27 सितंबर 2025:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
विवाद की पृष्ठभूमि
2015 में हुए ऐतिहासिक जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) समझौते के तहत ईरान पर लगे कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिए गए थे। लेकिन अब E3 ने “स्नैपबैक मैकेनिज्म” का इस्तेमाल करते हुए उन सभी प्रतिबंधों को बहाल कर दिया है। यह निर्णय उस आरोप के बाद लिया गया कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम की पूरी जानकारी नहीं दी और जून में हुए 12 दिन लंबे संघर्ष के दौरान—जिसमें अमेरिका और इज़राइल ने ईरान पर हवाई हमले किए—कई कदम अंतरराष्ट्रीय समझौतों के खिलाफ उठाए।
तेहरान की प्रतिक्रिया
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी तसनीम के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की कि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में तैनात ईरानी राजदूतों को तुरंत परामर्श के लिए तेहरान बुलाया गया है। मंत्रालय ने यूरोपीय देशों के इस कदम को “गैर-जिम्मेदाराना” और “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पूर्व में निरस्त प्रस्तावों का उल्लंघन” बताया।
प्रतिबंध और आर्थिक असर
नए प्रतिबंध परमाणु सहयोग, सैन्य तकनीक, बैंकिंग और शिपिंग उद्योगों पर वैश्विक रोक लगाते हैं। इसके प्रभाव से ईरान की अर्थव्यवस्था पहले ही हिल गई है। शनिवार को तेहरान के खुले बाजार में ईरानी मुद्रा रियाल रिकॉर्ड गिरावट पर आ गई और एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 11 लाख से भी ज्यादा पर ट्रेड हुई। यह देश की पहले से बिगड़ी आर्थिक स्थिति को और गहरा झटका है।
IAEA निरीक्षण और आलोचना
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने शुक्रवार को पुष्टि की कि ईरान के कुछ परमाणु स्थलों पर निरीक्षण दोबारा शुरू किए गए हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अमेरिकी और इज़राइली हमलों में क्षतिग्रस्त ठिकाने भी इसमें शामिल थे या नहीं। ईरान के परमाणु प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने मॉस्को में आयोजित वर्ल्ड एटॉमिक वीक फोरम में एजेंसी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि IAEA ने अमेरिकी और इज़राइली हमलों की निंदा न करके अपनी विश्वसनीयता खो दी है।
पश्चिमी देशों का रुख
पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क में UN महासभा के दौरान ईरान ने कम से कम दो प्रस्ताव पेश किए ताकि प्रतिबंधों को टाला जा सके, लेकिन पश्चिमी देशों ने इन्हें अपर्याप्त बताते हुए खारिज कर दिया। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने कहा कि अगर असली उद्देश्य परमाणु मुद्दे का समाधान होता तो यह आसानी से हो सकता था, लेकिन अमेरिका और इज़राइल का असली मकसद “ईरानी शासन को गिराना” है। उन्होंने दोहराया कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार हासिल नहीं करेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विभाजन
रूस और चीन ने प्रतिबंधों को छह महीने तक टालने के लिए प्रस्ताव रखा था, लेकिन 15 में से केवल चार देशों ने उसका समर्थन किया। रूस ने बाद में प्रतिबंधों को “अवैध और निरस्त” घोषित किया, जबकि चीन ने भी अमेरिकी दबाव को खारिज करने का संकेत दिया।
इज़राइल और क्षेत्रीय तनाव
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में ईरान के खिलाफ तत्काल सख्ती की वकालत की और इशारा दिया कि इज़राइल फिर से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर सकता है। इसके जवाब में राष्ट्रपति पेज़ेश्कियन ने स्पष्ट किया कि ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर नहीं निकलेगा, क्योंकि इससे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंकने का बहाना मिल जाएगा।
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आईआरजीसी और क्षेत्रीय रणनीति
ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की हत्या की पहली बरसी पर बयान जारी करते हुए कहा कि “सक्रिय और चतुर प्रतिरोध” ही क्षेत्र को अमेरिकी-इज़राइली विस्तारवाद से बचा सकता है। वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली लारिजानी लेबनान पहुंचे और कहा कि अब यह सभी देशों के लिए साफ हो गया है कि इज़राइल किसी पर भी दया नहीं करता।
न्यायपालिका की कार्रवाई
ईरान की न्यायपालिका ने शनिवार को घोषणा की कि चार लोगों को इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद और प्रतिबंधित संगठन मोजाहिदीन-ए-खल्क (MEK) के लिए जासूसी करने का दोषी पाया गया है। इनमें से दो को मौत की सजा और बाकी दो को उम्रकैद दी गई है।
व्यापक प्रभाव:-
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की वापसी 2015 के समझौते को एक तरह से खत्म कर देती है। डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में अमेरिका को इस समझौते से अलग कर “मैक्सिमम प्रेशर कैंपेन” शुरू किया था। अब बहुपक्षीय प्रतिबंधों की बहाली से ईरान को फिर से अंतरराष्ट्रीय अलगाव और गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
आने वाले हफ्तों में यह तय होगा कि क्या यह दबाव ईरान को बातचीत की मेज पर वापस लाता है, या फिर स्थिति और बिगड़कर पूरे क्षेत्र को एक नए संघर्ष की ओर धकेल देती है।
