✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
पाहलगाम हमला: भारत के खिलाफ आर्थिक और सांप्रदायिक युद्ध
जयशंकर ने हाल ही में हुए पाहलगाम आतंकी हमले को केवल एक सुरक्षा संकट नहीं बल्कि 'आर्थिक युद्ध' बताया। उन्होंने कहा कि यह हमला कश्मीर की पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था को तबाह करने के मकसद से रचा गया था। हमला सुनियोजित था, जिसमें हमलावरों ने यात्रियों से धार्मिक पहचान पूछकर गोलियाँ चलाईं — जो कि भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की गहरी साज़िश थी।
🗣️ "पाहलगाम हमला एक आर्थिक युद्ध था। इसका उद्देश्य कश्मीर की टूरिज्म इकोनॉमी को तोड़ना और धार्मिक हिंसा को उकसाना था," – डॉ. एस. जयशंकर
इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिसमें कई पर्यटक भी शामिल थे। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक एकता, धार्मिक सौहार्द और अर्थव्यवस्था पर किया गया एक क्रॉस-बॉर्डर स्ट्राइक था।
सीमापार आतंकवाद पर भारत की नई नीति: ‘जवाबी कार्रवाई में कोई हिचक नहीं’
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत अब उन कूटनीतिक औपचारिकताओं में नहीं उलझेगा, जो आतंकियों को सीमा पार होने के कारण दंड से छूट देती हैं। उन्होंने भारत की ओर से किए गए हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि अब आतंकियों को सुरक्षित पनाह नहीं मिलने दी जाएगी।
🔥 "हमने यह बहुत बार सुना है कि दोनों देश परमाणु शक्ति हैं, इसलिए प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए — लेकिन अब भारत ऐसा नहीं सोचेगा। हम जवाब देंगे, और हर उस व्यक्ति को सज़ा देंगे जो आतंक फैलाता है," – जयशंकर
यह बयान पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी है, जो वर्षों से आतंकी गुटों का इस्तेमाल एक ‘प्रॉक्सी वॉर’ के तौर पर करता रहा है। जयशंकर ने कहा कि अब भारत इन 'प्रॉक्सी आतंकियों' को बख्शने वाला नहीं।
‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ अब नहीं चलेगा: भारत का रुख स्पष्ट
जयशंकर ने वर्षों से चली आ रही उस वैश्विक चुप्पी को भी चुनौती दी, जिसमें भारत से उम्मीद की जाती थी कि वह पाकिस्तान की परमाणु ताकत के डर से संयम बरते।
💣 "बहुत हुआ डर का माहौल — अगर वह आएगा और आतंक करेगा, तो हम भी उसके पास जाकर जवाब देंगे। अब ना ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ चलेगा, ना ‘टेररिज़्म को फ्री पास’ मिलेगा," – विदेश मंत्री जयशंकर
उनका यह बयान न सिर्फ पाकिस्तान को, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी एक रणनीतिक चेतावनी है कि भारत अब अपने राष्ट्रीय हितों और नागरिकों की सुरक्षा के मामले में एकतरफा संयम नहीं बरतेगा।
भारत-अमेरिका संबंधों पर बोले जयशंकर: ‘सिर्फ चीन के परिप्रेक्ष्य में देखना ग़लत’
इस कार्यक्रम में जब जयशंकर से पूछा गया कि क्या भारत-अमेरिका संबंध चीन की प्रतिक्रिया के अनुसार बनते हैं, तो उन्होंने इस विचार को सिरे से खारिज कर दिया।
🌍 "यह बहुत ही सरलीकृत और भ्रामक सोच है कि भारत-अमेरिका संबंध सिर्फ चीन से जुड़े हैं। इस रिश्ते के कई आयाम हैं — व्यापार, तकनीक, शिक्षा, सुरक्षा, जलवायु और लोकतंत्र जैसे मूल्यों का साझा आधार," – जयशंकर
उन्होंने यह बात Newsweek के CEO डेव प्रगाड के साथ न्यूयॉर्क स्थित वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में एक संवाद के दौरान कही। यह स्थान 9/11 मेमोरियल के समीप स्थित है, जो आतंकवाद की वैश्विक त्रासदी का प्रतीक भी है।
🔎 विश्लेषण: भारत की आक्रामक विदेश नीति की झलक
डॉ. एस. जयशंकर के बयान इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि भारत अब रक्षात्मक नीति से निकलकर एक सक्रिय, आक्रामक और निर्णायक कूटनीति की ओर बढ़ चुका है। चाहे बात सीमापार आतंकी हमलों की हो, परमाणु खतरे की, या भारत-अमेरिका सहयोग की — अब भारत स्पष्ट और आत्मविश्वासी भाषा में बात कर रहा है।
🛡️ "राष्ट्र की रक्षा अब कूटनीतिक बयानबाज़ी से नहीं, बल्कि सटीक कार्रवाई से होगी।"
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