रिपोर्ट: सरफ़राज़ ज़हूरी
प्रभावित क्षेत्र और तबाही का दायरा
क्लाउडबर्स्ट का सबसे अधिक असर थराली तहसील और आसपास के क्षेत्रों पर पड़ा है।
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थराली बाजार, कोटदीप और तहसील कार्यालय परिसर मलबे से पूरी तरह ढक गए।
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तहसील परिसर में बने एसडीएम आवास को भी गंभीर क्षति पहुँची है।
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सगवाड़ा गाँव में एक युवती मलबे के नीचे फंसी हुई है, जबकि एक अन्य व्यक्ति का कोई पता नहीं चल पाया है।
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कई दुकानों, निजी भवनों और खड़े वाहनों को भी भारी नुकसान हुआ है।
इस आपदा के चलते स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा की भावना गहराई से व्याप्त है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और बचाव कार्य
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चमोली जिला मजिस्ट्रेट (DM) संदीप तिवारी ने बताया कि मलबे का स्तर अत्यधिक ऊँचा है, जिससे कई घर पूरी तरह दब गए हैं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं।
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आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि एसडीआरएफ (SDRF), पुलिस और प्रशासनिक टीमें मौके पर सक्रिय हैं और प्रभावित लोगों को निकालने की हर संभव कोशिश कर रही हैं।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर कहा कि वे स्थिति पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं और स्थानीय प्रशासन को त्वरित राहत पहुँचाने के निर्देश दिए हैं।
सड़कें बंद और मौसम का अलर्ट
भारी बारिश और मलबे के कारण कई सड़कें बंद हो गई हैं—
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थराली–ग्वालदम मार्ग और थराली–सगवाड़ा मार्ग पूरी तरह बाधित हो गए हैं।
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भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने देहरादून, नैनीताल, बागेश्वर और पिथौरागढ़ समेत कई ज़िलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
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मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
हिमालयी क्षेत्र और क्लाउडबर्स्ट का खतरा
विशेषज्ञ मानते हैं कि हिमालयी क्षेत्र, खासकर उत्तराखंड, क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज़ से अति संवेदनशील क्षेत्र है।
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जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण इन घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ रही है।
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अनियोजित शहरीकरण और सड़कों का विस्तार भी पहाड़ी इलाकों की प्राकृतिक संरचना को कमजोर कर रहा है।
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लगातार बढ़ती आपदाएँ इस ओर इशारा करती हैं कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन नीति बनाना ज़रूरी है।
निष्कर्ष:-
चमोली की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में कितने संवेदनशील हैं। प्रशासनिक टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन मौसम की चुनौतियाँ कार्यों को कठिन बना रही हैं। इस आपदा से प्रभावित परिवारों को न सिर्फ तत्काल राहत की ज़रूरत है, बल्कि लंबे समय तक पुनर्वास और सुरक्षा उपायों की भी आवश्यकता है।
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