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भारतीय नर्स की फांसी रुकवाने वाले ‘Grand Mufti of India’ कौन हैं? जानिए कौन हैं अबूबकर मुसलियार

 ✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी यमन में फिलहाल टाल दी गई है। इस फैसले के पीछे एक प्रमुख भूमिका निभाई है 94 वर्षीय इस्लामी विद्वान कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने, जिन्हें भारत में 'Grand Mufti of India' की उपाधि दी जाती है। यह घटना न केवल भारतीय विदेश नीति, बल्कि भारतीय मुस्लिम धर्मगुरुओं की वैश्विक भूमिका को भी रेखांकित करती है।



🌍 कौन हैं कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार?

  • आधिकारिक नाम: शेख अबूबकर अहमद

  • उम्र: 94 वर्ष

  • निवास स्थान: कोझीकोड, केरल

  • धार्मिक पहचान: सुन्नी इस्लाम के प्रमुख विद्वान

  • पदवी: ‘Grand Mufti of India’ (सरकारी नहीं, किंतु व्यापक रूप से मान्य धार्मिक उपाधि)

  • अन्य भूमिका: Markaz Knowledge City (कोझीकोड) के चेयरमैन

अबूबकर मुसलियार दक्षिण भारत ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया में सुन्नी इस्लाम के एक प्रमुख प्रतिनिधि माने जाते हैं। उन्हें ‘भारत का ग्रैंड मुफ्ती’ कहा जाता है, हालांकि यह उपाधि किसी सरकारी मान्यता से नहीं जुड़ी है। वे शरिया कानून के विशेषज्ञ हैं और इस्लामी दया-सिद्धांत (clemency) के प्रचारक भी।


📌 यमन में निमिषा प्रिया की फांसी कैसे रोकी गई?

निमिषा प्रिया, जो केरल की निवासी और एक प्रशिक्षित नर्स हैं, साल 2017 में यमन में अपने व्यवसायिक साझेदार तालाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुई थीं।
साल 2020 में उन्हें यमनी कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में हौथी प्रशासन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने भी बरकरार रखा।

भारत सरकार और नागरिक संगठनों ने मिलकर इस मामले में कूटनीतिक प्रयास किए, लेकिन यमन के हौथी विद्रोही गुट से भारत के औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं होने के कारण प्रक्रिया जटिल हो गई थी।

ऐसे में, कंथापुरम मुसलियार ने यमन के इस्लामी विद्वानों से संपर्क साधा, जो पीड़ित परिवार से जुड़े थे। उन्होंने शरिया कानून में ‘दिया’ यानी 'ब्लड मनी' के सिद्धांत का हवाला देते हुए उन्हें माफ करने और मुआवजा लेने की दलील दी।

"इस्लाम में एक व्यवस्था है कि यदि कोई मौत की सजा पाए हुए व्यक्ति को पीड़ित परिवार माफ कर दे तो सजा टाली जा सकती है। मैंने यमन के विद्वानों से संपर्क किया और उन्हें इंसानियत की दृष्टि से समझाया," — कंथापुरम मुसलियार (ANI से बातचीत)


📃 अब तक क्या हुआ?

  • यमन के इस्लामी विद्वानों ने बातचीत के बाद फांसी की तारीख को स्थगित करने का निर्णय लिया।

  • इस निर्णय की आधिकारिक सूचना एक दस्तावेज के रूप में भारत को भेजी गई

  • मुसलियार ने इसकी जानकारी भारत सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी दी है।

  • निमिषा की मां यमन में मौजूद हैं और पीड़ित परिवार से मुआवजा राशि तय करने को लेकर बातचीत चल रही है।


🕌 मुसलियार का धार्मिक और सामाजिक योगदान

  • मुसलियार Markaz Knowledge City के चेयरमैन हैं, जो एक निजी टाउनशिप प्रोजेक्ट है जिसमें मेडिकल कॉलेज, लॉ कॉलेज और सांस्कृतिक केंद्र शामिल हैं।

  • वे भारत और विदेशों में इस्लामी सम्मेलनों और धार्मिक चर्चाओं में भाग लेते हैं।

  • हालांकि उन्होंने कभी-कभी विवादास्पद बयान दिए हैं (जैसे कि CAA विरोध के दौरान महिलाओं को सड़कों पर आने से रोकने की सलाह), फिर भी वे धार्मिक एकता और संवाद के समर्थक माने जाते हैं।


⚖️ ब्लड मनी: शरिया कानून में दया का विकल्प

  • शरिया कानून के तहत, हत्या के मामलों में पीड़ित परिवार चाहे तो आर्थिक मुआवजा लेकर दोषी को माफ कर सकता है।

  • इसे 'दिया' (Diya) या 'ब्लड मनी' कहा जाता है।

  • यह व्यवस्था यमन के हौथी प्रशासन के अधीन न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, और इसी के तहत मुसलियार ने अपील की थी।


🔎 निष्कर्ष:-

भारत में ‘Grand Mufti’ की उपाधि भले ही आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त न हो, लेकिन कंथापुरम अबूबकर मुसलियार की धार्मिक प्रतिष्ठा और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव ने यह साबित कर दिया कि धर्मगुरु संकट में भी कूटनीति के प्रभावशाली माध्यम बन सकते हैं। निमिषा प्रिया की फांसी भले ही अभी टली हो, लेकिन इसका अंतिम समाधान पीड़ित परिवार की माफ़ी और ब्लड मनी की राशि पर निर्भर करेगा।

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