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कनाडा आम चुनाव 2025: मार्क कार्नी की ऐतिहासिक जीत, अमेरिका पर तीखा हमला – "धोखे को कभी न भूलें"

ओटावा | 29 अप्रैल 2025

कनाडा में हुए आम चुनाव के नतीजों ने एक ऐतिहासिक मोड़ लिया है। पूर्व केंद्रीय बैंक प्रमुख मार्क कार्नी की अगुवाई में लिबरल पार्टी ने एक बार फिर सरकार बनाने का दावा किया है। हालांकि, प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन लगातार चौथी बार सत्ता में वापसी करना कनाडाई राजनीति में एक दुर्लभ घटना मानी जा रही है।


कनाडा की राजनीति में ऐतिहासिक मोड़

मार्क कार्नी, जिन्होंने अभी एक महीने पहले ही जस्टिन ट्रूडो की जगह प्रधानमंत्री पद संभाला था, बिना किसी चुनी हुई पदवी के सत्ता में आए पहले व्यक्ति बने। कार्नी के पास चुनी हुई राजनीतिक भूमिका का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन उनका अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अनुभव – विशेषकर ब्रिटेन और कनाडा दोनों में केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य – चुनावी प्रचार में निर्णायक साबित हुआ।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बने मुख्य मुद्दा

इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा था अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा के खिलाफ बार-बार किए जा रहे ट्रेड वॉर और अन्नेक्सेशन (कब्ज़ा) की धमकियाँ। ट्रंप ने मतदान वाले दिन भी सोशल मीडिया पर कनाडा को अमेरिका में मिलाने की धमकी दोहराई थी, जिसने कनाडाई मतदाताओं को झकझोर दिया।

कार्नी ने चुनाव प्रचार के दौरान "एंटी-ट्रंप" एजेंडे को प्रमुखता से उठाया और वादा किया कि वे कनाडा की अर्थव्यवस्था को अमेरिका पर निर्भरता से मुक्त कर अन्य वैश्विक व्यापारिक साझेदारों की ओर बढ़ाएंगे।

सीटों का ब्योरा: अल्पमत में लिबरल पार्टी

CTV और CBC जैसे प्रमुख चैनलों के अनुसार, सीटों का ताजा आंकड़ा इस प्रकार है:

  • लिबरल पार्टी: 156 सीटें जीतीं, 11 पर बढ़त

  • कंज़र्वेटिव पार्टी: 138 सीटें जीतीं, 7 पर बढ़त

  • ब्लॉक क्यूबेकुआ: 22 सीटें जीतीं, 1 पर बढ़त

  • NDP (जगमीत सिंह): 4 सीटें जीतीं, 3 पर बढ़त

  • ग्रीन पार्टी: 1 सीट

इस आधार पर लिबरल पार्टी को अल्पमत (minority) में सरकार बनानी पड़ सकती है, जिसके लिए उन्हें छोटे दलों का समर्थन लेना होगा।

कार्नी की संसद में पहली जीत

मार्क कार्नी ने ओंटारियो की नेपीन सीट से 64% वोट पाकर पहली बार संसद का चुनाव जीता। यह उनकी पहली निर्वाचित भूमिका है, जिससे उन्हें अब प्रधानमंत्री के रूप में संवैधानिक वैधता भी प्राप्त हो गई है।

ट्रंप को तीखा संदेश – “हम कभी नहीं झुकेंगे”

विजय भाषण में कार्नी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आड़े हाथों लेते हुए कहा:

“हम अमेरिकी धोखे के झटके से उबर चुके हैं, लेकिन हमें उसकी सीख कभी नहीं भूलनी चाहिए।”
“अमेरिका हमारे ज़मीन, हमारे संसाधन, हमारा पानी और हमारा देश चाहता है। लेकिन यह सपना कभी पूरा नहीं होगा।”
“हमें अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी और एक-दूसरे की देखभाल करनी होगी।”

भारत-कनाडा संबंधों में संभावित बदलाव

कार्नी की जीत को भारत के साथ कनाडा के तनावपूर्ण संबंधों में संभावित बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के संबंधों में तल्खी आ गई थी, खासकर खालिस्तान मुद्दे को लेकर। अब नई सरकार के साथ भारत और कनाडा के बीच रिश्तों के पुनर्गठन की संभावना है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

  • ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने बधाई देते हुए कहा:
    “यूके और कनाडा सबसे घनिष्ठ मित्र और साझेदार हैं। मैं हमारे संबंधों को और सुदृढ़ करने की आशा करता हूँ।”

  • यूरोपीय संघ प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा:
    “यूरोप और कनाडा का संबंध पहले से मजबूत है और और भी मजबूत होता जा रहा है।”


निष्कर्ष:-
मार्क कार्नी की जीत सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के प्रति कनाडाई जनमत के बदलते रुख, वैश्विक कूटनीतिक संतुलन और आंतरिक राजनीतिक स्थिरता की एक नई कहानी की शुरुआत है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों में कार्नी क्या रुख अपनाते हैं और भारत सहित दुनिया के अन्य देशों के साथ कैसा नया समीकरण बनता है।

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