रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली, 24 अगस्त 2025 — ग़ज़ा पर इज़रायली हमले और तेज़ हो गए हैं। पिछले 24 घंटे में ही इज़रायली सेना ने कम से कम 63 फ़िलिस्तीनियों की हत्या की, जिनमें बच्चे और राहत सामग्री की तलाश में निकले आम नागरिक भी शामिल हैं। ग़ज़ा शहर को क़ब्ज़े में लेने और वहां के मेडिकल वर्करों को जबरन बेदख़ल करने की इज़रायली योजना ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। लगभग 10 लाख लोगों के विस्थापन का ख़तरा मंडरा रहा है।
ग़ज़ा में भूख और मौत का मंजर
ग़ज़ा में अकाल अब चेतावनी नहीं, बल्कि हक़ीक़त बन चुका है।
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अब तक 281 लोगों की मौत भुखमरी से हो चुकी है, जिनमें 100 से अधिक बच्चे हैं।
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12 वर्षीय हुडा अबू नजा की मां सोमिया अबू नजा ने बताया कि उनकी बेटी तीन महीने अस्पताल में भर्ती रही, लेकिन हालात नहीं सुधरे। पहले उसका वज़न 35 किलो था, अब वह सिर्फ़ 20 किलो रह गई है।
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नासिर अस्पताल में लगातार बच्चे कुपोषण से दम तोड़ रहे हैं। माता-पिता बेबस होकर उन्हें मरते देख रहे हैं।
अमेरिका और ट्रंप की आलोचना
अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोला है।
उन्होंने कहा:
“ट्रंप के पास फ़िलिस्तीनी लोगों को अकाल से बचाने की शक्ति है, लेकिन वह कुछ नहीं कर रहे। अब और नहीं। अमेरिकी टैक्सपेयर्स का पैसा नेतन्याहू की युद्ध मशीन पर बर्बाद नहीं होना चाहिए।”
यह बयान अमेरिका की घरेलू राजनीति में भी बहस छेड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय दबाव
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार विशेषज्ञ फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने कहा कि तत्काल कदम उठाने की ज़रूरत है:
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इज़रायल पर पूर्ण हथियार प्रतिबंध (Arms Embargo) लगाया जाए।
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अंतरराष्ट्रीय नौसेनाएं ग़ज़ा तक राहत पहुंचाएं, ताकि नाकाबंदी को तोड़ा जा सके।
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संयुक्त राष्ट्र महासभा को “Uniting for Peace” प्रस्ताव लागू करके ग़ज़ा में सुरक्षा बल तैनात करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने भी चेताया है कि ग़ज़ा के राहत गोदाम खाली हो चुके हैं। लोग खाने, दवाओं और आवश्यक सामान के बिना मरने को मजबूर हैं।
वैश्विक विरोध और प्रदर्शन
ग़ज़ा नरसंहार के ख़िलाफ़ दुनिया भर में विरोध तेज़ हो रहा है।
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ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न, सिडनी, ब्रिस्बेन और कैनबरा में हज़ारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर इज़रायल के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।
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मेलबर्न की रैली में स्वतंत्र सांसद लिडिया थोर्प ने कहा कि यह सिर्फ़ ग़ज़ा नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व का सवाल है।
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तेल अवीव (इज़रायल) में भी हज़ारों नागरिक युद्ध समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
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यूरोप के कई शहरों में भी इज़रायल की नीतियों और ग़ज़ा में अकाल के विरोध में प्रदर्शन हुए।
अन्य अहम घटनाक्रम
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इज़रायली सेना ने वेस्ट बैंक के रामल्ला में एक स्थानीय पंचायत प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया है।
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हमास ने इज़रायली रक्षा मंत्री इस्राइल कात्ज़ के बयान — जिसमें उन्होंने ग़ज़ा शहर को “नष्ट करने” की बात कही — को “नस्लीय सफ़ाए का स्वीकार” बताया।
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तुर्की की प्रथम महिला एमिने एर्दोग़ान ने अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप से ग़ज़ा के बच्चों के लिए आवाज़ उठाने की अपील की।
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ईरान ने दावा किया है कि उसकी सुरक्षा सेनाओं ने सिस्तान-बलूचिस्तान में इज़रायल समर्थित माने जा रहे आतंकियों के साथ मुठभेड़ में 6 लोगों को मार गिराया।
निष्कर्ष:-
ग़ज़ा में मानवता का सबसे बड़ा संकट सामने है। एक ओर इज़रायली हमले और जबरन विस्थापन, दूसरी ओर अकाल और बच्चों की मौत—इन दोनों ने हालात को असहनीय बना दिया है। दुनिया भर में आवाज़ें उठ रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। संयुक्त राष्ट्र और बड़े देशों पर दबाव बढ़ रहा है कि वे तुरंत हस्तक्षेप करें, वरना यह 21वीं सदी का सबसे बड़ा मानवाधिकार संकट बन सकता है।
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