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ICICI बैंक ने बचत खाता न्यूनतम बैलेंस ₹50,000 किया: मिडिल क्लास पर ‘एक और चोट’ का आरोप

रिपोर्टिंग: कविता शर्मा  | पत्रकार  

नई दिल्ली, 10 अगस्त 2025 — भारत के निजी बैंकिंग क्षेत्र के प्रमुख संस्थान ICICI बैंक को हाल ही में अपने एक बड़े फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। बैंक ने शहरी और मेट्रो क्षेत्रों में बचत खाते के लिए न्यूनतम औसत मासिक बैलेंस (Minimum Average Balance – MAB) को ₹10,000 से बढ़ाकर सीधे ₹50,000 कर दिया है।


नए नियम किसे और कैसे प्रभावित करेंगे?

  • मेट्रो और शहरी क्षेत्र: न्यूनतम बैलेंस ₹50,000 (पहले ₹10,000)

  • अर्ध-शहरी क्षेत्र: न्यूनतम बैलेंस ₹25,000 (पहले ₹5,000)

  • ग्रामीण क्षेत्र: न्यूनतम बैलेंस ₹10,000 (पहले ₹2,500)

ये बदलाव केवल 1 अगस्त 2025 के बाद खोले गए नए बचत खातों पर लागू होंगे। बैंक ने मौजूदा खाताधारकों के लिए फिलहाल पुराने नियम जारी रखे हैं।


सोशल मीडिया पर नाराज़गी की बाढ़

इस फैसले के बाद ट्विटर (अब X) और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई यूज़र्स ने बैंक की आलोचना की।

एक यूज़र ने लिखा—

“₹1 लाख सैलरी पाने वाले के पास भी ₹50,000 का मासिक औसत बैलेंस नहीं रहेगा। EMI, बिल, लोन और क्रेडिट कार्ड के बाद बचत कहां से होगी? हर सेक्टर मिडिल क्लास को लूटने में लगा है।”

दूसरे यूज़र ने तंज कसा—

“ICICI बैंक ने बचत खाता भी लग्ज़री आइटम बना दिया।”

कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने इसे "मिडिल क्लास पर एक और बड़ा वार" बताते हुए कहा कि अब लोग न्यूनतम बैलेंस न रखने पर भारी पेनल्टी देंगे।


आर्थिक विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

वित्तीय विश्लेषकों के अनुसार—

  • 90% भारतीय की मासिक आय ₹27,000 से कम है। ऐसे में ₹50,000 का MAB एक बड़े वर्ग के लिए अप्रायोगिक है।

  • जो लोग इतनी बड़ी रकम खाते में रख सकते हैं, वे अक्सर 3% ब्याज वाले सेविंग अकाउंट में पैसा ‘फंसा’ कर रखना पसंद नहीं करते। वे म्यूचुअल फंड, शेयर, या अन्य निवेश विकल्प चुनते हैं।


समर्थन की आवाज़ें भी उठीं

कुछ लोग बैंक का बचाव करते दिखे। उनका कहना था—

  • यह एक प्राइवेट बैंक है, और इसे अपने नियम तय करने का अधिकार है।

  • बदलाव केवल नए ग्राहकों पर लागू है, इसलिए मौजूदा खाताधारकों पर सीधा असर नहीं होगा।


बैंक का पक्ष?

ICICI बैंक ने अभी तक इस पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बैंक इस बदलाव के पीछे की वजह, जैसे—लागत प्रबंधन, उच्च-स्तरीय बैंकिंग सेवाओं की योजना, या वित्तीय स्थिरता—को स्पष्ट करेगा।


मामले का व्यापक असर
यह निर्णय भारत की मिडिल क्लास की आर्थिक चुनौतियों को उजागर करता है—

पहले से बढ़ती महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य खर्च
रोजगार की अस्थिरता और कम ब्याज दरें
EMI, लोन और टैक्स का दबाव
ऐसे में न्यूनतम बैलेंस को इतना ऊँचा करना, आलोचकों के मुताबिक, वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) के सिद्धांत के विपरीत है।

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