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महागठबंधन में दरार की अफवाहें: BJP का प्रचार तंत्र सक्रिय, विपक्ष बोला — "हम पूरी तरह एकजुट हैं"

 पटना | 29 अक्टूबर 2025 | रिपोर्ट — Z S Razzaqi | गहन विश्लेषणात्मक रिपोर्ट

बिहार विधानसभा चुनावों में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नज़दीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक बयानबाज़ी और प्रोपेगेंडा की गूंज तेज़ होती जा रही है। इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर कुछ टीवी चैनलों तक, एक सुनियोजित अफवाह फैलाई जा रही है कि विपक्षी महागठबंधन में दरार पड़ चुकी है। लेकिन ज़मीनी सच्चाई इसके ठीक उलट है। गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने इसे साफ़ तौर पर “BJP का रचा हुआ भ्रम फैलाने वाला अभियान” बताया है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं को गुमराह करना और विपक्षी एकता को कमजोर दिखाना है।



BJP की ‘डिसइंफॉर्मेशन स्ट्रेटेजी’ — भ्रम फैलाने की नई चाल

विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में अपनी पारंपरिक रणनीति यानी “डिवाइड एंड डिस्ट्रैक्ट पॉलिटिक्स” का प्रयोग कर रही है।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कुछ ऐसे वीडियो और फर्जी इंटरव्यू वायरल किए गए, जिनमें दावा किया गया कि महागठबंधन के भीतर मतभेद हैं — ख़ासकर RJD, कांग्रेस, वामदलों और JDU (शरद गुट) के बीच।

सच्चाई यह है कि ये वीडियो या तो पुराने हैं या फिर AI-Generated Deepfake कंटेंट के ज़रिए बनाए गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि BJP का आईटी सेल इस तरह के कंटेंट को बढ़ावा देकर यह दिखाना चाहता है कि विपक्षी दलों के बीच कोई आंतरिक संघर्ष चल रहा है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ऐसा संकेत नहीं है।

तेजस्वी यादव का बयान — “हम सब एक मंच पर, एक सोच के साथ”

राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा,

“BJP की कोशिश सिर्फ यही है कि जनता का ध्यान बेरोजगारी, महंगाई, किसान संकट और भ्रष्टाचार से हटाया जाए। महागठबंधन पहले से ज़्यादा मज़बूत है। हम एक परिवार की तरह एकजुट हैं, और जनता को असली मुद्दों पर साथ लेकर चल रहे हैं।”

तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के इशारे पर कुछ मीडिया हाउस “प्रोपेगेंडा नैरेटिव” को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि “महागठबंधन की एकता से डरकर भाजपा अब झूठे वीडियो, फर्जी खबरों और सोशल मीडिया कैंपेन का सहारा ले रही है।”

महागठबंधन की चुनावी रणनीति — ‘विकास बनाम विभाजन’

गठबंधन के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, इस बार चुनावी अभियान का थीम “विकास बनाम विभाजन” रखा गया है।
जहाँ एक तरफ़ भाजपा “राष्ट्रवाद” और “संघीय स्थिरता” की बात कर रही है, वहीं विपक्ष शिक्षा, स्वास्थ्य, युवाओं के रोज़गार और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिक मुद्दा बना रहा है।

महागठबंधन की रैलियों में लगातार भीड़ बढ़ रही है, विशेषकर युवाओं और महिलाओं की उपस्थिति BJP के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि यही वजह है कि भाजपा ने अफवाह फैलाने की रणनीति अपनाई है ताकि विपक्षी ऊर्जा को विभाजित किया जा सके।

सोशल मीडिया पर झूठी खबरों की बाढ़

पिछले दो हफ्तों में बिहार से जुड़े करीब 4500 फर्जी राजनीतिक पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैलाई गईं, जिनमें से अधिकतर का उद्देश्य विपक्ष को कमजोर दिखाना था।
इनमें से कुछ पोस्ट में दावा किया गया कि RJD और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर मतभेद हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि सीट बंटवारा पहले ही सहमति से तय कर लिया गया था।

एक साइबर रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, इन झूठी खबरों के अधिकांश स्रोत “संगठित आईटी सेल” से जुड़े पाए गए हैं, जिनके सर्वर उत्तर प्रदेश और दिल्ली से सक्रिय हैं।

वोटरों को भ्रमित करने की कोशिश

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार का चुनाव बीजेपी के लिए सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं बल्कि अपनी राष्ट्रीय छवि बचाने की लड़ाई भी है।
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में भाजपा की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई थी। ऐसे में विपक्ष की एकता और जनता के असंतोष ने भाजपा को रक्षात्मक स्थिति में पहुँचा दिया है।

विश्लेषकों के अनुसार,

“जब सत्ताधारी दल को हार का डर होता है, तो वह सबसे पहले विपक्ष की एकता पर हमला करता है। महागठबंधन को ‘अस्थिर’ दिखाने की यही चाल आज भाजपा चला रही है।”

जनता का मूड क्या कहता है?

ग्रामीण इलाकों में मतदाता साफ कह रहे हैं कि वे इस बार मुद्दों पर वोट देंगे, न कि अफवाहों पर।
दरअसल, बेरोजगारी, महंगाई और किसान संकट जैसे वास्तविक मुद्दे अब जनता के बीच केंद्र में आ चुके हैं। ऐसे में बीजेपी का “विभाजन नैरेटिव” काम करता हुआ नहीं दिख रहा।

गया, भागलपुर, दरभंगा और सीवान जैसे ज़िलों में विपक्षी रैलियों में रिकॉर्ड भीड़ देखी गई। कई जगह युवाओं ने “नौकरी दो” और “मूल्य घटाओ” जैसे नारे लगाए, जो यह संकेत देते हैं कि मतदाता अब नफरत की राजनीति से ऊपर उठकर अपने भविष्य की बात करना चाहते हैं।


निष्कर्ष:-

 ‘दरार नहीं, दृढ़ता है’ — महागठबंधन पहले से ज़्यादा एकजुट

वर्तमान राजनीतिक माहौल में यह साफ़ है कि महागठबंधन में किसी तरह की दरार नहीं है, बल्कि यह भाजपा के प्रचारतंत्र की एक योजनाबद्ध चाल है।
सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट्स तक फैलाई जा रही झूठी खबरें सिर्फ इसलिए हैं ताकि जनता के बीच भ्रम फैले और विपक्ष की बढ़ती लोकप्रियता पर अंकुश लगाया जा सके।

लेकिन ज़मीनी स्तर पर गठबंधन की ताकत, जनता का रुझान और विपक्षी नेताओं की तालमेल यह साबित कर रहा है कि —
“बिहार की राजनीति में अब सच और मुद्दों की राजनीति ही निर्णायक भूमिका निभाएगी।”

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