14 अक्टूबर 2025 ✍🏻 Z S Razzaqi | वरिष्ठ पत्रकार
घटना का पृष्ठभूमि: एक सीनियर अधिकारी की संदिग्ध मौत
7 अक्टूबर को हरियाणा के रोहतक स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (PTC) में तैनात 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरण कुमार (52) का शव उनके चंडीगढ़ स्थित आवास से बरामद किया गया था। पुलिस के अनुसार, उनकी मौत गोली लगने से हुई और इसे प्रारंभिक जांच में आत्महत्या बताया गया। लेकिन उनकी जेब से बरामद एक ‘सुसाइड नोट’ ने पूरे मामले को सनसनीखेज मोड़ दे दिया।
उस नोट में पूरण कुमार ने राज्य के DGP शत्रुजीत कपूर और पूर्व रोहतक SP नरेंद्र बिजारनिया का नाम लेते हुए आरोप लगाया था कि दोनों अधिकारियों ने उन्हें लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश रची। इसी कथित उत्पीड़न को उन्होंने आत्महत्या की वजह बताया।
परिवार का विरोध: “जब तक दोषियों की गिरफ्तारी नहीं होगी, पोस्टमार्टम नहीं”
मृतक अधिकारी की पत्नी अमनीत पी. कुमार, जो स्वयं एक वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं, ने साफ़ शब्दों में कहा है कि जब तक दोनों आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वह शव का पोस्टमार्टम नहीं होने देंगी। यही कारण है कि अधिकारी की मौत के आठ दिन बाद भी शव का ऑटोप्सी (Autopsy) नहीं हो सका है।
राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री चंडीगढ़ स्थित अमनीत कुमार के सरकारी आवास पर उनसे मिलने पहुंचे, ताकि उन्हें पोस्टमार्टम के लिए राज़ी किया जा सके, लेकिन अब तक परिवार ने कोई सहमति नहीं दी है।
राजनीतिक हलचल और जांच में तेजी की मांग
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी उबाल ला दिया है। विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर दबाव बनाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आज (14 अक्टूबर) मृत अधिकारी के परिवार से मुलाकात करने वाले हैं। वहीं हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला” बताया है।
SIT की कार्रवाई: पत्नी से आग्रह, दस्तावेज़ मांगे गए
चंडीगढ़ पुलिस ने सोमवार (13 अक्टूबर) को जानकारी दी कि इस मामले की जांच के लिए गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने अमनीत कुमार को पत्र भेजकर उनसे शव की पहचान और पोस्टमार्टम कराने की अपील की है, ताकि जांच में तेजी लाई जा सके।
SIT ने हरियाणा सरकार से भी इस मामले से जुड़े जरूरी दस्तावेज़ और संचार रिकॉर्ड मुहैया कराने का अनुरोध किया है।
‘Justice for Y. Puran Kumar’ समिति की मांग
इस बीच मृतक अधिकारी के समर्थन में एक 31 सदस्यीय समिति — ‘Justice for Y. Puran Kumar’ — गठित की गई है। इस समिति ने दो टूक कहा है कि जब तक DGP शत्रुजीत कपूर और पूर्व रोहतक SP नरेंद्र बिजारनिया को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक यह मामला न्याय की दिशा में आगे नहीं बढ़ सकता।
समिति के सदस्य गुरमेल धाबी ने कहा, “जब FIR दर्ज हो चुकी है, तो फिर गिरफ्तारी में देरी क्यों? अगर आरोपी गिरफ्तार नहीं किए जाते, तो एफआईआर का कोई मतलब नहीं रहेगा।”
राज्य सरकार पर बढ़ता दबाव
हरियाणा सरकार अब इस संवेदनशील मामले को लेकर अभूतपूर्व दबाव में है। DGP को छुट्टी पर भेजना इस दबाव का पहला बड़ा संकेत माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सरकार फिलहाल जांच की दिशा बदलने या मामले को उच्च स्तर की एजेंसी — संभवतः CBI या केंद्रीय पुलिस आयोग — को सौंपने पर विचार कर रही है।
निष्कर्ष:-
एक अफसर की मौत, कई सवाल जिंदा
वाई. पूरण कुमार की मौत ने हरियाणा पुलिस और प्रशासनिक ढांचे की कार्यसंस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक सीनियर अधिकारी का सुसाइड नोट में अपने ही उच्च अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि सिस्टम के भीतर छिपे दबाव और शक्ति के असंतुलन की ओर भी इशारा करता है।
अब पूरा देश और राज्य की जनता इस बात पर नज़र रखे हुए है कि क्या वाकई इस अफसर को न्याय मिलेगा — या फिर यह मामला भी फाइलों और राजनीतिक दबावों के बीच दफन हो जाएगा।
