चेन्नई | 28 जुलाई 2025 |✍🏻 Z S Razzaqi | वरिष्ठ पत्रकार
🌍 क्या है NISAR मिशन और क्यों है यह विशेष?
NISAR एक अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो द्वि-आवृत्ति रडार प्रणाली से युक्त है — इसमें नासा का L-बैंड और इसरो का S-बैंड शामिल है। इन दोनों रडार्स को नासा के 12 मीटर व्यास के विशाल फोल्डेबल मेष रिफ्लेक्टर एंटीना से जोड़ा गया है, जिसे इसरो के मॉडिफाइड 13K सैटेलाइट बस पर लगाया गया है।
यह मिशन पहली बार अत्याधुनिक SweepSAR तकनीक का उपयोग करेगा, जो उपग्रह को 242 किलोमीटर के विस्तृत क्षेत्र में, दिन-रात, हर मौसम में उच्च-रिज़ॉल्यूशन चित्र लेने में सक्षम बनाएगा। इससे भूस्खलन, बाढ़, सूखा, हिमनदों के पिघलने, कृषि निगरानी, वन क्षरण, तटीय बदलाव, और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
🛰️ तकनीकी विशेषताएं
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उपग्रह का वजन: 2,392 किलोग्राम
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रॉकेट: GSLV-F16 (ISRO द्वारा निर्मित)
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कक्षा: 740 किलोमीटर ऊँचाई पर सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट
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प्रौद्योगिकी: Dual-frequency Synthetic Aperture Radar (L & S band) + SweepSAR
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डेटा उपलब्धता: 1 से 2 दिन में सार्वजनिक, आपात स्थिति में रियल टाइम
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लॉन्च तिथि: 30 जुलाई 2025, शाम 5:40 बजे
🤝 भारत-अमेरिका सहयोग का प्रतीक
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने जानकारी दी कि यह उपग्रह भारत और अमेरिका दोनों के वैज्ञानिकों और तकनीशियनों की दशकों की साझी मेहनत का नतीजा है। यह मिशन न केवल दोनों देशों की वैज्ञानिक क्षमताओं को जोड़ता है, बल्कि वैश्विक भलाई की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “NISAR मिशन एक वैश्विक साझेदारी की मिसाल है, जो दर्शाता है कि दो लोकतंत्र जब विज्ञान और मानवीय कल्याण के लिए एकजुट होते हैं, तो विश्व को अभूतपूर्व लाभ मिल सकता है।”
🌐 वैश्विक महत्व और सतत विकास के लिए योगदान
डॉ. सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि NISAR का महत्व केवल वैज्ञानिक अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मिशन जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और सतत विकास के लिए नीति निर्माण में भी अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, “आज पृथ्वी अवलोकन मिशन केवल विज्ञान की जिज्ञासा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये शासन, योजना और वैश्विक सहयोग का केंद्रबिंदु बन चुके हैं।”
विशेष बात यह भी है कि यह पहली बार होगा जब भारत का GSLV रॉकेट किसी उपग्रह को सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में स्थापित करेगा। इससे इसरो की तकनीकी परिपक्वता और विविध अंतरिक्ष अभियानों को समर्थन देने की क्षमता का विस्तार होगा।
🔍 क्या होगा डेटा का उपयोग?
NISAR से प्राप्त सभी डेटा को एक से दो दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा और आपातकालीन परिस्थितियों में लगभग वास्तविक समय में साझा किया जाएगा। यह डेटा विशेष रूप से विकासशील देशों, पर्यावरण वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा।
भारत का वैश्विक योगदान — ‘विश्व बंधु’ के रूप में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना ‘विश्व बंधु’ — यानी वैश्विक कल्याण में योगदान देने वाला राष्ट्र — के अनुरूप यह मिशन भारत की भूमिका को केवल उपभोक्ता से बदलकर वैज्ञानिक ज्ञान प्रदाता और वैश्विक साझेदार के रूप में स्थापित करता है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “NISAR सिर्फ एक उपग्रह नहीं है, बल्कि यह भारत की ओर से विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया से किया गया एक वैज्ञानिक हस्तांदोलन (scientific handshake) है।”
👩🚀 गगनयान मिशन पर अपडेट
इस मौके पर इसरो प्रमुख ने गगनयान मिशन पर भी अपडेट देते हुए कहा कि दिसंबर 2025 में एक ह्यूमैनॉयड रोबोट ‘व्योममित्रा’ को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसके सफल होने के बाद 2026 में दो मानवरहित मिशन और अंततः मार्च 2027 में मानवयुक्त गगनयान मिशन लॉन्च किया जाएगा।
🔚 निष्कर्ष
NISAR मिशन न केवल विज्ञान की दुनिया में एक नई शुरुआत है, बल्कि यह भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति, तकनीकी क्षमता, और मानव कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है। जैसे-जैसे 30 जुलाई की लॉन्च डेट नज़दीक आ रही है, दुनिया की निगाहें इस ऐतिहासिक पल पर टिकी हैं, जो पृथ्वी और मानवता की बेहतरी के लिए नए रास्ते खोलेगा।
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