रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
भारत का हीरा उद्योग, जो दुनिया में कट और पॉलिश किए गए प्राकृतिक हीरों का सबसे बड़ा सप्लायर है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारी भरकम आयात शुल्क के फैसले से गहरे संकट में है। ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे गुजरात के सूरत, अहमदाबाद और राजकोट में चल रही लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी खतरे में पड़ गई है।
दुनिया के 15 में से 14 कट हीरे आते हैं भारत से
सूरत को "डायमंड सिटी" कहा जाता है क्योंकि यहां के छोटे-बड़े 20,000 से अधिक यूनिट्स दुनिया के 15में से 14 कट और पॉलिश किए गए प्राकृतिक हीरे तैयार करते हैं। यह इंडस्ट्री 20 लाख से ज्यादा लोगों को सीधा रोजगार देती है।
2024-25 वित्तीय वर्ष में भारत ने अमेरिका को कट और पॉलिश किए गए हीरों का $4.8 बिलियन का निर्यात किया, जो इस सेक्टर के कुल $13.2 बिलियन एक्सपोर्ट का एक-तिहाई से अधिक है। अमेरिका इस इंडस्ट्री का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, लेकिन नए टैरिफ इसे लगभग आधा खत्म कर सकते हैं।
ट्रंप का फैसला और पेनल्टी
-
2 अप्रैल 2025: ट्रंप ने भारत से आने वाले सभी आयात पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की।
-
7 अगस्त 2025: यह टैरिफ लागू हो गया, क्योंकि दोनों देशों के बीच कोई व्यापार समझौता नहीं हो सका।
-
6 अगस्त 2025: ट्रंप ने अतिरिक्त 25% टैरिफ की घोषणा की, जो 27 अगस्त से लागू होगा। यह "पेनल्टी" भारत के रूसी तेल खरीदने पर लगाई गई है।
इस तरह पहले से मौजूद 2.1% शुल्क को मिलाकर कुल टैरिफ अब 52.1% हो जाएगा।
गुजरात का हीरा उद्योग पहले ही दबाव में था
गुजरात डायमंड वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रमेश जिलरिया के अनुसार, कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, G7 द्वारा रूसी हीरों पर बैन और अंतरराष्ट्रीय बाजार की मंदी ने पहले ही मजदूरों की सैलरी आधी कर दी थी।
-
पहले मजदूर ₹30,000-35,000 महीना कमाते थे, अब औसतन ₹15,000-17,000 पर आ गए हैं।
-
पिछले 2 साल में आर्थिक तंगी के कारण 80 हीरा मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं।
-
यदि टैरिफ पूरी तरह लागू हो गया तो केवल गुजरात में 2 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
लैब-ग्रोउन डायमंड से भी चुनौती
प्राकृतिक हीरों के समान दिखने वाले लैब-ग्रोउन डायमंड, जो प्रयोगशालाओं में बनाए जाते हैं, अब मार्केट का बड़ा हिस्सा लेने लगे हैं।
-
कीमत प्राकृतिक हीरे की तुलना में सिर्फ 10% होती है।
-
इन्हें पहचानना मुश्किल है, यहां तक कि अनुभवी ज्वैलर्स भी बिना उपकरण के अंतर नहीं कर पाते।
-
उपभोक्ताओं का रुझान सस्ते लैब डायमंड की ओर बढ़ रहा है।
निर्यात में गिरावट के आंकड़े
-
2023-24 में भारत ने $14 बिलियन के रफ डायमंड इम्पोर्ट किए थे, जो 2024-25 में घटकर $10.8 बिलियन रह गए (24.27% गिरावट)।
-
पॉलिश किए गए प्राकृतिक हीरों का निर्यात 2023-24 में $16 बिलियन था, जो 2024-25 में घटकर $13.2 बिलियन रह गया (16.75% गिरावट)।
इंडस्ट्री और एक्सपर्ट्स की राय
-
किरित भंसाली (चेयरमैन, GJEPC): "अगर टैरिफ में कमी नहीं आई तो हजारों लोगों की रोज़ी चली जाएगी और सप्लाई चेन ठप हो सकती है।"
-
राजेश रोकड़े (चेयरमैन, GJC): "अमेरिका के 70,000 ज्वैलर्स पर भी इसका असर पड़ेगा, क्योंकि वहां ज्वैलरी महंगी हो जाएगी।"
-
अजय श्रीवास्तव (संस्थापक, GTRI): "यह फैसला पाखंडपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका खुद रूस से व्यापार कर रहा है और चीन पर ऐसा कोई पेनल्टी नहीं लगाई गई।"
क्या घरेलू बाजार से समाधान निकलेगा?
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस संकट से निकलने के लिए भारत को घरेलू मांग बढ़ानी होगी और नए निर्यात बाजार खोजने होंगे।
-
भारत का घरेलू ज्वैलरी बाजार 2 साल में $85 बिलियन से बढ़कर $130 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
-
गोल्ड इंडस्ट्री का मजबूत घरेलू बाजार एक उदाहरण है कि कैसे स्थानीय खपत निर्यात पर निर्भरता को कम कर सकती है।
निष्कर्ष:-
ट्रंप का 50% टैरिफ केवल भारत के हीरा उद्योग के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक डायमंड सप्लाई चेन के लिए भी खतरे की घंटी है। अगर जल्द कोई समझौता नहीं हुआ, तो दुनिया का सबसे बड़ा कट डायमंड सप्लायर ठप हो सकता है, जिससे लाखों लोग बेरोजगार होंगे और अमेरिका में भी ज्वैलरी इंडस्ट्री संकट में आ जाएगी।
ये भी पढ़े
2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग
