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ट्रंप की नई H-1B नीति पर हंगामा: Amazon, Microsoft और Walmart समेत दिग्गज कंपनियां नाराज़

 04 अक्टूबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा आवेदन पर $100,000 (लगभग ₹83 लाख) का नया शुल्क लगाने के फैसले ने अमेरिकी उद्योग जगत में हड़कंप मचा दिया है। तकनीकी, सेमीकंडक्टर, रिटेल और सॉफ्टवेयर क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने इस निर्णय को “अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक” बताते हुए ट्रंप प्रशासन से इस कदम पर पुनर्विचार की मांग की है।



उद्योग संगठनों की चेतावनी: विदेशी प्रतिभा का प्रवाह थम जाएगा

शुक्रवार को राष्ट्रपति ट्रंप को भेजे गए एक संयुक्त पत्र में लगभग दर्जनभर उद्योग संगठनों—जिनमें Business Software Alliance, SEMI (Semiconductor Industry Association), National Retail Federation, Entertainment Software Association और Information Technology Industry Council शामिल हैं—ने कहा कि यह नया शुल्क विदेशी कुशल पेशेवरों के लिए अमेरिका का रास्ता कठिन बना देगा।

इन संगठनों का कहना है कि अमेरिकी कंपनियां पहले से ही उच्च गुणवत्ता वाले कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण और उन्हें बनाए रखने की चुनौती झेल रही हैं। ऐसे में H-1B वीज़ा पर इतना बड़ा शुल्क लगाना उद्योग के लिए एक और झटका साबित होगा।

“हम प्रशासन से आग्रह करते हैं कि वह H-1B वीज़ा कार्यक्रम में सुधार के लिए उद्योग जगत के साथ मिलकर काम करे, न कि मौजूदा कठिनाइयों को और बढ़ाए,” — पत्र में कहा गया।


ट्रंप प्रशासन का दावा: “घोटालों पर लगाम, अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा”

व्हाइट हाउस ने इस नई नीति का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम “फर्जीवाड़े को रोकने और अमेरिकी प्रतिभा को प्राथमिकता देने” के उद्देश्य से उठाया गया है।
व्हाइट हाउस प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा,

“H-1B वीज़ा का दुरुपयोग न केवल अमेरिकी कामगारों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उन कंपनियों को भी कमजोर करता है जिन्हें वास्तव में शीर्ष प्रतिभा की जरूरत है।”

हालांकि उद्योग जगत का तर्क है कि इस शुल्क के चलते Microsoft, Amazon, Walmart, Intel, Samsung, TSMC जैसी दिग्गज कंपनियां विदेशी प्रतिभा से वंचित हो जाएंगी, जिससे अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त खतरे में पड़ सकती है।


AI, सेमीकंडक्टर और हेल्थकेयर सेक्टर पर सबसे ज्यादा असर

टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य और वित्त क्षेत्र लंबे समय से H-1B वीज़ा पर निर्भर हैं।
इन संगठनों का कहना है कि नई नीति कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, और सेमीकंडक्टर निर्माण जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी नेतृत्व को कमजोर कर देगी।

“यह नीति प्रशासन के उन लक्ष्यों को कमजोर करेगी, जिनका उद्देश्य अमेरिका को AI, विनिर्माण और ऊर्जा नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है,” — SEMI समूह ने कहा।


Walmart और प्रमुख रिटेल कंपनियों में भी चिंता

Walmart, Target, और Macy’s जैसी कंपनियों के प्रतिनिधि National Retail Federation (NRF) के बोर्ड में शामिल हैं। NRF ने अभी तक इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों ने अपने H-1B कर्मचारियों को “देश से बाहर यात्रा न करने” की सलाह दी है, ताकि वे वीज़ा नवीनीकरण की जटिलताओं से बच सकें।


कानूनी चुनौती भी शुरू

ट्रंप प्रशासन की घोषणा के दो हफ्ते बाद ही इस नीति को पहली बड़ी कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ा।
एक नर्स-स्टाफिंग एजेंसी और कई मजदूर संघों ने संघीय अदालत में याचिका दायर की है, जिसमें $100,000 शुल्क को “गैरकानूनी और असंवैधानिक” बताया गया है।

हेल्थकेयर सेक्टर का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की भारी कमी है, और H-1B वीज़ा के बिना इन पदों को भरना असंभव हो जाएगा। प्रशासन ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि चिकित्सकों के लिए कुछ मामलों में छूट (exemption) दी जा सकती है।


राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि

यह कदम ट्रंप के हालिया “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वे घरेलू उद्योग को प्रोत्साहित करने और विदेशी प्रतिभा पर निर्भरता घटाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी ऊँची वीज़ा फीस से विदेशी छात्र, वैज्ञानिक और टेक प्रोफेशनल अमेरिका आने से हिचकेंगे, जिससे आने वाले वर्षों में नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी प्रगति पर गहरा असर पड़ सकता है।

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