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DUBAI GOLDEN VISA:बनाम भारत की सच्चाई: क्यों भारत के समृद्ध नागरिक स्थायी रूप से विदेश बसने को चुन रहे हैं?

 ✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार   

🔍 प्रस्तावना: भारत से बाहर निकलने का मौन जनमत

जैसे-जैसे डुबई ने गोल्डन वीज़ा स्कीम के तहत भारत के कुशल पेशेवरों और कारोबारियों के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए हैं, एक बड़ा सवाल सामने आता है—क्यों भारत के प्रतिभाशाली नागरिक खामोशी से देश छोड़ रहे हैं? क्या वजह है कि भारत की उच्च और मध्यवर्गीय प्रतिभाएं अपने ही देश में सुरक्षित, सुविधाजनक और गरिमामय जीवन की आशा छोड़ चुकी हैं?



🏙️ डुबई गोल्डन वीज़ा 2025: भारतीयों के लिए सुनहरा मौका?

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की नई पॉलिसी के तहत अब भारतीय नागरिक AED 1,00,000 (लगभग ₹23 लाख) में लाइफटाइम रेजिडेंसी वीज़ा पा सकते हैं। इस वीज़ा के तहत न तो महंगे रियल एस्टेट में निवेश की ज़रूरत है, न ही बिजनेस में भारी पूंजी लगाने की। इसे नामांकन आधारित वीज़ा बनाया गया है, जिसमें भारत में रहते हुए ही प्री-अप्रूवल मिल सकता है, डुबई जाने की भी आवश्यकता नहीं।

यह नीति मात्र कागज़ी बदलाव नहीं है, बल्कि यह UAE की रणनीति का हिस्सा है – केवल पूंजी नहीं, बल्कि वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करने की पहल।


भारत की विफलता: क्यों छोड़ रहे हैं भारतीय नागरिक अपना देश?

1. जीवन की मूलभूत ज़रूरतें भी चुनौतीपूर्ण

भारत के बड़े शहरों में नागरिक जीवन की गुणवत्ता, ट्रैफिक, प्रदूषण, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा – सभी क्षेत्रों में अस्थिरता और अव्यवस्था व्याप्त है। वहीं डुबई जैसी जगहों पर व्यवस्था, नियमन और सुविधा आसानी से मिलती है।

2. टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में बाधाएं

AI, ब्लॉकचेन, वेब3, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत में स्पष्ट नीति या संस्थागत समझ का अभाव है। ऐसे में युवा टैलेंट उन देशों की ओर जा रहा है जहां स्पष्ट कानून, पूंजी की उपलब्धता और ग्लोबल नेटवर्क मिलते हैं।

3. उच्च करदाताओं की नाराज़गी

भारत के अल्ट्रा रिच वर्ग को लगता है कि उन्हें देश में केवल कर देने वाली इकाई समझा जाता है, जबकि उनके लिए न नीति में स्थिरता है, न संस्थागत आदर।


📊 आंकड़े क्या कहते हैं?

  • 2023 में 5100 भारतीय करोड़पति देश छोड़कर विदेशों में बस गए।

  • 2024 में अनुमानित 4300 करोड़पति भारत से बाहर जाएंगे। (स्रोत: Henley Wealth Migration Report 2024)

  • 2011 से अब तक 1.6 मिलियन भारतीयों ने नागरिकता त्याग दी है। (MEA रिपोर्ट)


🏗️ डुबई का मॉडल: एक सबक भारत के लिए

UAE ने नीतियों के ज़रिए एक ऐसा वातावरण बनाया है जहां:

  • प्रशासन पूर्वानुमेय और सुगठित है

  • व्यक्तिगत प्रयासों को संस्थानिक सहयोग मिलता है

  • नागरिकों को सम्मान और अवसर मिलते हैं

इससे UAE एक ऐसा देश बन चुका है जहां वैश्विक टैलेंट खुद चलकर आ रहा है। यह दर्शाता है कि जहां गरिमा और दक्षता होगी, वहीं मानव पूंजी टिकेगी।


📉 भारत के लिए खतरे की घंटी

यदि भारत ने अपनी आंतरिक व्यवस्था को नहीं सुधारा, तो प्रतिभा का पलायन केवल तेज़ ही नहीं होगा, बल्कि स्थायी नुकसान में तब्दील हो सकता है:

  • स्टार्टअप इनोवेशन धीमा हो सकता है

  • निजी निवेश और नौकरी सृजन घट सकता है

  • टैलेंटेड युवा केवल विदेशी सपनों की तरफ देखेंगे


🔁 भारत को क्या करना चाहिए?

  1. निवेश योग्य और रहने योग्य शहरों का निर्माण

  2. प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना

  3. नीतियों में स्थिरता और स्पष्टता

  4. संस्थानिक सुधार और Ease of Doing Business

  5. सबसे जरूरी – प्रतिभाशाली नागरिकों को 'रोकने' की नहीं, उन्हें 'जोड़े रखने' की मानसिकता


✨ निष्कर्ष: चुपचाप पलायन कर रहे हैं भारत के निर्माता

जो लोग भारत की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख स्तंभ रहे — वही लोग अब बाहर बसने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसे मात्र आर्थिक या कानूनी मसला मानना भूल होगी। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक संकट की ओर इशारा है, जिसे अगर समय रहते न समझा गया, तो ये पलायन भविष्य में भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में कमजोर कर सकता है।

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