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Donald Trump nominated for Nobel Peace Prize 2025:एक राजनीतिक और नैतिक विश्लेषण

 09 अक्टूबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

परिचय : नोबेल नामांकन जिसने दुनिया को चौंका दिया

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है — नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के लिए उनका नामांकन।
यह नामांकन उस समय आया है जब विश्व राजनीति गहरी विभाजन रेखाओं, युद्धों और नेतृत्व संकट से जूझ रही है।

ट्रम्प के समर्थक इसे “उनकी कूटनीतिक उपलब्धियों की स्वीकृति” मानते हैं, जबकि आलोचक इसे “राजनीतिक प्रचार” से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। सवाल यह है — क्या ट्रम्प वाकई उन अमेरिकी राष्ट्रपतियों की कतार में शामिल हो सकते हैं जिन्होंने विश्व शांति में उल्लेखनीय योगदान दिया?



नोबेल शांति पुरस्कार का मूल दर्शन

नोबेल पुरस्कार की शुरुआत अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत से हुई थी। उनका उद्देश्य था — “उन व्यक्तियों या संगठनों को सम्मानित करना जिन्होंने राष्ट्रों के बीच शांति और मानवता की सेवा में उत्कृष्ट योगदान दिया हो।”
हर साल नॉर्वे की संसद द्वारा नियुक्त नोबेल कमेटी यह निर्णय लेती है कि पुरस्कार किसे मिलेगा।

परंतु यह प्रक्रिया केवल नामांकन से आगे बढ़कर उस व्यक्ति के वास्तविक कार्यों, उनके वैश्विक प्रभाव और स्थायी परिणामों पर आधारित होती है।


अमेरिकी राष्ट्रपतियों और नोबेल का इतिहास

अब तक चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों को नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है —

  1. थियोडोर रूजवेल्ट (1906) — रूस-जापान युद्ध के अंत में मध्यस्थता के लिए।

  2. वुड्रो विल्सन (1919) — लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना के लिए।

  3. जिमी कार्टर (2002) — मध्य पूर्व शांति समझौते के लिए।

  4. बराक ओबामा (2009) — वैश्विक कूटनीति और बहुपक्षीय सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए।

इनमें से अधिकांश नेताओं ने अपने कार्यों के माध्यम से वास्तविक और स्थायी शांति की नींव रखी। सवाल यह है — क्या ट्रम्प का रिकॉर्ड इस परंपरा से मेल खाता है?


ट्रम्प का दावा : “मैंने सात युद्ध खत्म किए”

ट्रम्प स्वयं को “शांति के निर्माता” के रूप में पेश करते रहे हैं।
हाल ही में उन्होंने एक मीडिया बातचीत में कहा:

“मुझे नहीं पता वे इसे देंगे या नहीं, लेकिन हमने सात युद्ध खत्म किए, और आठवां खत्म करने के करीब थे। शायद उन्हें कोई कारण मिल जाए।”

उनके समर्थक अब्राहम एकॉर्ड्स (Abraham Accords) को उनका सबसे बड़ा योगदान मानते हैं — जिसमें इस्राइल और कई अरब देशों (यूएई, बहरीन, मोरक्को) के बीच राजनयिक संबंध बहाल हुए।

परंतु आलोचक कहते हैं कि यह शांति सीमित क्षेत्रीय स्तर पर रही और वैश्विक शांति पर इसका प्रभाव बहुत सीमित रहा।


ट्रम्प की विदेश नीति : शांति या ध्रुवीकरण?

ट्रम्प के कार्यकाल (2017–2021) को अगर तटस्थ दृष्टि से देखा जाए तो इसमें कुछ उपलब्धियां थीं, परंतु कई विवाद भी रहे।

  • उन्होंने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन से सीधे संवाद शुरू किया, जो ऐतिहासिक कदम था।

  • लेकिन ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) से हटने के फैसले ने मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा दिया।

  • पेरिस जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका की वापसी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों से अलग-थलग कर दिया।

इन निर्णयों ने ट्रम्प की छवि को “राष्ट्रवादी” नेता के रूप में तो मजबूत किया, लेकिन “वैश्विक शांति निर्माता” की परिभाषा से दूर कर दिया।


नोबेल कमेटी की कसौटी पर ट्रम्प की स्थिति

नोबेल शांति पुरस्कार केवल “इरादों” के आधार पर नहीं दिया जाता, बल्कि “परिणामों” पर आधारित होता है।
ट्रम्प की नीतियाँ अक्सर अल्पकालिक राजनीतिक लाभों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहीं, जिनमें स्थायी वैश्विक शांति के ठोस परिणाम नहीं दिखे।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प की दावेदारी कमजोर है क्योंकि —

  1. उनकी “मध्यस्थता योजनाएँ” औपचारिक रूप से किसी स्थायी समझौते में नहीं बदल सकीं।

  2. कई बार उनके बयान और निर्णयों ने वैश्विक तनाव बढ़ाया।

  3. उनकी नीति “अमेरिका फर्स्ट” थी, न कि “वर्ल्ड पीस फर्स्ट।”


नामांकन का अर्थ : जीत की गारंटी नहीं

हर साल लगभग 300 से अधिक नामांकन नोबेल कमेटी को मिलते हैं। इनमें से कई चर्चित व्यक्ति और संस्थाएँ शामिल होती हैं।
नामांकन किसी व्यक्ति की “मान्यता” नहीं, बल्कि “विचाराधीन सूची” का हिस्सा होता है।

कई बार राजनीतिक कारणों से भी नामांकन होता है, लेकिन निर्णय प्रक्रिया बेहद गोपनीय और स्वतंत्र रहती है।
ट्रम्प के मामले में नामांकन तो हुआ है, लेकिन यह उनकी जीत की संभावना को सुनिश्चित नहीं करता।


राजनीतिक विश्लेषण : नोबेल या चुनाव प्रचार?

कई विश्लेषकों का मानना है कि यह नामांकन ट्रम्प की 2025 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
नोबेल जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार का उल्लेख उनके “वैश्विक नेतृत्व” की छवि को मजबूत करता है।

ट्रम्प समर्थक मीडिया इस मुद्दे को “पश्चिमी एलिटिज़्म” बनाम “अमेरिकी राष्ट्रवाद” के प्रतीक के रूप में पेश कर रहा है।
वहीं, आलोचक इसे एक “प्रचारात्मक हथियार” के रूप में देखते हैं, न कि वास्तविक शांति पहल के रूप में।


क्या ट्रम्प वाकई नोबेल क्लब में शामिल हो सकते हैं?

अगर इतिहास को मापदंड माना जाए, तो नोबेल कमेटी आमतौर पर उन नेताओं को पुरस्कृत करती है जिन्होंने युद्ध, संघर्ष या मानवीय संकट में वास्तविक समाधान दिए हों।
ट्रम्प के रिकॉर्ड में कुछ कूटनीतिक पहलें हैं, परंतु उनका शांति योगदान स्थायित्व और सर्वस्वीकृति दोनों से दूर है।

फिलहाल अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि उनकी जीत की संभावना बेहद कम है, हालांकि नामांकन ने बहस को ज़रूर जन्म दिया है।


निष्कर्ष:-

 शांति का पुरस्कार या राजनीति की परीक्षा

डोनाल्ड ट्रम्प के नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के नामांकन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शांति और राजनीति के बीच की रेखा कितनी धुंधली हो चुकी है।
जहाँ कुछ लोग उन्हें “दुनिया को युद्ध से बचाने वाला” मानते हैं, वहीं अन्य के अनुसार उनका कार्यकाल “अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से दूरी और नीतिगत विभाजन” से भरा रहा।

नोबेल कमेटी अब एक कठिन निर्णय के सामने है — क्या वह इस नामांकन को एक “कूटनीतिक साहस” के रूप में देखेगी या “राजनीतिक प्रतीकवाद” के रूप में?

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