✍🏻 Z S Razzaqi | वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली — देश की लोकतांत्रिक प्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने छह महीने की अथक रिसर्च और विश्लेषण के बाद चुनाव आयोग (EC) द्वारा उपलब्ध कराए गए मैनुअल डेटा पर आधारित एक विस्तृत प्रस्तुति (PPT) जारी की, जिसमें उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों के पुख्ता प्रमाण पेश किए। राहुल गांधी का दावा है कि ये सारे तथ्य पूरी तरह प्रमाणित और दस्तावेज़ी सबूतों पर आधारित हैं, और इनके उजागर होने के बाद चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट से राज्यवार डेटा धीरे-धीरे हटाना शुरू कर दिया।
चुनाव आयोग का डेटा हटाना और वेबसाइट बंद करना
राहुल गांधी के अनुसार, जैसे-जैसे उनकी टीम ने डेटा का विश्लेषण किया और विसंगतियां सामने लाईं, चुनाव आयोग ने पहले वेबसाइट से स्टेट-वाइज आंकड़े हटाए और फिर कल अचानक पूरी वेबसाइट को बंद कर दिया। यह कदम उन आशंकाओं को और मजबूत करता है कि कहीं न कहीं चुनावी पारदर्शिता को लेकर गंभीर समस्या है।
CCTV फुटेज और डिजिटल डेटा पर टालमटोल
सिर्फ यही नहीं, राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सभी विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से "कंट्रोल रूम" की CCTV फुटेज मांगी, लेकिन उन्हें यह फुटेज उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद राहुल गांधी ने EC से डिजिटल डेटा की मांग की, जिसे देने से भी आयोग ने इनकार कर दिया। जब उन्होंने दबाव बढ़ाया, तो आयोग ने करोड़ों पन्नों में मैनुअल प्रिंट आउट थमा दिए — मानो यह सोचकर कि इतनी भारी मात्रा के डेटा का कोई गहन विश्लेषण नहीं कर पाएगा।
छह महीने की मेहनत से सामने आए तथ्य
राहुल गांधी की टीम ने इन प्रिंटेड आंकड़ों पर लगातार छह महीने तक काम किया और वह जानकारी निकाली, जिसने देश के चुनावी ढांचे पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके मुताबिक, यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है, ताकि असली नतीजों को दबाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी पर सवाल
राहुल गांधी ने इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक आए किसी भी सुप्रीम कोर्ट के जज ने चुनाव आयोग की स्वतंत्र जांच करवाने की हिम्मत नहीं दिखाई, बल्कि सभी ने चुप्पी साधे रखी। उनका आरोप है कि न्यायपालिका के इस मौन ने लोकतंत्र को कमजोर किया है, और अब जनता सुप्रीम कोर्ट की ओर भी उम्मीद से देख रही है कि वह स्वप्रेरणा से इस पर कार्रवाई करे।
जनता में आक्रोश और जनविद्रोह की चर्चा
राहुल गांधी ने कहा कि अब जब लोकतांत्रिक ढांचा लगभग ढहने की कगार पर है और जनता का वोट चुराया जा चुका है, तो देश के पास केवल "जनविद्रोह" का रास्ता बचता है। उनका मानना है कि दोषी EC अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए था और मौजूदा सत्ता को हटाकर राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए था, लेकिन "भारत में इतनी हिम्मत कौन दिखाएगा?"
मीडिया पर भी निशाना
राहुल गांधी ने मुख्यधारा के मीडिया पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश का मेनस्ट्रीम मीडिया सत्ता को बचाने, विपक्ष को बदनाम करने और विपक्ष के खिलाफ साजिश रचने में लगा हुआ है। इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता और भी कम हो रही है।
निष्कर्ष — लोकतंत्र के भविष्य पर खतरे की घंटी
यह पूरा विवाद सिर्फ चुनावी आंकड़ों का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र के भविष्य की दिशा तय करने वाला मुद्दा बन चुका है। यदि राहुल गांधी के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न सिर्फ चुनाव आयोग की साख पर, बल्कि न्यायपालिका और मीडिया की विश्वसनीयता पर भी गहरी चोट होगी। देश में जनांदोलन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि जनता अब जागरूक है और सत्ता और आयोग के "खेल" को समझ चुकी है।
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