 (हरियाणा)समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट70भारत-पाक ट्रेन में हुआ धमाका, अधिकतर पाक नागरिक मारे गए।
2006 (मालेगाँव)मस्जिद के पास विस्फोट45धार्मिक स्थल को निशाना बनाया गया।
2006 (मुंबई लोकल ट्रेन)सिलसिलेवार धमाके200+छह स्थानों पर बम फटे, देश हिल गया।
1993 (मुंबई)ब्लास्ट की श्रृंखला250+भारत के इतिहास का पहला समन्वित आतंकी हमला।
1991 (श्रीपेरंबदूर)आत्मघाती हमला15पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या।

विश्लेषण: क्या दोनों देशों में तनाव और बढ़ेगा?

विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों में धमाकों के बाद आपसी आरोप-प्रत्यारोप से तनाव और बढ़ सकता है।
अगर पाकिस्तान लगातार भारत पर उंगली उठाता रहा, और भारत जवाब में अपने सुरक्षा अभियान तेज़ करता है, तो कूटनीतिक संवाद की संभावनाएँ और कमजोर होंगी।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह समय राजनीतिक बयानबाज़ी का नहीं, बल्कि सुरक्षा सहयोग और इंटेलिजेंस शेयरिंग का है ताकि आगे ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकें।


निष्कर्ष:-

दिल्ली और इस्लामाबाद के धमाके सिर्फ़ दो शहरों की त्रासदी नहीं हैं — वे इस बात की चेतावनी हैं कि क्षेत्रीय सुरक्षा का ढाँचा कितना नाजुक हो चुका है।
जहाँ एक ओर भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सख़्त रुख़ अपना रहा है, वहीं पाकिस्तान आंतरिक और सीमा पार दोनों मोर्चों पर दबाव में है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में दोनों देश — आरोपों के बजाय — क्या साझा सुरक्षा तंत्र की दिशा में कोई कदम उठा पाते हैं या नहीं।

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