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Israel Hamas Ceasefire 2025: इज़राइल ने ट्रंप की शांति योजना को दी मंज़ूरी, हमास के बंधकों की रिहाई पर बनी सहमति

10 अक्टूबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

दो वर्षों से जारी खूनी गाज़ा युद्ध के बीच एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। इज़राइल की कैबिनेट ने शुक्रवार तड़के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में तैयार किए गए युद्धविराम और बंधक रिहाई समझौते के “खाके” (Outline) को मंज़ूरी दे दी है। यह वह प्रस्ताव है जो संभवतः मध्य पूर्व में शांति की एक नई उम्मीद जगाने जा रहा है।

गाज़ा युद्ध की भयावह कीमत

अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा किए गए हमले से शुरू हुआ यह संघर्ष अब तक 67,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों की जान ले चुका है, जबकि 1,200 इज़राइली नागरिकों की मौत हमास के शुरुआती हमले में हुई थी। लगभग 1.7 लाख लोग घायल हुए हैं और गाज़ा का बड़ा हिस्सा खंडहर में बदल चुका है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि गाज़ा के कई हिस्सों में अकाल की स्थिति बन चुकी है।

दुनिया भर में उठ रहे युद्धविराम के स्वर अब आखिरकार किसी नतीजे की ओर बढ़ते दिख रहे हैं।


ट्रंप की मध्यस्थता से बनी “शांति की डोर”

वॉशिंगटन, काहिरा और दोहा में महीनों से चल रही वार्ताओं का नतीजा यह हुआ कि ट्रंप प्रशासन ने एक चरणबद्ध युद्धविराम योजना तैयार की — जिसमें सबसे पहले बंधकों की रिहाई, फिर सीमित सैनिक वापसी और अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण तंत्र की स्थापना शामिल है।

इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आधिकारिक बयान में कहा कि कैबिनेट ने “बंधक रिहाई के खाके” को मंज़ूरी दी है, जबकि अन्य राजनीतिक मसलों पर वार्ता जारी रहेगी।

हमास की ओर से वरिष्ठ नेता खलील अल-हय्या ने गुरुवार को कहा —

“हमने अपने लोगों के खिलाफ चल रहे युद्ध और आक्रमण को समाप्त करने के लिए समझौता कर लिया है। अब हमारा लक्ष्य आत्मनिर्णय और स्वतंत्र फ़िलिस्तीन राज्य की स्थापना है।”


समझौते के मुख्य बिंदु

  1. बंधकों की रिहाई:
    हमास सभी जीवित बंधकों को आने वाले दिनों में रिहा करेगा। इज़राइल के अनुसार, अब भी लगभग 48 बंधक गाज़ा में हैं, जिनमें से 20 के जीवित होने की पुष्टि है।

  2. फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई:
    इज़राइल लगभग 2,000 फ़िलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा, जिनमें महिलाएँ और बच्चे शामिल होंगे।

  3. सीमाओं का खुलना:
    पाँच प्रमुख सीमा चौकियाँ, जिनमें रफ़ा बॉर्डर (मिस्र) शामिल है, पुनः खोली जाएँगी ताकि मानवीय सहायता पहुँच सके।

  4. सैन्य वापसी:
    इज़राइल धीरे-धीरे गाज़ा के अधिकांश हिस्सों से हटेगा, परंतु अपनी सीमाओं के पास सुरक्षा उपस्थिति बनाए रखेगा।

  5. अंतरराष्ट्रीय निगरानी:
    लगभग 200 अमेरिकी सैनिकों सहित अरब और मुस्लिम देशों के सैनिकों से बनी एक अंतरराष्ट्रीय टीम इस युद्धविराम की निगरानी करेगी।

  6. पुनर्निर्माण अभियान:
    अमेरिका के नेतृत्व में गाज़ा पुनर्निर्माण कोष बनाया जाएगा, जिसमें अरब देशों और यूरोपीय संघ का योगदान रहेगा।


मिश्रित प्रतिक्रियाएँ: ख़ुशी, डर और अविश्वास

तेल अवीव में “होस्टेज स्क्वायर” पर लोगों ने झंडे लहराए और ट्रंप के चेहरे वाले मास्क पहनकर खुशी मनाई।
बंधक परिवारों ने शैम्पेन खोलकर राहत की साँस ली।

“दो साल से हम भय में जी रहे थे। आज हमारी उम्मीद लौट आई है,” — शेरोन कनोट, एक बंधक की बहन ने कहा।

लेकिन गाज़ा के खान यूनिस में माहौल कुछ अलग था।

“हमें खुशी है कि युद्ध रुका, पर हमने बहुत कुछ खोया है — अपने घर, अपने लोग, अपने सपने,” — मोहम्मद अल-फ़र्राह, एक स्थानीय निवासी ने कहा।
उनके शब्द गाज़ा के हर तबाह मकान के साथ गूंज रहे थे।


राजनीतिक निहितार्थ: नेतन्याहू पर नया दबाव

नेतन्याहू की राजनीतिक स्थिति इस सौदे से जटिल हो गई है।
उनकी सरकार की रीढ़ बने दक्षिणपंथी गठबंधन लंबे समय से “हमास के पूर्ण उन्मूलन” की मांग करते रहे हैं।
लेकिन अब युद्धविराम के बाद उन पर आंतरिक विरोध और अंतरराष्ट्रीय उम्मीदों का दोहरा दबाव होगा।

ट्रंप ने इस अवसर पर नेतन्याहू के पक्ष में कहा —

“वह अब पाँच दिन पहले से कहीं अधिक लोकप्रिय हैं। लोग उनके खिलाफ चुनाव लड़ने से पहले दो बार सोचेंगे।”


आगे का रास्ता: क्या यह शांति टिकेगी?

विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल एक “पहला कदम” है।
समझौते के कई पहलू — जैसे हमास का निरस्त्रीकरण, गाज़ा की भविष्य की प्रशासनिक संरचना, और फ़िलिस्तीन राज्य की मान्यता — अभी अनिश्चित हैं।

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय प्रमुख टॉम फ़्लेचर ने कहा कि 1.7 लाख टन राहत सामग्री तैयार है और “ग्रीन सिग्नल मिलते ही” गाज़ा भेजी जाएगी।

ट्रंप की योजना के तहत फिलिस्तीनी प्राधिकरण (Palestinian Authority) को भी भविष्य में भूमिका दी जा सकती है, हालांकि नेतन्याहू इससे सहमत नहीं माने जाते।


निष्कर्ष:-

 दो साल बाद उम्मीद की किरण

गाज़ा की राख के बीच से शांति की पहली किरण झलक रही है।
हालांकि इतिहास बताता है कि इस क्षेत्र में हर युद्ध विराम उतना ही नाजुक होता है जितनी वहाँ की दीवारें, फिर भी यह समझौता एक बड़ी शुरुआत है —
एक ऐसा मोड़ जहाँ खून से लथपथ ज़मीन पर शायद अब नई ज़िंदगी बोई जा सके।

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