रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi |वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली, 1 सितंबर 2025 – आयकर विभाग ने करदाताओं को राहत देते हुए वित्त वर्ष (FY) 2024-25 और आकलन वर्ष (AY) 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाख़िल करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। पहले जहाँ यह तिथि 31 जुलाई 2025 तय की गई थी, अब इसे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 (सोमवार) कर दिया गया है।
यह फैसला खासकर व्यक्तिगत करदाताओं, छोटे व्यवसायों और पेशेवरों के लिए अहम है, क्योंकि समय पर रिटर्न दाख़िल न करने पर न केवल जुर्माना (Penalty) बल्कि ब्याज (Interest) भी चुकाना पड़ सकता है।
नई समय सीमा (Extended Deadlines)
| करदाता श्रेणी | अंतिम तिथि | दिन |
|---|---|---|
| व्यक्ति / HUF / AOP / BOI (जिन्हें ऑडिट की आवश्यकता नहीं) | 15 सितंबर 2025 | सोमवार |
| व्यवसाय (ऑडिट आवश्यक) | 31 अक्टूबर 2025 | शुक्रवार |
| व्यवसाय (ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट आवश्यक) | 30 नवंबर 2025 | रविवार |
| संशोधित रिटर्न (Revised Return) | 31 दिसंबर 2025 | बुधवार |
| विलंबित रिटर्न (Belated Return) | 31 दिसंबर 2025 | बुधवार |
| अपडेटेड रिटर्न (Updated Return) | 31 मार्च 2030 | रविवार |
अंतिम तिथि चूकने के परिणाम (Consequences of Missing the Deadline)
यदि करदाता तय समय पर ITR दाख़िल नहीं करते हैं, तो उन्हें कई वित्तीय दंड भुगतने पड़ सकते हैं –
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ब्याज (Interest) – आयकर अधिनियम की धारा 234A के तहत, लंबित टैक्स राशि पर हर माह या उसके हिस्से के लिए 1% की दर से ब्याज देना होगा।
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जुर्माना (Late Fee) – धारा 234F के अंतर्गत:
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यदि कुल आय ₹5 लाख से अधिक है, तो ₹5,000 का जुर्माना लगेगा।
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यदि कुल आय ₹5 लाख से कम है, तो ₹1,000 का जुर्माना देना होगा।
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विलंबित रिटर्न (Belated Return) – 31 दिसंबर 2025 तक दाख़िल किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ जुर्माना और ब्याज लगेगा।
करदाताओं के लिए सलाह
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार समयसीमा के और बढ़ने की संभावना बेहद कम है।
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इसलिए सभी करदाता अपनी आय, कटौतियों (Deductions), निवेश (Investments) और टैक्स कैलकुलेशन को समय रहते अंतिम रूप दें।
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CA, टैक्स कंसल्टेंट्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए फाइलिंग प्रक्रिया को पहले ही पूरा करना बेहतर होगा।
गूगल ट्रेंड्स पर ‘ITR Due Date Extension’ की बढ़ती खोज
ITR की डेडलाइन बढ़ने के ऐलान के बाद से “ITR Due Date Extension” गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले कीवर्ड्स में शामिल है। यह संकेत देता है कि करदाता और टैक्स पेशेवर दोनों ही इस विषय में अपडेट रहना चाहते हैं और अपने फाइलिंग रणनीति (Filing Strategy) को उसी आधार पर तय कर रहे हैं।
निष्कर्ष:-
आयकर रिटर्न दाख़िल करना केवल एक कानूनी दायित्व ही नहीं बल्कि वित्तीय अनुशासन का भी हिस्सा है। समय पर ITR भरने से करदाता पेनल्टी, ब्याज, और कानूनी जटिलताओं से बच सकते हैं। अब जबकि अंतिम तिथि बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी गई है, करदाताओं को चाहिए कि वे बिना देरी के अपनी आयकर रिटर्न फाइलिंग पूरी करें।
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