🔔 मुख्य तथ्य:
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प्रदर्शनकारियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
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अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
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पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले चलाए।
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सेना को भी प्रदर्शन नियंत्रण के लिए तैनात किया गया।
📌 सोशल मीडिया प्रतिबंध के पीछे की वजह
नेपाल सरकार ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देश पर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स (पूर्व ट्विटर), रेडिट, लिंक्डइन जैसे 26 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार का कहना था कि इन कंपनियों ने ‘पॉइंट ऑफ कॉन्टैक्ट’ तथा ‘ग्रिवांस हैंडलिंग ऑफ़िसर’ और ‘कंप्लायंस ऑफिसर’ नियुक्त करने की सुप्रीम कोर्ट की वर्ष 2024 की निर्देशिका का पालन नहीं किया। इसके तहत इन्हें एक सप्ताह का समय (28 अगस्त से) आवेदन प्रस्तुत करने के लिए दिया गया था, लेकिन नियत समय सीमा में कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया।
हालाँकि TikTok, Viber, Witk, Nimbuzz, और Popo Live ने नियमों का पालन किया और अब भी नेपाल में उपयोग किए जा रहे हैं। वहीं Telegram और Global Diary के आवेदन की समीक्षा जारी है।
✊ विरोध प्रदर्शनों की वजहें और युवाओं की पुकार
अनेक युवा छात्रों और व्यवसायी सोशल मीडिया पर अपनी आजीविका निर्भर करते हैं।
काठमांडू पोस्ट के अनुसार, नेपाल में लगभग 1.35 करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ता और 36 लाख इंस्टाग्राम उपयोगकर्ता हैं। ऐसे में इस बैन का सीधा असर व्यापार, व्यक्तिगत संचार और सामाजिक गतिविधियों पर पड़ा।
युवाओं का कहना है कि यह बैन सिर्फ एक ट्रिगर था, असल मुद्दा भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैया है।
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युजन राजभण्डारी, 24 वर्षीय छात्र ने कहा,
“हम सोशल मीडिया प्रतिबंध से परेशान हैं, लेकिन हम भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज़ उठा रहे हैं। यह सिस्टम में स्थापित भ्रष्टाचार का विरोध है।” -
इक्षमा तुमरोक, 20 वर्षीय छात्रा ने कहा,
“हम सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हमने पहले भी सहन किया है, लेकिन अब बदलाव की आवश्यकता है।”
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक प्रदर्शनकारी कहता सुनाई देता है,
"जब नेताओं के बच्चे उज्ज्वल भविष्य के अधिकारी हैं, तो हमारा भविष्य कहां जाएगा?"
🏛️ सरकार का रुख
नेपाल सरकार ने रविवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि वह विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करती है और इसके संरक्षण तथा स्वतंत्र उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है।
इसके पहले, सरकार ने Telegram पर प्रतिबंध लगाया था, यह बताते हुए कि प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग ऑनलाइन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था।
स्मरण रहे, नेपाल ने पिछले साल TikTok पर भी प्रतिबंध लगाया था, जिसे अगस्त में नेपाल सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के पालन का वचन मिलने के बाद हटा दिया गया था।
⚡ निष्कर्ष:-
नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन ने केवल डिजिटल अधिकारों के संरक्षण पर सवाल नहीं खड़े किए, बल्कि यह बड़े पैमाने पर सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक असंतोष को भी उजागर करता है। युवा पीढ़ी इस प्रतिबंध को भ्रष्टाचार और तानाशाही के प्रतीक के रूप में देख रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार और नागरिक समाज के बीच बहस और संवेदनशील मोड़ की संभावना जताई जा रही है।
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