लेख:जावेद अख्तर
नई दिल्ली, 23 अगस्त 2025 — भारत सरकार ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि चीन की वीडियो-शेयरिंग एप टिकटॉक (TikTok) पर लगाया गया प्रतिबंध अब भी लागू है और इसे लेकर मीडिया या सोशल मीडिया पर फैली खबरें पूरी तरह भ्रामक हैं। यह आधिकारिक बयान तब सामने आया जब कई इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने दावा किया कि वे टिकटॉक की आधिकारिक वेबसाइट तक पहुंचने में सफल रहे। हालाँकि, वे न तो अपने अकाउंट में लॉगिन कर पाए और न ही किसी वीडियो को देख सके।
टिकटॉक भारत में क्यों हुआ था बैन?
जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा प्रोटेक्शन को ध्यान में रखते हुए 59 चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था। इनमें टिकटॉक, वीचैट (WeChat), हेलो (Helo) और कई अन्य लोकप्रिय एप्स शामिल थे।
बैन की मुख्य वजहें
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यूज़र डेटा लीक का खतरा: इंटेलिजेंस एजेंसियों की रिपोर्ट में बताया गया कि ये एप्स भारतीय यूज़र्स का निजी डेटा इकट्ठा कर विदेशी सर्वरों पर भेज रहे थे।
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राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा: यह आशंका जताई गई कि यूज़र्स की जानकारी का इस्तेमाल भारतीय सुरक्षा और संप्रभुता को कमजोर करने में हो सकता है।
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सार्वजनिक व्यवस्था पर असर: सरकार ने इन्हें उन गतिविधियों में संलिप्त पाया जो भारत की अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था के प्रतिकूल थीं।
हालिया अटकलें: वेबसाइट खुलना लेकिन सर्विस न मिलना
बीते कुछ दिनों में यूज़र्स ने रिपोर्ट किया कि टिकटॉक की आधिकारिक वेबसाइट खुल रही है। इस वजह से सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई कि शायद टिकटॉक भारत में फिर से लौट आया है।
लेकिन तकनीकी जांच से साफ हुआ कि वेबसाइट तक पहुँचना और प्लेटफ़ॉर्म पर लॉगिन/वीडियो देखना संभव नहीं है। यानी यह केवल आंशिक तकनीकी एक्सेस है, न कि किसी तरह का कानूनी संचालन।
भारत-चीन संबंधों में नरमी, लेकिन डिजिटल दूरी कायम
दिलचस्प है कि हाल के दिनों में भारत और चीन ने कूटनीतिक संबंधों को सामान्य करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं—
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तीन सीमा व्यापार गलियारे (लिपुलेख पास, शिपकी ला पास और नाथु ला पास) के ज़रिए व्यापार फिर से शुरू किया गया है।
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दोनों देशों के बीच जल्द ही प्रत्यक्ष उड़ानों (direct flights) की बहाली होने वाली है।
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एक नया एयर सर्विसेज़ एग्रीमेंट (Air Services Agreement) लगभग अंतिम चरण में है।
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पर्यटक, व्यवसायी, मीडिया प्रतिनिधि और अन्य आगंतुकों के लिए वीज़ा प्रक्रिया आसान बनाने पर सहमति बनी है।
साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस दौरान कई देशों के नेताओं से उनकी मुलाकात की संभावना है।
क्या टिकटॉक की वापसी संभव है?
टिकटॉक की वेबसाइट का खुलना केवल तकनीकी कारणों से है, लेकिन इससे यह भ्रम पैदा हुआ कि प्लेटफॉर्म भारत में लौट रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ठोस गारंटी नहीं दी जाती, टिकटॉक की वापसी असंभव है।
भारत सरकार ने भी साफ कर दिया है कि किसी भी विदेशी ऐप की अनुमति तभी होगी जब वह डेटा प्रोटेक्शन, लोकल सर्वर स्टोरेज और साइबर सुरक्षा नियमों का पालन करे।
निष्कर्ष:-
टिकटॉक अब भी भारत में प्रतिबंधित है और वेबसाइट का आंशिक एक्सेस कानूनी वापसी का संकेत नहीं है। सरकार का यह कदम एक बार फिर यह संदेश देता है कि भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता और साइबर सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा।
👉 अब सवाल यह है कि क्या भविष्य में टिकटॉक और अन्य चीनी एप्स सख्त डेटा प्रोटेक्शन कानूनों और सुरक्षा गारंटी के तहत भारत की डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा बन पाएंगे, या फिर यह दरवाज़ा हमेशा के लिए बंद रहेगा।
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