नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025 रिपोर्ट: सरफ़राज़ ज़हूरी
परिचय: सियासत से आगे बढ़कर इंसानियत की आवाज़ बने राहुल गांधीजब राजनीति की दुनिया ज़्यादातर बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोपों में उलझी होती है, तब कुछ नेता ऐसे भी होते हैं जो अपने कर्मों से सियासत को मानवीय आयाम देते हैं। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वे न सिर्फ़ विपक्ष के नेता हैं, बल्कि संवेदनशीलता और करुणा की आवाज़ भी हैं।
क्या है ‘ऑपरेशन सिन्दूर’?
‘ऑपरेशन सिन्दूर’ दरअसल एक सैन्य प्रतिकार था, जिसमें भारतीय सेना ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) और पाकिस्तान में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे — जिनमें कई मासूम बच्चे भी शामिल थे।
पाकिस्तानी फायरिंग और जवाबी संघर्ष में कई परिवार उजड़ गए, दर्जनों बच्चे अनाथ हो गए। इन्हीं में से 22 बच्चों की जिम्मेदारी अब राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से उठाने का फैसला किया है।
राहुल गांधी का निर्णय: संवेदना से आगे, संकल्प की ओर
कांग्रेस के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने जानकारी दी कि राहुल गांधी ने पुंछ जिले के उन 22 बच्चों की शिक्षा और भरण-पोषण की पूरी जिम्मेदारी ली है, जिनके माता-पिता या परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य इस संघर्ष में मारे गए।
राहुल गांधी ने मई महीने में पुंछ का दौरा किया था, जहां उन्होंने स्थानीय कांग्रेस नेताओं को प्रभावित बच्चों की सूची तैयार करने और दस्तावेज़ी पुष्टि करने के निर्देश दिए थे। अब, बुधवार को सहायता की पहली किस्त इन बच्चों को दी गई, जिससे वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
“यह सहायता तब तक जारी रहेगी जब तक ये बच्चे स्नातक नहीं कर लेते,” — तारिक कर्रा, कांग्रेस नेता
राहुल गांधी का भावनात्मक संवाद: बच्चों से मुलाकात
राहुल गांधी ने क्राइस्ट पब्लिक स्कूल का भी दौरा किया, जहां दो 12 वर्षीय जुड़वां भाई-बहन — उरबा फातिमा और ज़ैन अली — पाकिस्तानी गोलाबारी में मारे गए थे। वहाँ बच्चों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने उन्हें न सिर्फ़ पढ़ाई में लगने के लिए प्रेरित किया, बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने की सलाह दी।
“मैं आप सभी पर बहुत गर्व करता हूं। मुझे पता है आप अपने दोस्तों को मिस करते हैं। मुझे अफ़सोस है कि आपको ये सब झेलना पड़ा। डरने की जरूरत नहीं है, सब कुछ फिर से सामान्य हो जाएगा। इस स्थिति का जवाब यही होना चाहिए कि आप जमकर पढ़ाई करें, खेलें और खूब दोस्त बनाएं।”
— राहुल गांधी, बच्चों से संवाद करते हुए
इस निर्णय का राजनीतिक से ज़्यादा मानवीय अर्थ
राहुल गांधी का यह कदम चुनावी रणनीति नहीं बल्कि एक गंभीर मानवीय पहलू को दर्शाता है। यह पहल यह भी दिखाती है कि संकट की घड़ी में एक राष्ट्रीय नेता सिर्फ़ संवेदना व्यक्त करने नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने भी सामने आ सकता है।
पुंछ: सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र
पुंछ वह क्षेत्र रहा जहाँ पाकिस्तानी गोलाबारी का सबसे ज़्यादा असर पड़ा। कई बच्चे घायल हुए और कई की जानें चली गईं। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद हालात कुछ हद तक नियंत्रण में हैं, लेकिन उस संघर्ष की मानसिक और सामाजिक छाप अब भी वहाँ के परिवारों पर है।
निष्कर्ष: राजनीति में नई उम्मीद की किरण
राहुल गांधी का यह कदम दिखाता है कि राजनीति अगर मानवता के मूल्यों से संचालित हो, तो वह न केवल बदलाव ला सकती है, बल्कि नई पीढ़ी के जीवन को भी दिशा दे सकती है। भारत जैसे देश में जहां युद्ध, आतंकी हमले और संघर्षों की त्रासदी झेलने वालों की गिनती कम नहीं, वहां एक राष्ट्रीय नेता का इस तरह व्यक्तिगत तौर पर सामने आना, आशा की एक नई लौ जलाता है।
ये भी पढ़े
2 -प्रीमियम डोमेन सेल -लिस्टिंग