प्रारंभिक बढ़त से निर्णायक जीत तक
आर्यादन शौकत ने मतगणना की शुरुआत से ही बढ़त बनाई और 19 राउंड्स की पूरी गिनती के दौरान वह अपनी स्थिति मज़बूत करते चले गए। अंत में उन्होंने कुल 77,737 वोट (44.17 प्रतिशत) हासिल किए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी एम. स्वराज को 66,660 वोट (37.88 प्रतिशत) मिले।
तीसरा मोर्चा: पी. वी. अनवर का प्रभावशाली प्रदर्शन
इस उपचुनाव की सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात रही ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC) के राज्य संयोजक पी. वी. अनवर का प्रदर्शन, जिन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में 19,760 वोट (11.23 प्रतिशत) हासिल किए। उनका यह प्रदर्शन न केवल यूडीएफ और एलडीएफ के लिए चुनौती बना, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करता हुआ नजर आया।
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सनी जोसेफ ने माना कि पी. वी. अनवर का प्रभाव चुनाव परिणामों में स्पष्ट रूप से झलकता है और नीलांबुर में उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
बीजेपी का प्रदर्शन रहा फीका
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस उपचुनाव में ईसाई समुदाय के बीच पकड़ बनाने के उद्देश्य से ईसाई उम्मीदवार मोहन जॉर्ज को मैदान में उतारा, लेकिन पार्टी को केवल 8,562 वोट (4.9 प्रतिशत) ही मिले। यह दर्शाता है कि बीजेपी की रणनीति और जनसंपर्क अभियान स्थानीय मतदाताओं को प्रभावित करने में असफल रहा।
यूडीएफ की रणनीति और एकजुटता का परिणाम
यूडीएफ की इस बड़ी जीत को लेकर विपक्ष के नेता और यूडीएफ अध्यक्ष वी. डी. सतीशन ने प्रतिक्रिया दी कि यह परिणाम यूडीएफ की एकजुटता, रणनीतिक योजना और मेहनत का प्रमाण है। उन्होंने विशेष रूप से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) और उसके नेतृत्व की सराहना की, जिनकी सक्रिय भागीदारी और कार्यकर्ताओं की मेहनत ने इस जीत को संभव बनाया।
सतीशन ने कहा कि नीलांबुर की जनता ने 2026 के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए यूडीएफ को आवश्यक ऊर्जा और आत्मविश्वास दिया है।
एलडीएफ की प्रतिक्रिया: सांप्रदायिक समर्थन का आरोप
सीपीआई(एम) के राज्य सचिव एम. वी. गोविंदन ने यूडीएफ की जीत पर तीखी प्रतिक्रिया दी और आरोप लगाया कि यह जीत सांप्रदायिक समर्थन के बल पर हासिल की गई है। यह वही आरोप है जिसे एलडीएफ ने चुनाव प्रचार के दौरान भी लगातार उठाया था।
भावुक हुए आर्यादन शौकत
जीत के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए आर्यादन शौकत भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि यह उनके दिवंगत पिता और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आर्यादन मोहम्मद की विरासत की जीत है। उन्होंने कहा कि अगर उनके पिता आज जीवित होते, तो यह ऐतिहासिक जीत देखकर गर्व महसूस करते।
एम. स्वराज का बयान: यह हार राज्य सरकार की नीतियों पर जनमत नहीं
एम. स्वराज ने कहा कि नीलांबुर का यह चुनाव परिणाम राज्य सरकार की नीतियों के विरोध में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक स्थानीय चुनाव था, जिसमें स्थानीय मुद्दों और समीकरणों ने निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने एलडीएफ की हार की समीक्षा की बात कही और कहा कि पार्टी भविष्य के लिए आवश्यक सुधार करेगी।
राजनीतिक संकेत: 2026 के लिए कौन सी पार्टी कितनी तैयार
नीलांबुर उपचुनाव ने केरल की राजनीति को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि वोटर अब सिर्फ वादों पर नहीं, प्रदर्शन, छवि और स्थानीय कनेक्शन पर भरोसा करता है। यह जीत यूडीएफ के लिए उत्साहवर्धक है, जबकि एलडीएफ को रणनीति में बदलाव की जरूरत का संकेत है।