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राहुल गांधी का बड़ा आरोप: “भारत की चुनावी प्रणाली में गंभीर गड़बड़ियाँ, जनदबाव और अदालत से करेंगे मुकाबला

रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

 नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025 — भारत की सबसे पुरानी और प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने बुधवार को एक बार फिर देश की चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि भारत के चुनावी तंत्र (Electoral System of India) में “गंभीर विसंगतियाँ और खामियाँ” मौजूद हैं, जो लोकतंत्र की विश्वसनीयता को चुनौती देती हैं। राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी इन खामियों को उजागर करने के लिए जन आंदोलन (Public Mobilisation) और आवश्यक होने पर न्यायिक लड़ाई (Legal Challenge) का सहारा लेगी।

यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव करीब हैं और देश में 2029 के आम चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी धीरे-धीरे बढ़ रही है।



फर्जी मतदाता और चुनावी हेरफेर का आरोप

राहुल गांधी, जो नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य और देश के राजनीतिक इतिहास में सबसे प्रभावशाली परिवारों में से एक के उत्तराधिकारी हैं, ने पिछले सप्ताह यह गंभीर आरोप लगाया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव और हाल के अन्य विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची (Voter List) में बड़े पैमाने पर फर्जी नाम (Fake Voters) जोड़े गए। उनके अनुसार, यह हेरफेर चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए की गई थी।


BJP और चुनाव आयोग ने किया खंडन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) और भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) दोनों ने ही इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

  • BJP का पक्ष — भाजपा नेताओं का कहना है कि चुनाव पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष रहे हैं, और जनता ने भाजपा को बार-बार जनादेश दिया है।

  • चुनाव आयोग का पक्ष — आयोग का कहना है कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की पूरी प्रक्रिया सख्त नियमों के तहत होती है, और किसी भी तरह की धांधली के आरोप निराधार हैं।

ध्यान देने योग्य है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षाकृत कम सीटें मिलीं और उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर रहना पड़ा। बावजूद इसके, बाद में हुए कई विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अपेक्षाकृत आसानी से जीत दर्ज की।


"खेल फिक्स है" — राहुल गांधी का तीखा बयान

राहुल गांधी ने दिल्ली स्थित अपने आधिकारिक आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा —

“चुनावी प्रणाली में गंभीर विसंगतियाँ हैं और हम उन्हें पूरी मेहनत और रिसर्च के आधार पर उजागर करेंगे। हमारा मकसद भारत की चुनावी प्रक्रिया को बदनाम करना नहीं है, बल्कि इसमें पारदर्शिता लाना है। इसलिए हम यह काम सोच-समझकर और धीरे-धीरे कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक रणनीति जनता के माध्यम से चुनाव आयोग पर दबाव बनाना है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर वे अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

“अगर चुनाव ही धांधली से भरे हों, तो चाहे आप लाखों कार्यकर्ताओं को मैदान में उतार दें, परिणाम आपके पक्ष में नहीं आएगा। खेल ही अगर फिक्स हो तो खिलाड़ी कितना भी अच्छा खेले, जीतना मुश्किल है।”


बिहार चुनाव: 2029 के लिए पहला बड़ा टेस्ट

राहुल गांधी का यह बयान विशेष महत्व रखता है क्योंकि बिहार में नवंबर 2025 तक विधानसभा चुनाव होने हैं।

  • राजनीतिक महत्व — बिहार को भारत की राजनीति में अहम राज्य माना जाता है, जहाँ जातीय समीकरण, रोजगार के मुद्दे और सामाजिक बदलाव हमेशा चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं।

  • वर्तमान स्थिति — फिलहाल बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन सत्ता में है, लेकिन हाल ही में वोटवाइब एजेंसी के सर्वे में बेरोजगारी और नौकरियों की कमी के कारण विपक्ष को हल्का बढ़त दिख रही है।

राहुल गांधी ने आत्मविश्वास जताते हुए कहा —

“बिहार का चुनाव कड़ा मुकाबला है, लेकिन हम ऊपर जा रहे हैं और वे नीचे आ रहे हैं।”


2029 का रोडमैप और लोकतंत्र की चुनौती

राहुल गांधी के ये बयान केवल बिहार चुनाव तक सीमित नहीं हैं। उनका संकेत साफ है कि 2029 के आम चुनाव (Lok Sabha Election 2029) तक विपक्ष चुनावी प्रक्रिया की खामियों को जनता के सामने लाता रहेगा।
उनका मानना है कि यदि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित नहीं हुई, तो किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता परिवर्तन लगभग असंभव होगा।

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