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गाज़ा में उम्मीद की पहली किरण: ट्रंप की मध्यस्थता से इज़रायल-हमास युद्धविराम समझौते की घोषणा, पर अब असली परीक्षा बाकी

  09 अक्टूबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

वॉशिंगटन/तेल अवीव/गाज़ा – दो वर्षों से जलते गाज़ा के आसमान में पहली बार शांति की एक हल्की किरण दिखाई दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि इज़रायल और हमास के बीच युद्धविराम और कैदियों की रिहाई को लेकर पहले चरण का समझौता हो गया है। यह समझौता ट्रंप के 20-सूत्रीय शांति प्रस्ताव का हिस्सा है, जिसे उन्होंने पिछले सप्ताह पेश किया था।

ट्रंप ने इस घोषणा को “मिडल ईस्ट में एक नए दौर की शुरुआत” बताया है, जबकि दुनिया भर में इसे एक संभावित “ऐतिहासिक मोड़” के रूप में देखा जा रहा है — हालांकि कई विशेषज्ञ मानते हैं कि असली चुनौती अब शुरू होगी, जब युद्धविराम की शर्तों को ज़मीन पर लागू करना होगा।



ट्रंप की ‘मिडल ईस्ट पीस रोडमैप’: युद्धविराम का पहला पड़ाव

राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर बुधवार रात 23:17 GMT पर घोषणा की कि दोनों पक्षों ने पहले चरण के लिए सहमति दे दी है।
इस चरण में शामिल प्रमुख बिंदु हैं —

  • सभी इज़रायली बंदियों और फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की शीघ्र रिहाई।

  • इज़रायल की सेना का एक तय सीमा रेखा तक पीछे हटना

  • दोनों पक्षों द्वारा स्थायी शांति की दिशा में सहयोग

  • सभी पक्षों को “न्यायसंगत व्यवहार” का आश्वासन।

ट्रंप ने इस मौके पर क़तर, मिस्र और तुर्की की मध्यस्थता की भूमिका की प्रशंसा की और कहा कि यह “लंबे समय से चले आ रहे एक खूनी अध्याय को समाप्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम” है।


समझौते के बाद भी अनिश्चितता बरकरार

हालांकि इस घोषणा से शांति की उम्मीदें जगी हैं, लेकिन अभी कई अहम सवालों के जवाब बाकी हैं —
क्या इज़रायल वाकई सेना पीछे हटाएगा?
क्या हमास अपने हथियार रख देगा?
और क्या गाज़ा की भावी प्रशासनिक संरचना पर सहमति बनेगी?

अल-जज़ीरा के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मारवान बिशारा ने कहा कि,

“अभी यह समझौते की शुरुआत भर है। असली परीक्षा तब होगी जब दोनों पक्ष वास्तविक अमल की ओर बढ़ेंगे। इज़रायल चाहता है कि हमास पूरी तरह निरस्त्र हो, जबकि हमास युद्ध के स्थायी अंत की गारंटी चाहता है।”


कैदियों की रिहाई कब होगी?

ट्रंप ने अमेरिकी टीवी नेटवर्क Fox News को बताया कि “सभी कैदियों को सोमवार तक रिहा कर दिया जाएगा।”
वहीं हमास के सूत्रों के अनुसार, इज़रायली सरकार की मंज़ूरी के 72 घंटे के भीतर प्रक्रिया शुरू होगी।
इज़रायल की ओर से संकेत मिला है कि यह प्रक्रिया शनिवार से प्रारंभ हो सकती है।

अब तक की जानकारी के मुताबिक, लगभग 20 इज़रायली बंदी जिंदा हैं, जबकि 250 लोगों को हमास ने 7 अक्टूबर 2023 के हमले के दौरान बंधक बनाया था, जिसमें 1,100 से अधिक लोग मारे गए थे।


इज़रायल और हमास की प्रतिक्रियाएँ

इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस समझौते को “इज़रायल के लिए एक महान दिन” बताया। उन्होंने ट्रंप और उनकी टीम को “बंधकों की मुक्ति के इस पवित्र मिशन में अथक समर्पण” के लिए धन्यवाद दिया।

दूसरी ओर, हमास ने बयान जारी कर कहा कि,

“यह समझौता गाज़ा पर जारी युद्ध के अंत, इज़रायली सेना की वापसी, मानवीय सहायता की अनुमति और कैदी अदला-बदली सुनिश्चित करता है।”

हमास ने यह भी जोड़ा कि “हम अपने राष्ट्रीय अधिकारों से पीछे नहीं हटेंगे — आज़ादी, स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।”


गाज़ा में लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

गाज़ा में यह घोषणा खुशी और सतर्कता — दोनों भावनाओं का संगम लेकर आई।
अल-जज़ीरा के संवाददाता तारेक अबू अज़्ज़ूम ने बताया कि “दो साल की तबाही और विस्थापन के बाद लोग अब राहत की सांस लेना चाहते हैं। मगर उन्हें अब भी डर है कि यह युद्धविराम अस्थायी न साबित हो।”

गाज़ा के केंद्रीय शहर दीर अल-बलाह में लोगों ने राहत के नारे लगाए, जबकि कई परिवार अभी भी अपने घरों की तबाही देख रहे हैं और लापता प्रियजनों की खबर की प्रतीक्षा में हैं।


विश्व नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने इसे “बहुत आवश्यक कूटनीतिक सफलता” बताया और अमेरिका, क़तर, मिस्र और तुर्की के प्रयासों की सराहना की।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीयर स्टारमर ने कहा कि “ट्रंप योजना के पहले चरण को पूर्ण रूप से और बिना देरी लागू किया जाना चाहिए।”
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई कि “बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता से गाज़ा के लोगों को राहत मिलेगी और यह स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।”

न्यूज़ीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने कहा कि “यह शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहला कदम है, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को अपने वादे निभाने होंगे।”


आगे क्या होगा?

नेतन्याहू ने घोषणा की है कि वह इस समझौते को गुरुवार को अपनी कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखेंगे।
यदि यह पास हो जाता है, तो इज़रायली सेना 72 घंटे में पीछे हटना शुरू करेगी, जिसके बाद हमास कैदियों को रिहा करेगा।

ट्रंप स्वयं अगले कुछ दिनों में मिस्र की यात्रा पर जा सकते हैं, जहाँ वे मध्यस्थ देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे।
इसके अलावा, नेतन्याहू ने उन्हें इज़रायल की संसद (कनेसट) को संबोधित करने के लिए भी आमंत्रित किया है।

ट्रंप की योजना के दूसरे चरण में “बोर्ड ऑफ पीस” नामक एक अंतरराष्ट्रीय संस्था बनाई जाएगी जो गाज़ा के पुनर्निर्माण और प्रशासन की निगरानी करेगी। इस बोर्ड की अध्यक्षता स्वयं ट्रंप करेंगे, जबकि इसमें टोनी ब्लेयर जैसे वैश्विक नेता भी शामिल होंगे।


लेकिन चुनौतियाँ अब भी बरकरार हैं

अमेरिकी अधिकार संगठन DAWN के निदेशक माइकल शैफ़र ओमर-मान के अनुसार,

“अब तक हर युद्धविराम का इज़रायल ने उल्लंघन किया है। यह देखना होगा कि क्या इस बार वह शर्तों का पालन करेगा, सहायता और व्यापारिक गतिविधियों को फिर से शुरू होने देगा या नहीं।”

यह भी चिंता जताई जा रही है कि अगर ट्रंप को जल्द ही नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, तो कहीं यह प्रक्रिया फिर से राजनीतिक विवादों में न उलझ जाए।


निष्कर्ष:-

 शांति की ओर लंबा रास्ता

गाज़ा की बर्बाद गलियों में अगर इस समझौते से उम्मीद का दीया जलता है, तो यह इंसानियत की जीत होगी। लेकिन यह भी सच है कि कागज़ पर हुई संधि तब तक वास्तविक नहीं होती जब तक ज़मीन पर गोलियाँ थम न जाएँ।

ट्रंप की इस पहल ने मध्य पूर्व में शांति की नई चर्चा छेड़ दी है। लेकिन क्या यह ‘ट्रंप डील’ इतिहास में एक स्थायी अध्याय बनेगी या एक और असफल कोशिश — इसका जवाब आने वाले कुछ हफ्तों में तय होगा।

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