Type Here to Get Search Results !

ADS5

ADS2

चंद्रन अश्विन ने BCCI से की अपील – “खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं के बीच संवाद की स्पष्टता जरूरी”

  मोहम्मद सलीम क्रिकेट रिपोर्टर 

भारतीय क्रिकेट के अनुभवी ऑफ़ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने एक बार फिर क्रिकेट प्रशासन के अंदरूनी संवाद तंत्र पर सवाल उठाते हुए कहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं के बीच बेहतर पारदर्शिता और भरोसेमंद संवाद की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने हाल ही में मोहम्मद शमी को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज़ से बाहर किए जाने के विवाद को एक उदाहरण के रूप में पेश किया, जिससे पता चलता है कि अप्रत्यक्ष संचार (indirect communication) खिलाड़ियों के भीतर भ्रम और असंतोष की स्थिति पैदा करता है।


Symbolic Image 

🔹 पृष्ठभूमि: शमी का चयन विवाद

भारत के अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी को वेस्टइंडीज़ टेस्ट सीरीज़ के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही वनडे सीरीज़ से बाहर रखा गया था। इस फैसले ने अचानक ही क्रिकेट जगत में चर्चा छेड़ दी, क्योंकि शमी ने हाल ही में हुए चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में शानदार प्रदर्शन किया था — बांग्लादेश के खिलाफ पांच विकेट और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में तीन महत्वपूर्ण विकेट हासिल किए थे।

शमी ने मीडिया से कहा था कि उन्हें चयनकर्ताओं को अपनी फिटनेस के बारे में जानकारी देना “अपनी जिम्मेदारी” नहीं लगती, वहीं भारत के मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने बयान दिया कि शमी अगर अगले कुछ महीनों तक पूरी तरह फिट रहते हैं, तो उन्हें भविष्य की टीम में शामिल किया जा सकता है।


🔹 अश्विन की खुली टिप्पणी: “सब कुछ अप्रत्यक्ष बातों पर चलता है”

अपने यूट्यूब चैनल पर बोलते हुए रविचंद्रन अश्विन ने कहा,

“मैं एक बात खुलकर कहना चाहता हूं — भारतीय क्रिकेट में लगभग सब कुछ अप्रत्यक्ष बातों पर चलता है। मुझे सच में उम्मीद है कि यह बदलेगा। खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं, दोनों को इस पर काम करने की ज़रूरत है। अगर कोई खिलाड़ी सीधे जाकर बात करे तो डर रहता है कि वो बात मीडिया में लीक न हो जाए। यह भरोसे की कमी है।”

उन्होंने कहा कि खिलाड़ी तभी सहज महसूस करते हैं जब उन्हें पता हो कि चयनकर्ताओं की सोच क्या है और उनसे क्या अपेक्षा की जा रही है।

“जब भी मुझे यह स्पष्टता नहीं होती थी कि टीम मुझसे क्या चाहती है, तब मैं अंदर से थोड़ा कमजोर महसूस करता था। सोचता था — अब क्या करूं? किसी से बात करूं या नहीं? अगर बात करूं तो कहीं वह बात बाहर तो नहीं जाएगी? यह भरोसा बहुत ज़रूरी है।”


🔹 शमी के मामले को बताया उदाहरण

अश्विन ने मोहम्मद शमी के मामले को इसी भ्रम की मिसाल बताया।

“शमी ने अच्छा प्रदर्शन किया, फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात कही। इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि उन्हें स्पष्टता नहीं है। अगर उन्हें पता होता कि चयनकर्ताओं की सोच क्या है, तो शायद वह सार्वजनिक रूप से इस तरह नहीं बोलते। या फिर शायद उन्हें बताया गया हो लेकिन वह सामने नहीं ला रहे — यह हम नहीं जानते। ऐसे में अटकलें लगाना गलत है।”


🔹 अश्विन ने अगरकर की पेशेवरता की सराहना की

हालांकि अश्विन ने यह भी माना कि मौजूदा मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने इस मामले को काफी पेशेवर तरीके से संभाला है।

“मुझे बहुत अच्छा लगा जब अगरकर ने कहा कि अगर शमी कुछ कहना चाहते हैं तो मैं खुद उन्हें फोन करूंगा। यही तरीका होना चाहिए। उम्मीद है वह बातचीत हो चुकी होगी,” अश्विन ने कहा।


🔹 खिलाड़ी-चयनकर्ता संबंधों पर बड़ा सवाल

अश्विन की यह टिप्पणी भारतीय क्रिकेट के एक पुराने मुद्दे को फिर सामने लाती है — खिलाड़ियों और चयन समिति के बीच विश्वास की कमी। कई बार खिलाड़ी यह महसूस करते हैं कि उन्हें टीम की योजनाओं में अपनी भूमिका के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी जाती, जिससे मानसिक दबाव और असंतोष बढ़ता है।

विशेष रूप से अनुभवी खिलाड़ियों के लिए यह चुनौती और बड़ी हो जाती है, क्योंकि उनके करियर के अंतिम वर्षों में पारदर्शिता की कमी उन्हें असुरक्षित महसूस कराती है।


🔹 भारत की मौजूदा तेज़ गेंदबाज़ी संरचना

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज़ के लिए चयनकर्ताओं ने अर्शदीप सिंह, मोहम्मद सिराज, हर्षित राणा और प्रसिद्ध कृष्णा को शामिल किया है, जबकि जसप्रीत बुमराह को आराम दिया गया है। इस बीच शमी का बाहर रहना कई प्रशंसकों और विश्लेषकों को यह सोचने पर मजबूर कर गया है कि क्या टीम प्रबंधन आगामी टूर्नामेंटों के लिए युवा गेंदबाज़ों को तैयार कर रहा है या यह निर्णय संचार की कमी का परिणाम है।


🔹 संतुलित निष्कर्ष

रविचंद्रन अश्विन का बयान भारतीय क्रिकेट में एक आवश्यक विमर्श को जन्म देता है — संवाद, पारदर्शिता और भरोसे का पुनर्निर्माण।
मोहम्मद शमी जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों को अपनी स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलनी चाहिए, वहीं चयनकर्ताओं को भी खिलाड़ियों से खुले और भरोसेमंद संवाद बनाए रखना चाहिए।

खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं के बीच अगर सीधा, गोपनीय और भरोसेमंद संवाद हो, तो न केवल टीम का मनोबल ऊँचा रहेगा बल्कि भारतीय क्रिकेट में निर्णयों को लेकर फैलने वाली अफवाहें और असंतोष भी कम होंगे।

ये भी पढ़े 



Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

ADS3

ADS4