✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार
क्या हुआ था?
पीएरा की इस मस्जिद में आग शनिवार की तड़के सुबह 3 बजे के आसपास लगी, जब ज़्यादातर लोग सो रहे थे। यह मस्जिद कुछ ही दिनों में आधिकारिक रूप से खुलने वाली थी। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, आग इतनी तेजी से फैली कि दमकलकर्मियों के भरसक प्रयासों के बावजूद मस्जिद को पूरी तरह से नष्ट होने से बचाया नहीं जा सका।
मस्जिद अब पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी है और उसका उद्घाटन अब असंभव हो गया है।
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Symbolic Image |
मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रिया
कैटालोनिया के तीन प्रमुख मुस्लिम संगठनों—UCIDCAT, FCIC और FIC—ने इस घटना की संयुक्त रूप से कड़ी निंदा करते हुए इसे एक “कायरतापूर्ण हमला” करार दिया है। संगठनों ने कहा कि यह हमला जानबूझकर सामाजिक सौहार्द को तोड़ने के लिए किया गया।
"यह घटना पीएरा में लंबे समय से चली आ रही आपसी समझ और सामाजिक सौहार्द पर सीधा हमला है। यह हमारी एकता को तोड़ने का षड्यंत्र है।" — संयुक्त बयान
पीएरा में बढ़ते नफरतजनित अपराध
लगभग 17,500 की जनसंख्या वाले पीएरा नगर में लगभग 1,700 विदेशी नागरिक रहते हैं। हाल के महीनों में यहां नफरत-प्रेरित हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। इसी वर्ष मई के अंत में, एक राज्य-प्रायोजित केंद्र (जहाँ बिना अभिभावकों के रहने वाले नाबालिगों को रखा जाता है) में भी रात में आगजनी की घटना हुई थी।
स्थानीय प्रशासन इन दोनों घटनाओं के बीच किसी प्रकार के संबंध की संभावनाओं से इनकार नहीं कर रहा है और इसकी जांच की जा रही है।
सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार, टोमी रॉबिन्सन भी शामिल
जैसे ही मस्जिद में आग लगने की खबर फैली, सोशल मीडिया पर इससे संबंधित कई वीडियो सामने आने लगे। इनमें से एक वीडियो को ब्रिटेन के कुख्यात धुर-दक्षिणपंथी कार्यकर्ता टोमी रॉबिन्सन ने भी साझा किया। लेकिन यह वीडियो असल में इंडोनेशिया के जकार्ता स्थित जामी मस्जिद की थी, जिसमें वर्ष 2022 में आग लगी थी।
इस झूठे वीडियो को पीएरा मस्जिद की आग से जोड़ कर पेश किया गया, जिससे जनता में और अधिक गुस्सा और भ्रम फैल गया। टोमी रॉबिन्सन द्वारा साझा किए गए वीडियो पर एक यूजर ने तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा:
“यह जकार्ता की वीडियो है, 2022 की। कृपया झूठी बातें फैलाकर और नफरत मत भड़काइए।”
यह मामला दिखाता है कि कैसे सोशल मीडिया पर बिना तथ्यों की पुष्टि किए गए दावों से एक संवेदनशील समाज में और अधिक तनाव उत्पन्न किया जा सकता है।
प्रशासनिक जांच और संभावित राजनीतिक प्रभाव
कैटालोनिया प्रशासन इस पूरे घटनाक्रम की गंभीरता से जांच कर रहा है। वहीं नागरिक अधिकार संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि वह मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और नफरतजनित अपराधों के खिलाफ सख्त कानूनों को अमल में लाए।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा हमला है, बल्कि यह स्पेन में बढ़ती प्रवासी-विरोधी राजनीति का भी संकेत है, जिसे राजनीतिक दल वोटबैंक के रूप में भुनाने का प्रयास कर सकते हैं।
निष्कर्ष:-
पीएरा की इस मस्जिद में संदिग्ध आगजनी की घटना एक गंभीर सामाजिक और राजनीतिक संकट का संकेत है। साथ ही, सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक जानकारियाँ इस संकट को और भी खतरनाक बना रही हैं। ऐसे में जिम्मेदार नागरिकों, मीडिया संस्थानों और प्रशासनिक एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा, ताकि नफरत के इस जहर को फैलने से रोका जा सके और सभी समुदायों को बराबरी का सम्मान और सुरक्षा मिल सके।
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