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अफ़ग़ानिस्तान में 5.0 तीव्रता का भूकंप, कश्मीर घाटी तक महसूस हुए झटके

 22 अक्टूबर 2025 ✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार    

अफ़ग़ानिस्तान में मंगलवार देर रात 5.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके झटके जम्मू-कश्मीर घाटी तक महसूस किए गए। भारतीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre for Seismology - NCS) के अनुसार, यह भूकंप रात 11 बजकर 44 मिनट 48 सेकंड (भारतीय मानक समय) पर दर्ज किया गया। इसका केंद्र (Epicentre) अफ़ग़ानिस्तान में अक्षांश 36.49° उत्तर और देशांतर 71.18° पूर्व पर था तथा इसकी गहराई 220 किलोमीटर मापी गई।

भूकंप के प्रभाव और स्थान

NCS द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल से 279 किलोमीटर उत्तर-पूर्व, ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से 312 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, पाकिस्तान के इस्लामाबाद से 355 किलोमीटर उत्तर-उत्तर पश्चिम, गुलमर्ग से 397 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम तथा श्रीनगर से लगभग 423 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित था।

हालांकि, राहत की बात यह रही कि जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में किसी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
कश्मीर घाटी में रात के समय आए इस भूकंप से लोगों में थोड़ी दहशत जरूर फैली, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इतनी गहराई पर आए झटकों का सतही असर सीमित रहता है।


लगातार भूकंपीय गतिविधि: अफ़ग़ानिस्तान में एक महीने में पांचवां झटका

यह भूकंप उस समय आया जब कुछ घंटे पहले ही मंगलवार की सुबह अफ़ग़ानिस्तान में 4.3 तीव्रता का एक और झटका दर्ज किया गया था। इस भूकंप की गहराई 110 किलोमीटर थी और इसका केंद्र अक्षांश 36.35° उत्तर तथा देशांतर 70.86° पूर्व पर था।
इससे पहले 17 अक्टूबर 2025 को उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था।
इस प्रकार, यह पिछले एक महीने के भीतर पाँचवाँ भूकंप है जिसने इस क्षेत्र की भूकंपीय अस्थिरता को एक बार फिर रेखांकित किया है।


भूकंप का भूगर्भीय कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी भारत का इलाक़ा “इंडियन और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट्स” (Indian–Eurasian Tectonic Plates) के मिलन बिंदु पर स्थित है।
यही प्लेट टकराव (collision zone) इस क्षेत्र को लगातार भूकंपीय गतिविधियों के प्रति संवेदनशील बनाता है।

इस क्षेत्र में स्थित प्रांत — बलूचिस्तान, खैबर पख़्तूनख़्वा और गिलगित-बाल्तिस्तान — यूरेशियन प्लेट के दक्षिणी किनारे पर हैं, जबकि सिंध और पंजाब भारतीय प्लेट के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित हैं।
यह भूगर्भीय टकराव इन क्षेत्रों को मध्यम से तीव्र भूकंपों के लिए संवेदनशील बनाता है।

बलूचिस्तान का इलाक़ा तो अरबियन और यूरेशियन प्लेट्स के सक्रिय संपर्क क्षेत्र के पास आता है, जिससे यहां गहराई वाले और शक्तिशाली भूकंप की संभावना बनी रहती है।


कश्मीर और उत्तर भारत के लिए चेतावनी संकेत

विशेषज्ञों के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में आने वाले गहरे भूकंपों के झटके कश्मीर, हिमाचल और दिल्ली तक महसूस किए जा सकते हैं।
हालांकि इतनी गहराई वाले झटके आमतौर पर भारी तबाही नहीं मचाते, लेकिन यह भूगर्भीय असंतुलन का संकेत जरूर देते हैं।

कश्मीर विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग के एक प्रोफेसर के अनुसार,

“इस तरह के बार-बार आने वाले गहरे भूकंप यह दर्शाते हैं कि प्लेटों में तनाव लगातार बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में यदि यह ऊर्जा सतह के पास मुक्त होती है, तो बड़े भूकंप की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।”


लोगों में दहशत लेकिन नुकसान नहीं

भूकंप के समय कश्मीर घाटी के कई इलाकों — विशेषकर बारामुला, कुपवाड़ा, गुलमर्ग और श्रीनगर — में झटके महसूस किए गए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हल्के झटके आने पर घरों के दरवाज़े और खिड़कियाँ हिलने लगीं। हालांकि किसी भी प्रकार के नुकसान की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।


भविष्य के लिए तैयारी जरूरी

अफ़ग़ानिस्तान और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में बार-बार आने वाले भूकंप यह याद दिलाते हैं कि भूकंपीय तैयारी (Seismic Preparedness) बेहद आवश्यक है।
भवन निर्माण में भूकंपरोधी डिज़ाइन, आपातकालीन अलर्ट सिस्टम और जनजागरूकता कार्यक्रम इन इलाकों में भविष्य के नुकसानों को कम कर सकते हैं।


निष्कर्ष:-

अफ़ग़ानिस्तान में मंगलवार रात आया 5.0 तीव्रता का भूकंप भले ही किसी बड़े नुकसान का कारण नहीं बना, लेकिन यह स्पष्ट संकेत देता है कि हिंदूकुश पर्वतीय क्षेत्र और उससे सटे इलाक़े लगातार भूगर्भीय अस्थिरता के दौर में हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह क्षेत्र विश्व के सबसे सक्रिय भूकंपीय जोनों में से एक है, और यहां किसी भी समय बड़ा भूकंप आने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

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