24 सितंबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन पर बड़ा हमला बोला। अपने संबोधन में उन्होंने दावा किया कि दोनों देश रूस से तेल खरीद जारी रखकर यूक्रेन युद्ध को "मुख्य वित्तपोषण" प्रदान कर रहे हैं। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारत पर कुल अमेरिकी शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुँच गया है — जो दुनिया में सबसे ऊँचे दरों में से एक है।
ट्रंप का सीधा हमला: भारत-चीन 'प्राइमरी फंडर्स'
ट्रंप ने अपने भाषण में कहा:
"चीन और भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखकर इस युद्ध के प्राथमिक फंडर्स बने हुए हैं।"
ट्रंप के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता अगर वह उस समय राष्ट्रपति होते। यह बयान अमेरिकी राजनीति में उनकी "सख़्त विदेश नीति" को दोहराने का प्रयास माना जा रहा है।
भारत का रुख़: "अनुचित और अव्यवहारिक टैरिफ"
भारत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ को "अनुचित और अव्यवहारिक" करार दिया है। नई दिल्ली का कहना है कि वह अपने राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की ऊर्जा ज़रूरतों और भू-राजनीतिक संतुलन की वजह से रूस से तेल आयात बंद करना व्यावहारिक नहीं है।
SCO शिखर सम्मेलन और ट्रंप का आरोप
ट्रंप का यह हमला नया नहीं है। हाल ही में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मिले थे, तब भी ट्रंप ने अमेरिका की कूटनीति को विफल बताते हुए आरोप लगाया था कि:
"अमेरिका ने भारत और रूस को ‘डार्केस्ट चाइना’ के हाथों खो दिया है।"
ट्रंप का दावा: भारत-पाक युद्ध मैंने रोका
अपने UNGA संबोधन के दौरान ट्रंप ने यह सनसनीखेज़ दावा भी किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला युद्ध रोका था। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने "अनंत" कहे जाने वाले सात बड़े संघर्षों को समाप्त कराया।
यह बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों की जटिलताओं को देखते हुए काफी चर्चा का विषय बन गया है।
ट्रंप का व्यंग्य और UN पर हमला
ट्रंप ने अपने भाषण की शुरुआत में मज़ाक करते हुए कहा कि उनका टेलीप्रॉम्प्टर ख़राब था:
"मैं बस इतना कह सकता हूँ कि जो भी इस टेलीप्रॉम्प्टर को चला रहा है, वह बड़ी मुसीबत में है।"
इस पर सभा में हंसी गूँज उठी।
बाद में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र पर भी हमला बोला और इसे "खोखले शब्दों का मंच" करार दिया। साथ ही, उन्होंने नाटो सदस्य देशों की भी आलोचना की कि उन्होंने भी रूसी ऊर्जा आपूर्ति को पर्याप्त रूप से कम नहीं किया है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
-
ट्रंप के बयानों से अमेरिका-भारत संबंधों पर नया दबाव बन सकता है।
-
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की ऊर्जा नीति पश्चिमी देशों के लिए लगातार चुनौती बनी हुई है।
-
भारत संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है — रूस से सस्ते तेल के आयात से अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करना और साथ ही अमेरिका व यूरोप के साथ रणनीतिक रिश्तों को भी बनाए रखना।
निष्कर्ष:-
डोनाल्ड ट्रंप का यह आरोप भारत की विदेश नीति पर गहरा सवाल खड़ा करता है। एक ओर भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और किफायती आयात को लेकर दृढ़ है, तो दूसरी ओर अमेरिका इसे रूस के पक्ष में "फंडिंग" मान रहा है। आने वाले समय में यह मुद्दा भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव और कूटनीतिक खिंचाव का कारण बन सकता है।
