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हमास ने ट्रंप की शांति योजना स्वीकार की, कैदियों की रिहाई पर हामी; हथियार छोड़ने पर चुप्पी

 04 अक्टूबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

पश्चिम एशिया में चल रहे खून-खराबे और संघर्ष के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि “हमास अब शांति के लिए तैयार है”। उन्होंने इज़रायल से गाज़ा पर बमबारी तुरंत रोकने की अपील की और अपने 20 सूत्रीय शांति-प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की वकालत की।

3 अक्टूबर को गाज़ा सिटी की ओमर अल-मुख़्तार स्ट्रीट पर हुए इज़रायली हमले के बाद तेज धमाके और तबाही के दृश्य दुनिया के सामने आए। इसी बीच ट्रंप का बयान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है।


हमास का रुख: प्रशासन सौंपने और कैदियों की रिहाई पर सहमति

हमास ने ट्रंप के शांति प्रस्ताव का जवाब देते हुए संकेत दिया है कि वह गाज़ा पट्टी का प्रशासन फिलिस्तीनी तकनीकी विशेषज्ञों (technocrats) को सौंपने और सभी इज़रायली कैदियों को रिहा करने के लिए तैयार है।
हालाँकि, हमास ने अपने सबसे संवेदनशील मुद्दे – निर्सस्त्रीकरण (Disarmament) – पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसके बावजूद संगठन ने कहा है कि वह मध्यस्थों के माध्यम से “तुरंत” शांति-वार्ता में शामिल होने को तैयार है।


इज़रायली प्रतिक्रिया: बंधकों की रिहाई पर ज़ोर

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि “ट्रंप की योजना का पहला चरण सभी बंधकों की रिहाई है और इज़रायल इसके लिए तैयार है।”
लेकिन नेतन्याहू ने ट्रंप के उस महत्वपूर्ण आह्वान पर कोई टिप्पणी नहीं की जिसमें उन्होंने गाज़ा पर हमले रोकने की अपील की थी।

अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम, जो ट्रंप के क़रीबी सहयोगी माने जाते हैं, ने भी X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि वे इज़रायली प्रधानमंत्री से सहमत हैं और बंधकों की रिहाई के बाद ही शांति वार्ता संभव है।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि “बंधकों की रिहाई की दिशा में संकेत निर्णायक प्रगति का प्रतीक है। भारत टिकाऊ और न्यायपूर्ण शांति की सभी कोशिशों का समर्थन करेगा।”

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम ने ट्रंप की योजना पर असहमति जताते हुए कहा कि “अमेरिकी योजना पर हमें कई आपत्तियाँ हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकता फ़िलिस्तीनी जानें बचाना है। अरब और इस्लामी देशों का समर्थन इस योजना के सभी बिंदुओं से सहमति का प्रतीक नहीं, बल्कि रक्तपात रोकने और गाज़ा के लोगों को उनके घर लौटने का अवसर देने का प्रयास है।”


विश्लेषण: ट्रंप की योजना “संघर्ष से निकलने का रास्ता”?

पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारी ग्लेन कार्ले का मानना है कि दोनों पक्ष – इज़रायल और हमास – ट्रंप की योजना को युद्ध से निकलने का एक रास्ता मान रहे हैं।
उन्होंने कहा, “इस प्रस्ताव से लड़ाई रुक सकती है, जो अपने आप में प्रगति है। लेकिन दोनों पक्षों ने इसमें अपने-अपने लिए ‘wiggle room’ यानी व्याख्या की गुंजाइश छोड़ रखी है। हमास दबाव में है और उसके पास आगे बढ़ने का कोई विकल्प नहीं बचा। बंधकों की रिहाई उसके लिए अस्तित्व बचाने का साधन है।”


विवाद: नेतन्याहू पर ग़ैरक़ानूनी ड्रोन हमलों के आरोप

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ट्यूनीशिया में खड़े दो मानवीय सहायता जहाज़ों पर ड्रोन हमले की सीधे मंजूरी दी थी। ये हमले 8 और 9 सितंबर को हुए थे, जिनमें आगजनी हुई लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।
विशेषज्ञों के अनुसार, नागरिक जहाज़ों पर ऐसे हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हैं।


निष्कर्ष:-

 शांति की नई उम्मीद या राजनीतिक चाल?

ट्रंप का यह शांति-प्रस्ताव मध्य पूर्व की राजनीति में नई हलचल लेकर आया है। एक तरफ़ हमास की ओर से प्रशासन सौंपने और बंधकों की रिहाई की बात की जा रही है, तो दूसरी ओर इज़रायल अभी भी अपने युद्ध-लक्ष्यों पर अड़ा हुआ है।
भारत और मलेशिया जैसे देशों की प्रतिक्रियाएँ बताती हैं कि वैश्विक स्तर पर इस योजना को आंशिक समर्थन तो मिला है, लेकिन कई आपत्तियाँ भी मौजूद हैं।

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस पहल से वास्तविक युद्धविराम होता है तो यह फ़िलिस्तीनी जनता के लिए राहत लेकर आ सकता है। लेकिन अंतिम समाधान तभी संभव होगा जब दोनों पक्ष हथियारबंद संघर्ष से हटकर स्थायी शांति और न्यायपूर्ण समाधान की दिशा में बढ़ेंगे।

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