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गाज़ा पर पूर्ण क़ब्ज़े की तैयारी में इज़राइल: नेतन्याहू युद्ध कैबिनेट से ले सकते हैं बड़ा फ़ैसला

 5 अगस्त 2025 | रिपोर्ट:✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  


भूमिका: युद्ध के दो वर्ष बाद इज़राइल का सबसे बड़ा सैन्य कदम

जैसे-जैसे गाज़ा पर इज़राइल के हमलों को लगभग दो वर्ष पूरे हो रहे हैं, इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अब गाज़ा पट्टी पर पूर्ण सैन्य क़ब्ज़ा करने की योजना बना चुके हैं। सोमवार को i24NEWS, द जेरूसलम पोस्ट, चैनल 12 और Ynet जैसी प्रमुख इज़राइली मीडिया संस्थाओं ने रिपोर्ट किया कि नेतन्याहू की युद्ध कैबिनेट अगले कुछ दिनों में इस प्रस्ताव को औपचारिक मंज़ूरी दे सकती है।

सूत्रों के अनुसार, यह सैन्य अभियान पूरे गाज़ा क्षेत्र को कवर करेगा, जिसमें वे इलाके भी शामिल होंगे जहाँ हमास ने बंधकों को रखा हुआ है



इज़राइली रुख: "अब नहीं किया तो बंधक मर जाएंगे"

चैनल 12 के मुख्य राजनीतिक विश्लेषक अमित सेगा ने नेतन्याहू के कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया:

“फैसला हो चुका है। हमास तब तक और बंधकों को नहीं छोड़ेगा जब तक हम पूरी तरह समर्पण न कर दें — और हम समर्पण नहीं करेंगे। अगर अभी कार्रवाई नहीं की गई, तो बंधक भूख से मर सकते हैं और गाज़ा हमेशा के लिए हमास के नियंत्रण में रह जाएगा।”

यह बयान स्पष्ट करता है कि इज़राइल अब एक निर्णायक मोड़ पर है, जहाँ वह गाज़ा में सैन्य नियंत्रण को केवल सीमित क्षेत्रों तक नहीं, बल्कि सम्पूर्ण पट्टी पर लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।


फ़लस्तीनी प्रतिक्रिया: "अंतरराष्ट्रीय समुदाय तत्काल हस्तक्षेप करे"

फ़लस्तीनी विदेश मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने इस योजना की कड़ी निंदा करते हुए इसे या तो “अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को परखने की चाल” बताया है या फिर “वास्तविक सैन्य इरादा।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि इस तरह की योजनाओं को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करें।

“चाहे ये दबाव की रणनीति हो, या अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जाँच का एक माध्यम — इस तरह की सैन्य योजना पूरी तरह अस्वीकार्य है।”


मानवीय संकट गहराता जा रहा है

इस बीच, गाज़ा में मानवीय संकट दिन-प्रतिदिन बदतर होता जा रहा है। सोमवार को ही, इज़राइली हमलों में कम से कम 74 फ़लस्तीनी नागरिक, जिनमें 36 राहत सामग्री लेने आए लोग भी शामिल थे, मारे गए। चिकित्सा सूत्रों के अनुसार, गाज़ा में अब कुपोषण और हमलों के कारण सैकड़ों लोग मृत्यु के कगार पर हैं

नेतन्याहू पर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी दबाव है कि वे मानवीय राहत को अनुमति दें, और संघर्ष विराम की दिशा में कदम उठाएँ।


घरेलू दबाव: बंधकों की रिहाई की मांग तेज़

सिर्फ अंतरराष्ट्रीय नहीं, बल्कि इज़राइल के भीतर भी नेतन्याहू सरकार पर राजनीतिक और जन भावनात्मक दबाव बढ़ रहा है। हाल ही में दो बंधकों – रोम ब्रासलाव्स्की और एव्यातर डेविड – की कुपोषित और दुर्बल हालत में वीडियो सामने आने के बाद, जनता में आक्रोश फैल गया है। इन दृश्यों ने सरकार पर यह दबाव और बढ़ा दिया है कि वह शेष बंधकों की रिहाई के लिए फैसले लेने में विलंब न करे


युद्ध कैबिनेट की बैठक: निर्णायक मोड़ की ओर

मंगलवार को प्रधानमंत्री नेतन्याहू अपनी युद्ध कैबिनेट की बैठक बुला रहे हैं, जिसमें गाज़ा में अगली सैन्य कार्रवाई की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। यदि बैठक में प्रस्ताव पारित होता है, तो इसका मतलब होगा:

  • गाज़ा के हर हिस्से में सैन्य प्रवेश

  • हमास के बचे हुए गढ़ों पर पूर्ण नियंत्रण

  • बंधकों की ताक़त से मुक्ति के लिए आक्रामक रणनीति

  • और संभावित रूप से, गाज़ा पर इज़राइली प्रशासन का स्थायी प्रभाव


नेतन्याहू का दीर्घकालिक लक्ष्य: सुरक्षा या सत्ता?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेतन्याहू की इस नीति के पीछे केवल सुरक्षा की भावना नहीं, बल्कि आंतरिक राजनीतिक लाभ लेने की मंशा भी है। 2026 में संभावित इज़राइली चुनावों के पहले, उन्हें जनता के विश्वास को फिर से अर्जित करने की ज़रूरत है — और गाज़ा पर निर्णायक जीत, उन्हें उस दिशा में ले जा सकती है।


निष्कर्ष:-

 मध्य-पूर्व एक और बड़े टकराव की ओर?
यदि इज़राइल ने वास्तव में गाज़ा पर पूर्ण सैन्य क़ब्ज़ा करने का निर्णय लिया, तो यह केवल हमास या फ़लस्तीनी मुद्दा नहीं रहेगा, बल्कि संपूर्ण मध्य-पूर्व क्षेत्र में तनाव और संघर्ष की एक नई लहर ला सकता है।
ईरान, तुर्की, मिस्र और कतर जैसे देश इस पर प्रतिक्रिया देंगे।
अरब लीग और OIC जैसे संगठन शायद इस पर आपात बैठक बुलाएँगे।
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन पर भी दबाव बढ़ेगा कि वे स्पष्ट रुख़ अपनाएँ।
सवाल यह है कि क्या यह रणनीति बंधकों की रिहाई और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, या फिर यह संघर्ष को और अनियंत्रित कर देगी?

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