भारत की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े प्रतिष्ठानों में घुसपैठ करने और संवेदनशील जानकारी चुराने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) लगातार प्रयासरत है। हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने कई लोगों को देश के महत्वपूर्ण सैन्य संस्थानों से गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तारियों से यह स्पष्ट हो गया है कि ISI भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों में सेंध लगाने के लिए सोशल मीडिया, हनी ट्रैप, एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन और डिजिटल पेमेंट जैसे आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रही है।
हालांकि, इन गंभीर मामलों को मुख्यधारा की मीडिया में वह तवज्जो नहीं मिली, जिसकी अपेक्षा की जानी चाहिए थी। इस रिपोर्ट में इन घटनाओं का विस्तृत विश्लेषण किया गया है और यह भी बताया गया है कि मीडिया किस तरह से अपने पूर्वाग्रहों के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाती है।
भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों में ISI की घुसपैठ और हालिया गिरफ्तारियाँ
1. दीप राज चंद्रा: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) इंजीनियर की गिरफ्तारी
कौन है दीप राज चंद्रा?
बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) में वरिष्ठ इंजीनियर के रूप में कार्यरत दीप राज चंद्रा रक्षा मंत्रालय के इस प्रतिष्ठित संस्थान के उत्पाद विकास और नवाचार केंद्र में तैनात था। यह संस्थान भारतीय सेना और एयरोस्पेस सेक्टर के लिए रडार, संचार प्रणाली, मिसाइल गाइडेंस सिस्टम और अन्य उन्नत रक्षा उपकरणों का निर्माण करता है।
आरोप क्या हैं?
दीप राज चंद्रा पर संवेदनशील रक्षा जानकारी पाकिस्तान को लीक करने का आरोप है। यह जानकारी उसने व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और अन्य एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से पाकिस्तानी एजेंटों तक पहुँचाई। इसके बदले में उसे क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान किया गया, ताकि पैसों का कोई डिजिटल ट्रेल न मिले।
कैसे पकड़ा गया?
-
सैन्य खुफिया विभाग (Military Intelligence) ने उसकी संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी।
-
उसके लैपटॉप और मोबाइल की गहन जांच में कई गोपनीय दस्तावेज मिले।
-
उसकी बैंकिंग और क्रिप्टो ट्रांजैक्शन हिस्ट्री की जांच के दौरान संदिग्ध भुगतान का खुलासा हुआ।
-
पाकिस्तान से इंटरनेट कॉल्स और चैट रिकॉर्ड भी मिले।
2. रविंद्र कुमार: ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कर्मचारी की गिरफ्तारी
कौन है रविंद्र कुमार?
रविंद्र कुमार उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में कार्यरत था, जो भारतीय सेना के लिए हथियार और गोला-बारूद तैयार करती है।
कैसे जासूसी करता था?
-
रविंद्र कुमार को पाकिस्तानी एजेंट "नेहा शर्मा" ने सोशल मीडिया पर हनी ट्रैप में फंसाया।
-
उसने पाकिस्तानी एजेंट को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की सुरक्षा व्यवस्था, उत्पादन डेटा और गोला-बारूद स्टोरेज से जुड़ी जानकारी भेजी।
-
यूपी एटीएस ने उसे मोबाइल डेटा और व्हाट्सऐप चैट के आधार पर गिरफ्तार किया।
3. कुमार विकास: कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के जूनियर वर्क्स मैनेजर की गिरफ्तारी
क्या किया था?
कुमार विकास, जो कानपुर स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में जूनियर वर्क्स मैनेजर था, ने ISI को लूडो एप के माध्यम से संवेदनशील जानकारी भेजी।
जांच में क्या पता चला?
-
वह सोशल मीडिया पर ISI एजेंटों से जुड़ा।
-
डिजिटल डिवाइसेज से संवेदनशील फाइलें और चैट मिलीं।
-
उसने पूछताछ में कबूल किया कि वह कई महीनों से सूचना लीक कर रहा था।
4. अन्य गिरफ्तारियाँ और ISI का विस्तृत नेटवर्क
-
वेतन लक्ष्मण टंडेल और अक्षय रवि नाइक: करवार नौसैनिक अड्डे से जुड़े।
-
अभिलाष पी. ए.: कोच्चि नौसेना अड्डे से गोपनीय दस्तावेज़ लीक करने का आरोपी।
-
आकाश सोलंकी: पाकिस्तानी नागरिक मीर बलाज खान के साथ मिलकर जासूसी करता था।
मुख्यधारा मीडिया की चुप्पी: एक गहरी साजिश?
इतने बड़े देशद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर भारत के मुख्यधारा मीडिया चैनलों की निष्क्रियता और चुप्पी बेहद चिंताजनक है। जब कोई आरोपी मुस्लिम होता है, तो मीडिया इसे प्रमुखता से दिखाती है और पूरे समुदाय को निशाना बनाती है। लेकिन जब आरोपी गैर-मुस्लिम होते हैं, तो इन खबरों को दबा दिया जाता है या बेहद कम तवज्जो दी जाती है।
मीडिया की भूमिका:
✅ जब कोई मुस्लिम आरोपी होता है, तो हर न्यूज चैनल इसे "मदरसा शिक्षा", "कट्टरता", "आतंकवाद" से जोड़ने लगता है।
❌ जब आरोपी हिंदू होता है, तो यह खबरें बमुश्किल ब्रेकिंग न्यूज बन पाती हैं।
✅ सोशल मीडिया पर मुस्लिम विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा दिया जाता है।
❌ लेकिन असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाया जाता है।
इससे स्पष्ट होता है कि भारत में मीडिया अब निष्पक्ष नहीं रहा। इसे एक राजनीतिक और सांप्रदायिक एजेंडा चलाने के लिए नियंत्रित किया जा रहा है।
देश के युवाओं और नागरिकों के लिए अपील
1️⃣ सच की पड़ताल करें: किसी भी न्यूज चैनल या सोशल मीडिया पोस्ट पर आँख मूंदकर भरोसा न करें।
2️⃣ नफरत से बचें: किसी भी समुदाय या धर्म को निशाना बनाने वाली खबरों से सावधान रहें।
3️⃣ देश के असली मुद्दों पर ध्यान दें: शिक्षा, बेरोजगारी, महंगाई, न्याय और विकास पर चर्चा करें।
4️⃣ सोशल मीडिया पर सावधान रहें: ऐसे ग्रुप या पेज न जॉइन करें जो सिर्फ सांप्रदायिकता फैलाते हैं।
5️⃣ जागरूक नागरिक बनें: अगर मीडिया निष्पक्षता नहीं बरतता, तो खुद सही जानकारी लोगों तक पहुँचाएँ।
निष्कर्ष
इन गिरफ्तारियों से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों में घुसपैठ करने के लिए सोशल मीडिया, हनी ट्रैप और डिजिटल लेन-देन का इस्तेमाल कर रही है। हमारी सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क हैं और इस खतरे से निपटने में सक्षम हैं, लेकिन इस खतरे को रोकने के लिए हर नागरिक को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
साथ ही, मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं। अगर मीडिया निष्पक्ष होता, तो सभी गद्दारों की खबरें समान रूप से प्रसारित की जातीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए अब समय आ गया है कि भारत के नागरिक खुद सच और झूठ में फर्क करना सीखें और किसी भी प्रकार की नफरत, भेदभाव और सांप्रदायिकता से बचें।
🚨 राष्ट्रीय सुरक्षा किसी धर्म, जाति या विचारधारा से ऊपर है—इसे बचाने की ज़िम्मेदारी हम सभी की है।
ये भी पढ़े