संभल | 22 जुलाई 2025 | विशेष रिपोर्ट कविता शर्मा | पत्रकार
✨ पुष्पवर्षा और प्रेम से किया स्वागत, सेवा बनी समर्पण की पहचान
श्रावण माह के पवित्र अवसर पर, जब शिवभक्त कांवड़ लेकर लंबी यात्रा पर निकलते हैं, तो उनकी सेवा करना न केवल धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे सामाजिक ताने-बाने की मजबूती को दर्शाता है। इसी विचार को आत्मसात करते हुए, नखासा थाना क्षेत्र के सामने एक विशेष सेवा शिविर का आयोजन किया गया, जहाँ पर कांवड़ यात्रियों का स्वागत पुष्पवर्षा, ठंडे जल की बोतलों, ऊर्जा प्रदान करने वाले फ्रूट जूस और उपयोगी टिशू पेपर के वितरण के माध्यम से किया गया।
इस पूरे आयोजन की सूत्रधार रहीं फरहत खलील, जो वर्षों से सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं और अंतरधार्मिक सौहार्द की पैरोकार मानी जाती हैं। उन्होंने कहा —
"हमारा उद्देश्य केवल सेवा करना नहीं है, बल्कि एक ऐसा वातावरण निर्मित करना है जहाँ आस्था, अपनापन और इंसानियत साथ चलें। जब हम धर्म से ऊपर उठकर मानवता की बात करते हैं, तभी एक सशक्त समाज की नींव रखी जाती है।"
🤝 सामाजिक सहभागिता का बेहतरीन उदाहरण बनी टीम भावना
इस सेवा कार्य में फरहत खलील की टीम के साथ कई प्रतिष्ठित और सक्रिय सामाजिक प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, जिन्होंने कांवड़ियों की सेवा को अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी के रूप में निभाया। सेवा शिविर में जो प्रमुख चेहरे उपस्थित रहे, वे हैं:
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एडवोकेट शाहीन जमाल – महिला सशक्तिकरण और न्याय के लिए संघर्षरत एक प्रभावशाली सामाजिक कार्यकर्ता।
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यूनुस वारसी – राष्ट्रीय महासचिव, जिन्होंने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खुले रूप में समर्थन दिया।
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जावेद हुसैन – युवा समाजसेवी, शिक्षा और जागरूकता अभियान में सक्रिय।
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ज़ेड. एस. रज़्ज़ाक़ी – लेखक,वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक विश्लेषक, जो सेवाभाव को राष्ट्रीय चेतना से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
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दरख्शा वारसी, नदीम चौधरी, रिज़वान खान, और युसुफ खान – ये सभी स्थानीय समाजसेवक अपनी कर्मठता और सक्रियता के लिए जाने जाते हैं।
🌈 धर्म से ऊपर इंसानियत — यही है असली सेवा
इस आयोजन का सबसे अहम संदेश था —
"धर्म से ऊपर इंसानियत — यही है असली सेवा"।
जहाँ आज के समय में धार्मिक गतिविधियों को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियाँ फैलाई जाती हैं, वहीं यह आयोजन उन सबका खंडन करता है। यहाँ सेवा, सम्मान और समर्पण के साथ यह बताया गया कि "आस्था का मार्ग तभी फलदायी होता है, जब उसमें मानवता की भावना हो।"
🌸 सांस्कृतिक सौहार्द की ओर एक नई पहल
यह आयोजन केवल एक सेवा शिविर नहीं था, बल्कि सांस्कृतिक संवाद और सामाजिक समरसता की एक मजबूत मिसाल भी था। पुष्पवर्षा के साथ जब मुसलमान समाजसेविका द्वारा हिंदू श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया गया, तो वहां उपस्थित हर व्यक्ति ने यह महसूस किया कि भारत की आत्मा अभी भी एकजुटता और भाईचारे में सांस लेती है।
फरहत खलील और उनकी टीम का यह कदम आने वाले समय में एक रोल मॉडल के रूप में देखा जाएगा — जहाँ समुदाय, पंथ या जाति की सीमाओं से परे जाकर सेवा ही धर्म बन जाती है।
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