🔭 ऐतिहासिक लॉन्च और भारतीय गौरव
29 मई को प्रस्तावित था लेकिन कई बार स्थगित होने के बाद 25 जून 2025 को दोपहर 12 बजे (IST) अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित NASA के Kennedy Space Center के Launch Complex 39A से Axiom Mission-4 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण हुआ। इस मानव अंतरिक्ष मिशन का नेतृत्व अमेरिका की Axiom Space कंपनी ने किया है। यह मिशन विशेष रूप से भारत के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि 41 वर्षों बाद कोई भारतीय—भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला—अंतरिक्ष में गए हैं।
👨🚀 मिशन क्रू और उनके लक्ष्य
Axiom-4 मिशन में चार सदस्य शामिल हैं:
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कमांडर: पेगी व्हिटसन (अमेरिका, NASA की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री)
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पायलट: शुभांशु शुक्ला (भारत)
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स्पेशलिस्ट: स्लावोज़ उज़नान्स्की (पोलैंड)
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स्पेशलिस्ट: टिबोर कापु (हंगरी)
ये सभी मिलकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 14 दिनों तक वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोग करेंगे। शुभांशु शुक्ला, इस यात्रा के माध्यम से भारत की वैज्ञानिक आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
🚀 उड़ान, डॉकिंग और ऐतिहासिक प्रवेश
3:00 PM से 4:01 PM IST के बीच Dragon यान ने ISS की ओर बढ़ते हुए Waypoints पार किए। 4:01 बजे Dragon यान ने सफलतापूर्वक ISS से डॉकिंग कर ली। इसके बाद दोनों यानों के हैच खुले, और सभी चारों यात्री 6:00 PM पर ISS के भीतर प्रवेश कर गए।
🛰 शुभांशु शुक्ला की पहली प्रतिक्रिया: "जय हिंद, जय भारत!"
ISS पर पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला ने हिंदी में अपने देशवासियों के लिए भावुक संदेश दिया:
"आपके प्यार और आशीर्वाद से मैं अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच चुका हूं। यहां खड़ा होना आसान नहीं, सिर थोड़ा भारी लग रहा है लेकिन यह छोटी-छोटी बातें हैं, कुछ ही दिनों में सब सामान्य हो जाएगा।"
"यह इस यात्रा का पहला कदम है। अगले 14 दिनों में हम विज्ञान से जुड़े प्रयोग करेंगे और आपसे बात करेंगे। कंधे पर लगा तिरंगा इस बात का प्रतीक है कि आप सब मेरे साथ हैं… जय हिंद! जय भारत!"
🌐 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की मिसाल
ISS पर मौजूद 11 अंतरिक्ष यात्री 6 देशों से हैं—एक अद्वितीय उदाहरण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का। Expedition 73 के कमांडर जापान के टाकुया ओनिशी ने Axiom क्रू का स्वागत करते हुए कहा कि यह मिशन "मानवता की साझा वैज्ञानिक आकांक्षाओं का प्रतीक" है।
पेगी व्हिटसन ने नए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रतीकात्मक “रूकी पिन्स” भेंट की। शुक्ला ने मजाकिया अंदाज़ में खुद को "634वें अंतरिक्ष यात्री" बताया और कहा कि "धरती को इस दृष्टिकोण से देखना एक सौभाग्य है"।
👨👩👧👦 परिवार और भारत में उत्सव
शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने ANI से बातचीत में कहा:
"हम ईश्वर के अत्यंत आभारी हैं। हमारे बेटे का डॉकिंग सफल रही। हम बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। हमने प्रार्थना की थी और ईश्वर ने हमें आशीर्वाद दिया है।"
📡 ISRO का सक्रिय समर्थन
ISRO के अध्यक्ष के नेतृत्व में भारतीय टीम ने NASA जॉनसन स्पेस सेंटर, ह्यूस्टन से डॉकिंग की ऐतिहासिक घड़ी देखी और NASA, SpaceX, Axiom और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को बधाई दी।
🔬 वैज्ञानिक प्रयोग और अनुसंधान
आगामी 14 दिनों में मिशन के सभी सदस्य मिलकर निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में काम करेंगे:
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अंतरिक्ष में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन
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सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में जैविक परीक्षण
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पृथ्वी विज्ञान और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रयोग
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अंतरिक्ष में भारतीय तकनीकी उपकरणों की क्षमता का परीक्षण
🇮🇳 भारत की नई अंतरिक्ष क्रांति की शुरुआत
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक और आत्मनिर्भर अंतरिक्ष यात्रा की नई शुरुआत है। ISRO के चंद्रयान और गगनयान के बाद यह मिशन भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव अंतरिक्ष अभियानों में भी स्थापित करता है।
📝 निष्कर्ष
Axiom-4 न केवल तकनीकी उपलब्धियों का प्रतीक है बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अब अंतरिक्ष कूटनीति और विज्ञान में एक अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
शुभांशु शुक्ला की मुस्कान और उनके शब्द—“तिरंगा मेरे कंधे पर है”—हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
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