5 अगस्त 2025 | रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025 – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर "काफी अधिक टैरिफ" लगाने की धमकी पर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे "अनुचित, अविवेकपूर्ण और संप्रभुता के खिलाफ सीधा हमला" करार दिया है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने एक तीखा बयान जारी कर ट्रंप के आरोपों को सिरे से खारिज किया और अमेरिका को उसके दोहरे मापदंडों के लिए आड़े हाथों लिया।
ट्रंप का आरोप: भारत "रूसी युद्ध मशीन" को दे रहा है समर्थन
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर भारत पर तीखा हमला करते हुए लिखा कि भारत रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदकर न सिर्फ "रूसी युद्ध मशीन" को फंड कर रहा है, बल्कि उस तेल को रिफाइन कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुनाफा कमाने के लिए पुनः निर्यात भी कर रहा है। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत को रूस के साथ व्यापार जारी रखने की कीमत चुकानी होगी और अमेरिकी प्रशासन भारत पर दंडात्मक टैरिफ लगाने की तैयारी में है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया: अमेरिका के व्यापारिक रवैये को बताया "पाखंडी"
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“भारत एक जिम्मेदार, संप्रभु वैश्विक शक्ति है जो अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखता है। हम अमेरिकी धमकियों को अस्वीकार करते हैं और ट्रंप द्वारा दिए गए बयान को अनुचित और अनावश्यक मानते हैं।”
उन्होंने याद दिलाया कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर अमेरिका ने ही भारत को रूसी तेल खरीदने की सहमति दी थी, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता ना फैले। जायसवाल ने यह भी रेखांकित किया कि आज भी अमेरिका खुद रूस के साथ $3.5 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार कर रहा है, ऐसे में भारत को कठघरे में खड़ा करना "पाखंड" है।
ट्रंप की दोहरी रणनीति: "मित्रता" के साथ आर्थिक धमकी
महज एक सप्ताह पहले ही ट्रंप ने भारत को "अमेरिका का मजबूत मित्र" कहा था, लेकिन अब उनकी रणनीति में अचानक बदलाव देखा गया है। उन्होंने कहा:
“भारत अमेरिकी उत्पादों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। अगर भारत रूस के साथ तेल व्यापार जारी रखता है, तो अमेरिका को जवाब देना होगा।”
सोमवार को अपने नवीनतम बयान में ट्रंप ने लिखा:
"मैं भारत पर भारी टैरिफ लगाऊँगा क्योंकि वे रूसी तेल से जबरदस्त मुनाफा कमा रहे हैं।"
विशेषज्ञों का मत: ट्रंप के आरोप "भ्रामक और तथ्यों से परे"
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के निदेशक और वाणिज्य मंत्रालय के पूर्व अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने बीबीसी से बातचीत में ट्रंप के दावों को "भ्रामक और वास्तविकता से कोसों दूर" बताया।
“भारत का तेल व्यापार पूरी तरह पारदर्शी रहा है और अमेरिका को इसकी पूरी जानकारी है। भारत ने वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाई है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की सार्वजनिक और निजी तेल रिफाइनरियाँ स्वतंत्र निर्णय लेती हैं और सरकार उनके व्यापारिक निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करती।
रूस-यूक्रेन संघर्ष और ट्रंप की नई धमकी
हाल के सप्ताहों में ट्रंप ने रूस के प्रति अपना रुख कड़ा किया है। उन्होंने एक बयान में कहा:
“अगर 8 अगस्त तक रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम नहीं होता, तो मैं रूस पर और सख्त टैरिफ लगाऊँगा।”
इसके साथ ही खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दूत स्टीव विटकॉफ रूस यात्रा पर हैं और संभवतः पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। यह एक नई कूटनीतिक पहल का संकेत हो सकता है।
भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर प्रभाव
भारत और अमेरिका के बीच पिछले एक दशक में रणनीतिक साझेदारी गहराई है – रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कूटनीति में दोनों देशों की करीबी बढ़ी है। लेकिन ट्रंप के बयानों ने इस साझेदारी में दरार डालने का संकेत दिया है।
विदेश नीति विश्लेषकों का मानना है कि यदि ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं और ऐसे टैरिफ लागू करते हैं, तो इससे भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों को गहरी चोट पहुँच सकती है।
निष्कर्ष:-
भारत की स्पष्ट चेतावनी — “हमारे हित सर्वोपरि हैं”
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी प्रकार की बाहरी धमकी के आगे नहीं झुकेगा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। ट्रंप की यह बयानबाज़ी न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को संकट में डाल सकती है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार तंत्र को भी अस्थिर कर सकती है।
