रिपोर्टिंग: कविता शर्मा | पत्रकार
❖ प्रस्तावना: स्वाद का साथी या स्वास्थ्य का संकट?
नमक — हमारे रोज़मर्रा के खाने का एक अहम हिस्सा। यह न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि शरीर में पानी के संतुलन और मांसपेशियों की सक्रियता को बनाए रखने में भी मदद करता है। परंतु, वही नमक जब हद से ज़्यादा खाया जाए तो यही ज़रूरी तत्व एक 'धीमी ज़हर' बनकर हमारे शरीर को अंदर से खोखला करना शुरू कर देता है।
इसी संदर्भ में हालिया रिपोर्ट्स ने भारत में एक 'Hidden Epidemic' यानी ‘छिपी हुई महामारी’ की चेतावनी दी है — जो किसी वायरस से नहीं, बल्कि आपके रसोईघर में रखे नमक से उपज रही है।
❖ वैज्ञानिक चेतावनी: ‘छिपी हुई महामारी’ की ओर बढ़ता भारत
ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में नमक की अत्यधिक खपत का सीधा संबंध हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, हृदय रोग और किडनी फेलियर जैसी जानलेवा बीमारियों से है।
प्रमुख निष्कर्ष:
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शहरी भारत: औसतन 9.2 ग्राम/दिन नमक का सेवन (WHO की सिफारिश से लगभग दोगुना)
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ग्रामीण भारत: औसतन 5.6 ग्राम/दिन
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WHO की सिफारिश: 5 ग्राम/दिन से कम (लगभग 1 छोटा चम्मच)
यह अत्यधिक खपत न केवल स्वास्थ्य के लिए घातक है, बल्कि यह भारत को एक धीरे-धीरे फैलती ‘साइलेंट महामारी’ की ओर भी ले जा रही है — जिसे लोग तब तक गंभीरता से नहीं लेते जब तक कि लक्षण घातक न हो जाएँ।
❖ कहाँ से आता है ज़रूरत से ज़्यादा नमक?
अक्सर लोग सोचते हैं कि यदि वे घर के खाने में कम नमक डालते हैं, तो वे सुरक्षित हैं। पर असलियत इससे कहीं अधिक जटिल है।
नमक हमें केवल दाल-भात से ही नहीं मिलता। आजकल के खान-पान में निम्न स्रोतों से छिपे रूप में नमक शरीर में पहुँचता है:
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पैकेज्ड फूड्स (बिस्किट, नमकीन, स्नैक्स)
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फास्ट फूड्स और रेस्तरां खाना
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अचार, चिप्स, सॉसेज़, रेडी-टू-ईट मील्स
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बेकरी आइटम्स (ब्रेड, पिज़्ज़ा, बर्गर)
इन उत्पादों में नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है और लोग बिना जाने दिन भर में कई बार इसका सेवन कर लेते हैं। इस कारण से 'छिपा हुआ सोडियम' हमारे स्वास्थ्य का सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है।
❖ विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
डॉ. पीयूष रंजन, वाइस चेयरपर्सन, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली, बताते हैं:
“लगातार ज़्यादा नमक खाने से हाई ब्लड प्रेशर होता है, जो कई अंगों — खासकर हृदय और किडनी — को नुकसान पहुँचाता है। इससे स्ट्रोक, दिल की बीमारी और यहाँ तक कि मृत्यु तक का ख़तरा हो सकता है।”
वो आगे कहते हैं:
“शरीर में नमक और पानी का संतुलन बनाए रखना किडनी की ज़िम्मेदारी होती है। जब शरीर में सोडियम का जमाव बढ़ जाता है, तो ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। इसे नियंत्रित करने के लिए दवाएँ दी जाती हैं, जो शरीर से नमक बाहर निकालती हैं।”
❖ क्या कहते हैं ग्लोबल स्टैंडर्ड?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार:
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प्रति व्यक्ति 5 ग्राम से कम नमक रोज़ ही शरीर के लिए पर्याप्त है।
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इससे अधिक मात्रा में सेवन करने से हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), कार्डियक अरेस्ट, स्ट्रोक और किडनी फेलियर का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
❖ कम नमक खाने के लाभ
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ब्लड प्रेशर कंट्रोल
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दिल और किडनी को सुरक्षित रखना
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स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा घटाना
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लंबे समय तक अच्छी सेहत और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि
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डायबिटीज़ और मोटापे पर नियंत्रण में सहायता
❖ क्या करें? — नमक से होने वाली महामारी से बचाव के उपाय
✅ लेबल पढ़ें: हर पैकेट या उत्पाद का सोडियम कंटेंट ज़रूर जांचें।
✅ प्रोसेस्ड फूड से दूरी: ताज़ा खाना खाएँ, पैकेट वाला नहीं।
✅ रेस्तरां में सावधानी: कम नमक वाला खाना माँगें, खासकर सॉस और चटनी में।
✅ नमक के विकल्प अपनाएँ: जैसे — हर्ब्स, नींबू, मसाले इत्यादि
✅ ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करें, खासकर यदि आप 35+ उम्र के हैं।
❖ निष्कर्ष: स्वाद से ज़्यादा ज़रूरी है स्वास्थ्य
नमक का सेवन ज़रूरी है — मगर संतुलित मात्रा में। वर्तमान में भारत जिस ‘छिपी हुई महामारी’ की ओर बढ़ रहा है, वह आपके घर की थाली से शुरू होती है। यदि अभी नहीं चेतें, तो आने वाला समय हमारी आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है।
तो अगली बार जब आप खाने में नमक डालें — स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी ख्याल रखें।
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