✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
प्रस्तावना: अंतरराष्ट्रीय मंच से उठा बड़ा सवाल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताज़ा बयान ने एक बार फिर भारत सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद की झड़पों में चार दिनों के भीतर कुल पाँच फाइटर जेट्स मार गिराए गए। इस सनसनीखेज दावे के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में स्पष्टीकरण की मांग की है।
राहुल गांधी का सीधा सवाल: मोदी जी जवाब दें
शनिवार दोपहर को विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हुए लिखा:
“मोदी जी, पांच फाइटर जेट्स की सच्चाई क्या है? देश को जानने का हक़ है!”
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि अमेरिका के राष्ट्रपति 70 दिनों से इस विषय में बयान दे रहे हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी को भी संसद के पटल पर स्पष्ट और निर्णायक वक्तव्य देना चाहिए।
ट्रंप ने क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा:
"हमने बहुत सी जंगें रोकीं। भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत कुछ चल रहा था। लड़ाकू विमान हवा में गिराए जा रहे थे। मेरा मानना है कि पाँच फाइटर जेट्स को मार गिराया गया।"
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ने दोनों देशों के बीच व्यापार को हथियारों के इस्तेमाल से जोड़ा —
“हमने कहा, अगर आप न्यूक्लियर स्टेट्स होकर हथियारों से खेलते रहेंगे तो व्यापार नहीं होगा।”
तृणमूल और कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने दावा किया कि भारत ने इस संघर्ष में कम से कम एक राफेल फाइटर जेट खोया है।
“प्रत्येक राफेल की कीमत $250 मिलियन थी, और हमें पता है कि कम से कम एक गिराया गया। अब राष्ट्रपति ट्रंप कह रहे हैं कि कुल पांच जेट्स गिराए गए। क्या भारत को ऑपरेशन सिंदूर के बाद सही जानकारी नहीं मिलनी चाहिए?” — महुआ मोइत्रा
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी प्रधानमंत्री की ट्रंप से करीबी — "Howdy Modi" (2019) और "Namaste Trump" (2020) — की याद दिलाते हुए मांग की कि अब समय आ गया है कि मोदी खुद संसद में जवाब दें।
सरकारी चुप्पी और विदेश मीडिया की रिपोर्ट्स
हालांकि आधिकारिक रूप से भारत सरकार ने अब तक कोई विस्तृत वक्तव्य नहीं दिया है, लेकिन विदेशी मीडिया और भारतीय सैन्य अधिकारियों के हवाले से कुछ अहम जानकारी सामने आई है।
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में ब्लूमबर्ग और रॉयटर्स से कहा कि भारत ने शुरुआती रणनीतिक भूलों के कारण फाइटर जेट्स खोए।
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जकार्ता में भारत के डिफेंस अटैशे कैप्टन शिव कुमार ने भी स्वीकार किया कि
“हमें शुरुआत में पाकिस्तान के एयर डिफेंस पर हमला करने की अनुमति नहीं थी। नुकसान के बाद हमने अपनी रणनीति बदली।”
भारत की हानि: क्यों हुई लड़ाकू विमानों की क्षति?
The Economist की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों और विदेशी अधिकारियों के बीच तीन प्रमुख कारण सामने आ रहे हैं:
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राफेल जेट्स में लंबी दूरी की मिसाइलें नहीं थीं –
पहले दिन राफेल जेट्स को Meteor मिसाइलों से लैस नहीं किया गया था। संभवतः इसीलिए वे पाकिस्तानी विमानों के सामने असुरक्षित साबित हुए। -
इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और सॉफ़्टवेयर कमज़ोर –
भारत के पास आधुनिक जामिंग सिस्टम, सटीक डेटा और पाकिस्तान के हथियारों से बचाव के लिए अपडेटेड सॉफ्टवेयर की कमी थी। -
"मिशन डेटा" की कमी –
पाकिस्तान कैसे भारतीय विमानों की लोकेशन ट्रैक कर रहा था और अपने हथियारों को सटीक निशाना बना पा रहा था, इसे रोकने के लिए भारत के पास पर्याप्त डेटा नहीं था।
राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका पर उंगलियां
यदि कैप्टन कुमार के दावे सही हैं कि राजनीतिक आदेशों के चलते सेना को पाकिस्तान के एयर डिफेंस पर हमला न करने को कहा गया, तो इससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है —
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीतिक चूक के कारण भारत को यह नुकसान हुआ?
निष्कर्ष: देश को चाहिए जवाबदेही और पारदर्शिता
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, जहां जनता अपने टैक्स के पैसों से रक्षा सौदे करती है और जवान अपनी जान की बाज़ी लगाते हैं, वहां सच छिपाया नहीं जा सकता। डोनाल्ड ट्रंप के ताज़ा खुलासे के बाद, देश की जनता को अधिकार है जानने का कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्या हुआ, कितने नुकसान हुए और क्यों?
प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को चाहिए कि वे संसद में खड़े होकर बिना लाग-लपेट, देश को सच्चाई बताएं।
प्रमुख मांगें:
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प्रधानमंत्री खुद संसद में बयान दें।
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रक्षा मंत्रालय आधिकारिक रिपोर्ट सार्वजनिक करे।
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राफेल जैसे महंगे सौदों की समीक्षा हो।
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विपक्ष को ऑपरेशन सिंदूर पर ब्रीफिंग दी जाए।
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