11 अक्टूबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
🔹 ट्रंप का ऐलान: “बीजिंग की आक्रामकता अस्वीकार्य”
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा,
“यह विश्वास करना मुश्किल है कि चीन ने इतना आक्रामक कदम उठाया है, लेकिन उन्होंने उठाया — और अब यह इतिहास बन गया है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि 1 नवंबर से लागू होने वाले इन नए टैरिफ़ों के साथ अमेरिका ‘किसी भी और सभी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर’ के निर्यात पर नियंत्रण भी लागू करेगा। उनका कहना है कि यह कदम बीजिंग की “असाधारण आक्रामक गतिविधियों” के जवाब में उठाया गया है।
🔹 वैश्विक बाजारों में गिरावट, निवेशकों में भय का माहौल
ट्रंप की घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई।
-
NASDAQ सूचकांक 3.6% नीचे गिरा।
-
S&P 500 में 2.7% की गिरावट दर्ज की गई।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह झटका वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को और अस्थिर कर सकता है, क्योंकि चीन पहले से ही कई दुर्लभ धातुओं और तकनीकी उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
🔹 चीन के “रेयर अर्थ मेटल” नियंत्रण पर विवाद
विवाद की शुरुआत तब हुई जब चीन ने हाल ही में दुनिया के कई देशों को दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) के निर्यात पर प्रतिबंध से जुड़ा पत्र भेजा था। ये खनिज स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, सैन्य उपकरण और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ट्रंप ने इसे लेकर कहा —
“चीन को पूरी दुनिया को ‘बंधक’ बनाकर नहीं रखना चाहिए। यह रवैया बहुत शत्रुतापूर्ण है।”
🔹 शी जिनपिंग से मुलाकात पर संकट
अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि वह अब एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन में शी जिनपिंग से नहीं मिलेंगे।
“मैं दो हफ्तों में दक्षिण कोरिया में शी जिनपिंग से मिलने वाला था, लेकिन अब शायद इसकी कोई जरूरत नहीं रह गई है,”
उन्होंने कहा।
यह मुलाकात ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद दोनों नेताओं की पहली बैठक होती।
🔹 “चीन बन रहा है शत्रुतापूर्ण” — ट्रंप
ट्रंप ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि चीन ने यह समय क्यों चुना।
“चीन में कुछ बहुत अजीब हो रहा है। वे अचानक बहुत शत्रुतापूर्ण हो गए हैं,”
उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य देशों ने भी अमेरिका से संपर्क कर चीन की ‘ट्रेड होस्टिलिटी’ पर नाराज़गी जताई है।
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले छह महीनों से अमेरिका और चीन के बीच संबंध अपेक्षाकृत सामान्य थे, खासकर TikTok की अमेरिकी इकाई पर नियंत्रण को लेकर हुई प्रगति के बाद। लेकिन अब हालात अचानक बदल गए हैं।
🔹 पुराने घाव फिर हरे: व्यापार युद्ध की वापसी
2025 की शुरुआत में ही अमेरिका और चीन के बीच एक ‘टैरिफ वॉर’ शुरू हुआ था, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग ठप पड़ गया था। हालांकि बाद में तनाव कम हुआ, लेकिन यह सुलह बेहद नाज़ुक रही।
अब ट्रंप के नए कदम से यह समझा जा रहा है कि ट्रेड वार फिर पूरी ताकत से लौट आई है।
🔹 चीन का पलटवार: अमेरिकी जहाज़ों पर ‘स्पेशल पोर्ट फीस’
ट्रंप की घोषणा से पहले ही चीन ने अमेरिका के खिलाफ “स्पेशल पोर्ट फीस” लगाने का ऐलान किया था। यह शुल्क उन जहाज़ों पर लागू होगा जो अमेरिका में निर्मित हैं या अमेरिकी कंपनियों द्वारा संचालित हैं।
🔹 अमेरिका का अगला कदम: चीनी उत्पादों पर सख्त निगरानी
इसी बीच अमेरिकी फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (FCC) ने दावा किया है कि उसने “लाखों चीनी अवैध उत्पादों” की ऑनलाइन लिस्टिंग को हटाया है।
FCC प्रमुख ब्रेंडन कार ने कहा,
“चीनी कम्युनिस्ट पार्टी एक बहु-आयामी अभियान के तहत असुरक्षित डिवाइस अमेरिकी घरों और व्यवसायों में घुसा रही है।”
🔹 राजनीतिक पृष्ठभूमि और चुनावी गणित
विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला ट्रंप की चुनावी रणनीति का भी हिस्सा है। अमेरिकी किसान और औद्योगिक वर्ग, जो 2024 में ट्रंप की जीत के लिए अहम वोट बैंक रहे, चीन से आने वाले सस्ते आयात और कृषि निर्यात पर निर्भर हैं। ट्रंप चाहते हैं कि चीन अधिक अमेरिकी सोयाबीन खरीदे, जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था को राहत मिले।
