नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025 रिपोर्ट: सरफ़राज़ ज़हूरी
यमन में हत्या के एक मामले में मौत की सज़ा पाए केरल की नर्स निमिषा प्रिया को लेकर हाल ही में जो दावे सामने आए हैं, उन्हें भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने बताया कि यमन सरकार द्वारा निमिषा प्रिया की फांसी की सजा रद्द करने की कोई आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय के दावे पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
सोमवार को भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंठापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने दावा किया था कि यमन की राजधानी सना में हुई उच्च स्तरीय बैठक में निमिषा की मौत की सज़ा को पूरी तरह रद्द कर दिया गया है। यह भी कहा गया था कि उनकी फांसी, जो 16 जुलाई को होनी थी, एक दिन पहले ही स्थगित कर दी गई थी।
हालांकि, मंगलवार को भारत सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने इस दावे को “तथ्यात्मक रूप से गलत” बताया और कहा कि "निमिषा प्रिया के मामले में कुछ लोग जो जानकारी साझा कर रहे हैं, वह सटीक नहीं है।"
यमन सरकार से नहीं मिली कोई लिखित पुष्टि
ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय द्वारा जारी बयान में यह भी स्वीकार किया गया कि यमन सरकार से अब तक कोई औपचारिक या लिखित सूचना प्राप्त नहीं हुई है जिसमें फांसी रद्द होने की पुष्टि हो।
कौन हैं निमिषा प्रिया और क्यों दी गई थी मौत की सजा?
निमिषा प्रिया, 38 वर्षीय भारतीय नर्स, केरल के पालक्काड जिले से ताल्लुक रखती हैं। वे 2008 में बेहतर रोज़गार के अवसरों की तलाश में यमन गई थीं। वहां उन्होंने तालाल अब्दो महदी नामक एक यमनी नागरिक के साथ मिलकर सना में एक क्लिनिक की शुरुआत की।
समय के साथ, दोनों के बीच संबंध खराब हो गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, महदी ने निमिषा को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। उसने न केवल खुद को उसका पति बताना शुरू कर दिया बल्कि उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया, जिससे वह भारत वापस नहीं लौट सकीं।
2017 में, निमिषा ने महदी से अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए उसे बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन ओवरडोज़ के कारण महदी की मृत्यु हो गई। इसके बाद निमिषा को गिरफ्तार किया गया और 2018 में हत्या का दोषी ठहराया गया। यमनी अदालत ने 2020 में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई।
मामला क्यों है अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में?
यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब चर्चा में आया जब 2024 के अंत में यमनी राष्ट्रपति राशद अल-अलीमी और हौथी नेता महदी अल-मशात ने फांसी की मंजूरी दे दी।
हालांकि भारत सरकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं की लगातार कूटनीतिक कोशिशों के चलते इस फांसी को टाल दिया गया। इसी सिलसिले में ग्रैंड मुफ्ती ने यमन अधिकारियों से मानवता के आधार पर क्षमा याचना भी की थी।
निष्कर्ष:-
जहां एक ओर ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय की ओर से यह उम्मीद जताई गई है कि फांसी की सजा रद्द हो सकती है, वहीं भारत सरकार का कहना है कि अभी तक इस संबंध में कोई अधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई है।
निमिषा प्रिया का मामला एक जटिल कानूनी और मानवीय मुद्दा बन चुका है, जिस पर भारत और यमन के बीच सतत कूटनीतिक प्रयास जारी हैं। जब तक यमन सरकार की ओर से कोई आधिकारिक लिखित सूचना नहीं मिलती, फांसी की सजा रद्द होने के दावों को सत्य नहीं माना जा सकता।ये भी पढ़ें
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