मध्य-पूर्व में भड़के परमाणु संकट के बीच मंगलवार को एक अप्रत्याशित मोड़ देखने को मिला जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान-इज़राइल के बीच युद्धविराम की पुष्टि की, साथ ही यह दावा किया कि अमेरिका द्वारा किए गए सैन्य हमलों ने ईरान के परमाणु ठिकानों को “पूरी तरह से तबाह कर दिया” है। यह दावा अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स और पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट के विपरीत है, जो कहती हैं कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कुछ महीनों के लिए ही रोका गया है, न कि पूरी तरह नष्ट किया गया।
युद्धविराम की पृष्ठभूमि: युद्ध, हमले और अंततः एक शांति प्रयास
13 जून को इज़राइल द्वारा ईरान पर सैन्य कार्रवाई शुरू की गई थी, जिसे "परमाणु हथियार विकास को रोकने" के उद्देश्य से अंजाम दिया गया बताया गया। इसके जवाब में ईरान ने भी अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, खासकर क़तर स्थित बेस पर 23 जून को मिसाइल हमले किए। इस खतरनाक गतिरोध को समाप्त करने के लिए ट्रम्प ने मध्यस्थता करते हुए 24 जून को एक क्रमिक युद्धविराम का ऐलान किया।
ट्रंप ने हेग में नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान कहा, “दोनों पक्ष अब शांत हैं। लेकिन यह शांति मेरी इच्छा से नहीं, बल्कि मेरी चेतावनी के बाद आई।”
खुफिया रिपोर्ट बनाम ट्रंप का दावा
हालांकि राष्ट्रपति ट्रम्प ने जोर देकर कहा कि “ईरान के परमाणु ठिकाने पूरी तरह तबाह हो गए हैं”, लेकिन अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की रिपोर्ट कुछ और ही संकेत देती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान में की गई बमबारी से महत्वपूर्ण क्षति जरूर हुई है, लेकिन ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह निष्क्रिय नहीं किया जा सका है।
इस रिपोर्ट को दो वरिष्ठ अधिकारियों ने गोपनीयता की शर्त पर मीडिया से साझा किया, जो ट्रम्प और इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के दावों को सीधे खंडन करता है।
ईरानी साइबर हमला और डिजिटल युद्ध की आशंका
युद्धविराम के बाद भी ईरान समर्थित हैकर्स ने अमेरिकी बैंकों, रक्षा कंपनियों और तेल उद्योग पर साइबर हमले शुरू कर दिए हैं। हालाँकि अब तक कोई बड़ी तबाही नहीं हुई है, लेकिन साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर युद्धविराम टूटता है तो यह डिजिटल युद्ध में तब्दील हो सकता है, जिसमें रूस, चीन और उत्तर कोरिया जैसे देश भी शामिल हो सकते हैं।
फांसी और राजनीतिक संदेश: ईरान का आंतरिक सख़्तीकरण
ईरान सरकार ने बुधवार को तीन और लोगों को “इज़राइल के लिए जासूसी” के आरोप में फांसी दे दी।
उरमिया जेल में हुई इन फांसियों में जिन लोगों को सज़ा दी गई, उनके नाम हैं: आज़ाद शोजाई, इदरीस आली और इराक़ी नागरिक रसूल अहमद रसूल। इन पर देश में "हत्या का उपकरण" लाने का आरोप था।
इन फांसियों के साथ अब तक जासूसी से जुड़े मामलों में 16 जून से कुल छह लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है, जिससे मानवाधिकार संगठनों में भारी चिंता फैल गई है।
ईरान के सैन्य वैज्ञानिकों व अधिकारियों की अंतिम विदाई
ईरान की सरकारी एजेंसी IRNA ने घोषणा की है कि 28 जून को तेहरान में युद्ध में मारे गए वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों का राष्ट्रीय राजकीय अंतिम संस्कार किया जाएगा। इसमें रिवोल्यूशनरी गार्ड्स प्रमुख हुसैन सलामी भी शामिल हैं, जो युद्ध के पहले दिन मारे गए थे। उनका दफन गुरुवार 26 जून को किया जाएगा।
तुर्की और अमेरिका की मुलाक़ात: युद्धविराम की सराहना
नाटो सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाकात करते हुए तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने इस युद्धविराम की सराहना की, और उम्मीद जताई कि यह स्थायी रहेगा। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी करीबी संवाद की वकालत की।
गज़ा में इज़राइली फोकस की वापसी
युद्धविराम के बाद अब इज़राइल ने अपना ध्यान फिर से गज़ा पर केंद्रित किया है, जहाँ हमास के साथ लड़ाई जारी है। बुधवार को गज़ा में सात और इज़राइली सैनिकों की मौत की पुष्टि की गई, जिससे कुल सैनिकों की संख्या 430 से अधिक हो चुकी है।
ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कोशिश नाकाम
ईरान पर बिना कांग्रेस की अनुमति के हमला करने को लेकर ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, लेकिन अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में 344-79 मतों से खारिज कर दिया गया। प्रस्ताव डेमोक्रेट सांसद एल ग्रीन ने पेश किया था, जिनका तर्क था कि “किसी एक व्यक्ति को 30 करोड़ अमेरिकियों को युद्ध में धकेलने का अधिकार नहीं होना चाहिए।”
निष्कर्ष: अस्थायी शांति, लेकिन गहराती अस्थिरता
युद्धविराम फिलहाल लागू है, लेकिन उसका आधार बहुत ही कमजोर प्रतीत होता है। ट्रम्प के सार्वजनिक दावे और पेंटागन की खुफिया रिपोर्टों के बीच विरोधाभास स्पष्ट हैं। ईरान के साइबर हमले, अंदरूनी सख्ती और गज़ा में इज़राइली फोकस की वापसी से यह साफ हो जाता है कि मध्य-पूर्व की आग अभी बुझी नहीं है, केवल ढकी गई है।