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कर्नाटक में कांग्रेस की रणनीति: लोकतांत्रिक ताकत और संगठनात्मक परिपक्वता की मिसाल

✍🏻 Z S Razzaqi | अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार  

एक विश्लेषण जो कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करता है

🔷 नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा: कांग्रेस की बढ़ती ताकत का प्रतीक

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही चर्चाएं केवल सत्ता-संघर्ष नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता, संगठनात्मक अनुशासन और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का उदाहरण हैं। Mallikarjun Kharge द्वारा यह कहना कि “यह निर्णय हाईकमान के हाथ में है” — इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस नेतृत्व सिर्फ सत्ता के लोभ पर नहीं, बल्कि रणनीतिक संतुलन और जनभावना के आधार पर निर्णय लेता है।



🔷 हाईकमान का केंद्रीय नेतृत्व: निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता

राहुल गांधी, सोनिया गांधी और Mallikarjun Kharge जैसे अनुभवी नेताओं की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी किसी भी निर्णय को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की बजाय संगठन की दीर्घकालिक नीति के अनुरूप लेती है। यह भाजपा की तरह एकतरफा फैसले थोपने वाला संगठन नहीं है, बल्कि परामर्श और सामूहिक निर्णय का वाहक है।


🔷 सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार: कांग्रेस की दो मज़बूत ताकतें

2023 में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत के पीछे सिद्धारमैया की प्रशासनिक अनुभव और डी.के. शिवकुमार की सांगठनिक रणनीति — दोनों ही बराबर के भागीदार रहे। यही वजह है कि पार्टी ने एकता को प्राथमिकता देते हुए डी.के. शिवकुमार को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष जैसे ज़िम्मेदार पद सौंपे।

यह कांग्रेस की राजनीतिक परिपक्वता है कि जहां भाजपा आंतरिक विद्रोह से जूझती है, वहीं कांग्रेस अपने नेताओं के बीच संतुलन बनाकर आगे बढ़ रही है।


🔷 शक्तिशाली संगठन, स्पष्ट भविष्य की योजना

कर्नाटक कांग्रेस विधायक हुसैन का यह कहना कि “हाईकमान सही समय पर सही फैसला करेगा” इस बात को दर्शाता है कि पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता भी नेतृत्व पर पूर्ण विश्वास और समर्थन रखते हैं।

कर्नाटक में भाजपा जिस प्रकार से खेमेबाज़ी, आरोप-प्रत्यारोप और संगठन के भीतर अस्थिरता का शिकार है, उसके उलट कांग्रेस एक संगठित, अनुशासित और दूरदर्शी संगठन बनकर उभरी है।


🔷 भाजपा की प्रतिक्रिया: हताशा का प्रतीक

Mallikarjun Kharge के बयान पर भाजपा की प्रतिक्रिया – “Like a Ghost” – केवल राजनीतिक हताशा और असहायता को उजागर करती है। भाजपा यह स्वीकार नहीं कर पा रही कि कांग्रेस अब उन राज्यों में भी मज़बूत हो रही है, जहां पहले उसका जनाधार कमज़ोर माना जाता था।


🔷 कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता का आधार

  1. युवाओं और किसानों की नीतियों में प्राथमिकता

  2. सामाजिक न्याय और कल्याण योजनाओं में पारदर्शिता

  3. संगठन का विकेंद्रीकरण और ज़मीनी नेताओं को सम्मान

  4. समान अवसर और समावेशी नेतृत्व शैली

  5. लोकप्रियता में लगातार वृद्धि – हालिया सर्वे में कांग्रेस को 56% समर्थन कर्नाटक में


🔷 निष्कर्ष: कांग्रेस एक मज़बूत विकल्प, लोकतंत्र की नई परिभाषा

भले ही कुछ लोग इसे "कुर्सी की लड़ाई" कहें, मगर हकीकत यह है कि कांग्रेस अपने नेताओं को अवसर देने के लिए योजनाबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाती है। यह आज के दौर में एक स्वस्थ और आधुनिक लोकतांत्रिक राजनीतिक दल की पहचान है।

जहां भाजपा में फैसले सिर्फ शीर्ष नेतृत्व की जिद पर होते हैं, वहीं कांग्रेस में हाईकमान का निर्णय एक विवेकपूर्ण सलाह और जमीनी फीडबैक पर आधारित होता है।

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