रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
ग़ाज़ा का सबसे अंधकारमय दौर
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इज़रायल की सैन्य कार्रवाइयों में अब तक 60,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें लगभग एक-तिहाई बच्चे हैं। ग़ाज़ा पट्टी लगातार हवाई हमलों, भूख और नाकेबंदी से जूझ रही है। इस बीच, इज़रायली सेना ग़ाज़ा सिटी पर एक बड़े हमले की तैयारी में है, जिससे हालात और भयावह होने की आशंका है।
ब्रिटिश व्यापार जगत की सामूहिक आवाज़
गुरुवार सुबह तक 762 उद्योगपतियों और विशेषज्ञों ने एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें ब्रिटेन सरकार से निम्नलिखित कदम उठाने की मांग की गई है:
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इज़रायल को हथियारों का निर्यात तुरंत बंद किया जाए।
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अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने वाले व्यक्तियों पर पाबंदियाँ लगाई जाएँ, जिनमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
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ब्रिटिश वित्तीय प्रणाली की कड़ी जाँच कर उन कंपनियों की पहचान की जाए जो अप्रत्यक्ष रूप से इस संघर्ष को समर्थन दे रही हैं।
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संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और मानवाधिकार संबंधी सिद्धांतों को राष्ट्रीय आर्थिक ढाँचे में अनिवार्य रूप से लागू किया जाए।
बयान में कहा गया है—
“हम इसे केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पेशेवर दायित्व मानते हैं। ब्रिटेन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यवसाय – चाहे उत्पादों, सेवाओं या सप्लाई चेन के माध्यम से – इन अत्याचारों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल न हो।”
प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता
इस अपील पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल हैं:
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जोनाथन पॉरिट CBE – ब्रिटेन के राजा चार्ल्स के पूर्व पर्यावरण सलाहकार।
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एडम गारफंकल – होलोकॉस्ट से पीड़ित परिवार के वंशज और सतत विकास परामर्शदाता।
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फ्रीडा गॉमर्ली – हाउस ऑफ हैकनी लक्ज़री इंटीरियर ब्रांड की संस्थापक।
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पॉल पॉलमैन – यूनिलीवर के पूर्व प्रमुख और प्रमुख परोपकारी।
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गीती सिंह-वॉटसन MBE – ऑर्गेनिक फ़ूड उद्यमी।
व्यापार जगत की जिम्मेदारी
पॉल पॉलमैन ने कहा—
“व्यापार कभी भी तब सफल नहीं हो सकता जब समाज टूट रहा हो। अब समय है कि व्यवसायी नेतृत्व साहस दिखाए, आवाज़ उठाए और अंतरराष्ट्रीय कानून का समर्थन करे।”
एडम गारफंकल, जिनके परिवार ने होलोकॉस्ट की त्रासदी झेली थी, ने कहा—
“मेरे दादा-दादी को नाज़ियों ने जंगल में गोली मारकर सामूहिक कब्र में दफ़न कर दिया था। इस अनुभव से मैंने यही सीखा है कि हर इंसान मायने रखता है और जातीय पहचान के आधार पर उत्पीड़न हर जगह गलत है।”
‘यह एक स्पष्ट जनसंहार है’
जोनाथन पॉरिट, जिन्होंने तीन दशकों तक राजा चार्ल्स को पर्यावरणीय मामलों पर सलाह दी, ने कहा—
“पिछले कुछ महीनों में यह और भी स्पष्ट हो गया है कि मौजूदा स्थिति पूरी तरह असहनीय है। यह फिलिस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ एक सुनियोजित जनसंहार है।”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि व्यवसायों का दायित्व केवल मुनाफ़ा कमाना नहीं, बल्कि मानवाधिकारों को सुदृढ़ करना भी है। यही कारण है कि व्यापार जगत को अब प्रत्यक्ष रूप से इस संघर्ष में अपनी नैतिक भूमिका निभानी होगी।
आंदोलन और गिरफ्तारी
दिलचस्प बात यह है कि पॉरिट हाल ही में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने फिलिस्तीन एक्शन नामक आंदोलन का समर्थन किया। ब्रिटिश सरकार ने इस संगठन को आतंकवादी समूह घोषित कर दिया है। इसके बावजूद, पॉरिट 9 अगस्त को लंदन में हुए एक बड़े प्रदर्शन में शामिल हुए और “मैं जनसंहार का विरोध करता हूँ, मैं फिलिस्तीन एक्शन का समर्थन करता हूँ” लिखी तख़्ती उठाने पर गिरफ्तार भी किए गए।
निष्कर्ष:-
ब्रिटेन के उद्योगपतियों की यह सामूहिक अपील केवल मानवीय संवेदनाओं की नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार की नैतिकता और जिम्मेदारी की भी गवाही देती है। जिस तरह ग़ाज़ा में मौत और भूख का सिलसिला जारी है, उसी तरह अंतरराष्ट्रीय दबाव की मांग भी तेज़ हो रही है। अब सवाल यह है कि क्या ब्रिटिश सरकार अपने उद्योगपतियों की इस अपील को गंभीरता से लेगी और इज़रायल पर कठोर कदम उठाएगी, या फिर यह आवाज़ भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति के शोर में दब जाएगी?
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