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अमेरिकी हमलों के बाद ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा पर संकट: संयुक्त राष्ट्र और IAEA की चेतावनी

✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी IAEA ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यह चेतावनी अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हालिया हवाई हमलों के बाद सामने आई है। इन हमलों ने न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक परमाणु गैर-विस्तार नीति को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।


अमेरिका और इज़राइल का संयुक्त हमला

21 जून 2025 को अमेरिका और इज़राइल ने ऑपरेशन 'मिडनाइट हैमर' के तहत ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों — फोर्डो, नतांज़ और इस्फाहान — पर हमले किए। इस ऑपरेशन में गहरे भूमिगत बंकरों को नष्ट करने वाले विशेष बमों का इस्तेमाल किया गया। अमेरिका ने दावा किया कि इन हमलों से ईरान की समृद्ध यूरेनियम उत्पादन क्षमता को गंभीर झटका लगा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि फोर्डो की यूरेनियम समृद्धि इकाई को 'पत्थरों में बदल दिया गया है'।

IAEA की चेतावनी और अमेरिकी दावों पर सवाल

IAEA प्रमुख राफाएल ग्रोसी ने इन हमलों को "गंभीर लेकिन पूर्णतः विनाशकारी नहीं" बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान के पास अब भी पर्याप्त तकनीकी ज्ञान और साधन मौजूद हैं और वह कुछ ही महीनों में फिर से 60% समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन शुरू कर सकता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी ट्रंप के दावों पर संदेह जताते हुए कहा है कि परमाणु कार्यक्रम को केवल अस्थायी रूप से बाधित किया गया है।

यूरेनियम के स्थानांतरण की आशंका

रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने हमलों से पहले अपने कई संवेदनशील यूरेनियम भंडार को अन्य गुप्त स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था। अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियां अब इस 'बिल्ली और चूहे' के खेल की तरह फैले नेटवर्क को ट्रैक करने में लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि 60% समृद्ध यूरेनियम की लगभग 400 किलो मात्रा लापता है।

निरीक्षण को लेकर टकराव

IAEA ने ईरान के साथ अपने निरीक्षण अधिकारों को बहाल करने की मांग की है, लेकिन तेहरान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हमलों के बाद अब वह किसी भी 'गैर-जिम्मेदार संस्था' को अपने संवेदनशील स्थलों तक पहुंच की अनुमति नहीं देगा। इससे परमाणु निगरानी प्रणाली गंभीर रूप से बाधित हुई है और वैश्विक समुदाय को स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है कि ईरान इस समय क्या कर रहा है।

वैश्विक प्रतिक्रिया और कूटनीतिक गतिरोध

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इन हमलों को "खतरनाक उकसावे" की संज्ञा दी है और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने कहा कि "ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोका जाना चाहिए लेकिन सैन्य कार्रवाई समाधान नहीं है।" चीन और रूस ने अमेरिका की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और इससे केवल तनाव बढ़ेगा।

आगे क्या?

राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मौजूदा स्थिति जारी रही, तो यह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकती है। ईरान पहले ही यह संकेत दे चुका है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को अधिक स्वतंत्र और 'रक्षा के लिए आवश्यक' मानता है। अमेरिका और उसके सहयोगियों के सामने चुनौती यह है कि वे सुरक्षा और कूटनीति के बीच संतुलन कैसे बनाएं।

निष्कर्ष

ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा और उस पर हो रही सैन्य कार्रवाइयाँ एक ऐसे मोड़ पर पहुँच चुकी हैं जहां हर कदम वैश्विक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। अगर समय रहते अंतरराष्ट्रीय संवाद बहाल नहीं हुआ, तो यह संकट एक व्यापक संघर्ष का रूप ले सकता है।

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